शादी का वादा करके रेप करने के आरोपों वाले बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी का वादा करके शारीरिक बनाना झूठा है, क्योंकि बाद में दोनों ने शादी कर ली थी। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने आरोपित के खिलाफ दर्ज रेप की एफआईआर को रद्द करने का आदेश दे दिया।
कोर्ट ने माना कि मामला सहमति वाले संबंध का है और आखिरकार दोनों की शादी भी हो गई। इसलिए झूठे वादे का आरोप में आधार नहीं है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की खंडपीठ ने कहा, “आरोप है कि झूठे वादे के कारण शारीरिक संबंध बने। ये आरोप निराधार है क्योंकि उनका रिश्ता बाद में विवाह में बदल गया।”
अदालत ने यह भी कहा, “यह ऐसा मामला है, जहाँ एफआईआर में लगाए गए आरोप ऐसे हैं कि बयानों के आधार पर कोई भी विवेकशील व्यक्ति कभी भी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकता है कि अपीलकर्ता के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार है।”
दरअसल, यह पूरा मामला तीसरे पक्ष यानी लड़की के पिता द्वारा दायर शिकायत पर आधारित है। दरअसल, लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि आरोपित दिल्ली में आईआईटी कोचिंग क्लासेस चला रहा है। उसकी बेटी और आरोपित मिले और एक-दूसरे से प्रेम करने लगे। इसके बाद आरोपित ने पीड़िता को शादी का आश्वासन दिया और बाद में आर्य समाज मंदिर से विवाह का प्रमाण पत्र तैयार करा लिया।
लड़की के पिता ने अपने आरोप में आगे कहा कि आरोपित लड़के ने धोखाधड़ी करके उसकी पीड़िता बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर रखा। इसके बाद आरोपित ने पीड़िता को उसके पिता के घर पर छोड़ दिया। इसके बाद आरोपित के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। इसको लेकर आरोपित लड़के ने हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने की अर्जी दी, लेकिन हाईकोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद आरोपित ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान अपीलकर्ता के वकील ने 25 साल की पीड़िता द्वारा जारी की गई एक नोटिस का हवाला दिया। इस नोटिस में पीड़िता ने स्वीकार किया है कि उसके और अपीलकर्ता आरोपित के बीच विवाह संपन्न हुआ था।
अदालत ने कहा कि नोटिस के अनुसार, पीड़िता को अपीलकर्ता की पत्नी बताया गया है। नोटिस में यह भी स्वीकार किया गया कि अपीलकर्ता और पीड़िता के बीच विवाह संपन्न हुआ था। नोटिस में ये आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता ने पीड़िता को अपने घर से इस आधार पर भगा दिया कि उसके पिता ने 50 लाख रुपए चाहते थी। इस प्रकार, उस नोटिस द्वारा पीड़िता ने अपीलकर्ता से ‘तलाक’ की व्यवस्था करने के लिए कहा था।