Sunday, December 22, 2024
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जामिया हिंसा में हाथ सेंकने ट्विटर पर लौट आए अनुराग कश्यप, स्वरा भास्कर ने भी उगला जहर

"अब बहुत हो चुका... और ज्यादा खामोश नहीं बैठ सकता। ये बहुत फासीवादी सरकार है... मुझे बहुत गुस्सा आता है इस बात पर कि वो लोग जो बदलाव ला सकते हैं वे खामोश बैठे हैं।"

तारीख थी 9 अगस्त 2019 की। ‘डरा हुआ शांतिप्रिय नैरेटिव’ गढ़ने में शुमार रहे फिल्मकार अनुराग कश्यप ने अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया था। यह कहते हुए कि “आप सभी की ख़ुशी और सफलता की कामना करता हूँ। यह मेरा आख़िरी ट्वीट है क्योंकि मैं ट्विटर अकाउंट डिलीट कर रहा हूँ। जब मुझे मेरे दिमाग में जो चल रहा है वो बिना डर के बोलने नहीं दिया जाएगा तो बेहतर है मैं कुछ भी ना बोलूँ। गुड बॉय।” यह कदम उन्होंने नेटफ्लिक्स पर सेक्रेड गेम्स का दूसरा सीजन रिलीज होने से पहले उठाया था।

लेकिन, जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसा होते ही उन्होंने ट्विटर से अपना स्वयंभू निर्वासन समाप्त कर दिया है। आते ही अपने मनपसंद काम में जुट गए हैं। ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ को बचाने के लिए मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस पर भड़ास निकाली है। उनके साथ स्वरा भास्कर सहित बॉलीवुड का पूरा सिकुलर गैंग मोर्चे पर लग गया है।

जामिया के छात्रों को रोकने के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों की निंदा करते हुए अनुराग कश्यप लिखते हैं, “अब बहुत हो चुका… और ज्यादा खामोश नहीं बैठ सकता। ये बहुत फासीवादी सरकार है… मुझे बहुत गुस्सा आता है इस बात पर कि वो लोग जो बदलाव ला सकते हैं वे खामोश बैठे हैं।”

सोशल मीडिया पर वायरल होती तस्वीरों और वीडियोज़ से आहत तापसी पन्नू ने पूछा है ये शुरुआत है या अंत। वे लिखती हैं, “आश्चर्य है कि यह एक शुरुआत या अंत है। चाहे जो भी हो, निश्चित तौर पर इससे कानून के नए नियम लिखे जा रहे हैं, जो इसमें फिट नहीं है वह बहुत अच्छे से इसका परिणाम देख सकता है। इस वीडियो ने सबका दिल और उम्मीद एक साथ तोड़ा है। अपरिवर्तनीय क्षति, और मैं सिर्फ जीवन और संपत्ति के बारे में बात नहीं कर रही हूँ।”

जामिया में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ हुई हिंसा के मुद्दों पर मनोज वाजपेयी ने ट्वीट कर कहा, “ऐसा वक्त हो सकता है जब हम अन्याय को रोकने के लिए शक्तिहीन होते हैं, लेकिन किसी भी समय ऐसा नहीं होना चाहिए जब हम विरोध करने में विफल हों। विरोध करने के लिए छात्रों और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ हूँ! मैं प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ हिंसा की निंदा करता हूँ!!!”

फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्र ट्वीट कर लिखते हैं, “साल 1987 में मैंने एक फिल्म बनाई थी, जिसका नाम ‘ये वो मंजिल तो नहीं’ था। इस फिल्म की पृष्ठभूमि थी कि क्लाइमेक्स में पुलिस कॉलेज कैंपस के अंदर प्रवेश करती है और बच्चों को मारती है। अब भी कुछ नहीं बदला। ये जानना भयावह है फूल मसल दिए गए हैं।” वहीं फिल्म एक्ट्रेस कोंकाणा सेन भी लिखती हैं कि वो छात्रों के साथ हैं और दिल्ली पुलिस को शर्म आनी चाहिए।

इधर, कम से समय में बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने वाले राजकुमार राव लिखते हैं, “पुलिस ने छात्रों के साथ व्यवहार में जो हिंसा दिखाई, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूँ। लोकतंत्र में नागरिकों को शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है। मैं सार्वजनिक संपत्तियों के विनाश के किसी भी प्रकार के कार्य की निंदा करता हूँ। हिंसा किसी भी चीज का हल नहीं है।”

हाल ही में आर्टिकल 15 को लेकर चर्चा में रहे आयुष्मान खुराना लिखते हैं, “स्टूडेंट जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसे देखकर मैं बहुत विचलित हूँ। मैं इसकी निंदा करता हूँ। हम सभी को प्रोटेस्ट करने का अधिकार है। पर किसी भी प्रकार से प्रोटेस्ट वायलेंट नहीं होना चाहिए और सार्वजनिक संपत्तियों का ख्याल रखना चाहिए। यह गलत है। प्यारे देश वासियों यह गाँधी की भूमि है। अहिंसा अपनी चीजों को एक्सप्रेस करने का तरीका होना चाहिए। डेमोक्रेसी में हमारी आस्था होनी चाहिए।”

अक्सर सरकार की नीतियों से असहमत रहने वाली स्वरा भास्कर इस विषय पर लिखती हैं कि दिल्ली के जामिया में आँसू गैस के गोले छोड़े गए। कई छात्रों के साथ अपराधियों के जैसा सलूक किया जा रहा है? हॉस्टलों में आँसू गैस छोड़ी जा रही है? दिल्ली पुलिस ये क्या चल रहा है? ये सब हैरान करने वाला और शर्मनाक है। आपको शर्म आनी चाहिए दिल्ली पुलिस।

अली फजल इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखते हैं, ” मेरे बहुत सारे साथी हैं जो इस पर नहीं बोल रहे। लेकिन मैं दुआ करता हूँ कि हमें जल्द से जल्द एहसास हो कि इंसानियत से ऊपर कोई जॉब कोई करियर नहीं हैं। इसलिए अपनी राजनैतिक विचारधारों से परे अभी सोचो! और समय कम है इसलिए जल्दी प्रतिक्रिया दो।”

बता दें इस छात्रों के समर्थन में आकर दिल्ली पुलिस की निंदा करने वालों की सूची में विक्की कौशल भी शामिल हैं। जिन्होंने अपने ट्वीट के जरिए चिंता व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, “जो हो रहा है वह ठीक नहीं है। जिस तरह से ये हो रहा है वो भी ठीक नहीं है। लोगों को शांतिपूर्वक अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है। यह हिंसा और व्यवधान दोनों दुखद है और एक साथी नागरिक होने के नाते उसी के विषय के बारे में है। किसी भी परिस्थिति में, लोकतंत्र से हमारा विश्वास नहीं टूटना चाहिए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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