राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को शुरू हुई नियमित सुनवाई 16 अक्टूबर को ख़त्म होने के साथ ही 5 जजों की पीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि सुनवाई ख़त्म होने के 23 दिनों के भीतर फ़ैसला सुना दिया जाएगा। हिन्दू पक्ष की मजबूत दलीलों को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आएगा। हालाँकि, मुस्लिम पक्ष ने एक तरफ से धमकी भरे अंदाज़ में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला सुनाते समय भविष्य को भी ध्यान में रखे। इसी बीच कई वामपंथी और लिबरल पत्रकारों की भी बेचैनी बढ़ गई है। ताज़ा उदाहरण राजदीप सरदेसाई का है।
राजदीप सरदेसाई को पहले इस बात से गुस्सा आता था कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख पर तारीख’ क्यों दे रही है? अब वो इस बात से आक्रोशित हो उठे हैं कि फ़ैसला सुनाने की ‘इतनी जल्दी भी क्या थी?’ राजदीप सरदेसाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उनके दोनों बयानों की तुलना की जा रही है और दिखाया जा रहा है कि कैसे उन्होंने गिरगिट की तरह रंग बदला है। सुनवाई ख़त्म होने से पहले राजदीप सरदेसाई ने कहा था कि चूँकि यह मामला धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे जल्दी सुलझाने की पहल करना अच्छी बात है।
First he was appreciating that Court is finally trying to finish the Ayodhya dispute
— Amit Kumar Sindhi (@AMIT_GUJJU) October 20, 2019
Now he has problem over why Court is finishing the case so soon
Akhir ye Dalla chahta kya hai? pic.twitter.com/afcWRIOJUZ
वहीं अब राजदीप के सुर बदल गए हैं। अब उन्होंने जजों पर बिफरते हुए पूछा है कि अन्य मामलों में कोर्ट तारीख पर तारीख क्यों देती है और नियमित सुनवाई क्यों नहीं करती? जहाँ पहले सुनवाई जल्दी ख़त्म होने को उन्होंने अच्छी बात बताई थी, अब उन्होंने कहा,
“मैं आज जजों से पूछता हूँ। क्या उन्हें आम आदमी की परेशानी नज़र नहीं आती? वो तारीख पर तारीख क्यों देते हैं? कई लोगों के मामले सालों से चलते आ रहे हैं। उन मामलों में फ़ास्ट ट्रैक सुनवाई या डे टू डे सुनवाई क्यों नहीं की जाती? जज अपना आखिरी फ़ैसला मंदिर-मस्जिद वाला इसीलिए करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे इतिहास में उनका नाम दर्ज हो जाएगा।”
राजदीप सरदेसाई के इस बदले सुर से सभी हैरान हैं। अपनी ही बात से पलट गए हैं। पहले उन्होंने जल्दी सुनवाई ख़त्म करने का स्वागत किया था, अब वह पूछ रहे हैं कि इतनी जल्दी भी क्या है? राजदीप सरदेसाई अक्सर अपने शो में लोगों से पूछते रहते हैं कि वहाँ मंदिर और मस्जिद की जगह हॉस्पिटल या अस्पताल क्यों नहीं बनाया जाए? वह अपनी इस सोच को समय-समय पर प्रोग्रेसिव भी घोषित करते रहे हैं।