सीजेआई रंजन गोगोई ने पहले ही साफ़ कर दिया था कि कि पूरा जजमेंट पढ़ने में आधा घंटा लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का दावा ख़ारिज कर दिया। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संतुलन बनाए रखना चाहिए और लोगों की आस्था में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने शिया समुदाय का भी दावा ख़ारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा का सूट केवल मैनेजमेंट का है, वो सहबैत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि राम जन्मभूमि कोई ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बनी थी, वहाँ कोई न कोई स्ट्रक्चर था। उससे पहले वहाँ जो भी स्ट्रक्चर था, वो इस्लामिक नहीं था। अर्थात, बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बनी थी।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएसआई ने इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कहा है कि वहाँ हिन्दू मंदिर को तोड़ कर ही मस्जिद बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहाँ क्या था, इस सम्बन्ध में अकेले एएसआई के आधार पर फ़ैसले पर निर्णय नहीं लिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से पता चलता है कि वहाँ दोनों धर्मों के लोग प्राथना करते आ रहे थे।
There is adequate material in ASI report to conclude the following:
— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
Babri Masjid not constructed on vacant land. There was a structure underlying the disputed structure.
The underlying structure was not an Islamic structure, Supreme Court.#BabriMasjid #AYODHYAVERDICT
सुनवाई के मद्देनज़र भारत के कई हिस्सों में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है और संवेदनशील इलाक़ों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस सोशल मीडिया पर लगातार नज़र रख रही है और अफवाह फैलाने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपील कर चुके थे कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को शांति से स्वीकार किया जाना चाहिए। आज सीजेआई कोर्टरूम का दरवाजा जैसे ही खुला, तभी वकीलों और पत्रकारों की भीड़ अंदर जाने के लिए बेचैन हो उठी। सुप्रीम कोर्ट के इर्द-गिर्द भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे।
राम मंदिर मामले में चल रही सुप्रीम कोर्ट की नियमित सुनवाई 6 अगस्त को शुरू हुई थी। 40 दिनों की नियमित सुनवाई के बाद सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने 16 अक्टूबर को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। सीजेआई गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में तय था कि फ़ैसला उससे पहले ही सुनाया जाएगा। इस पीठ में उनके अलावा भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोड़बे, जस्टिस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस वाई चंद्रचूड़ शामिल थे। अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के साथ ही तस्वीर साफ़ हो गई है।