सुप्रीम कोर्ट से रिटायर जस्टिस इंदु मल्होत्रा का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। इस वीडियो में वह दावा कर रही हैं कि वामपंथी सरकारों ने हर जगह हिंदू मंदिरों पर कब्जा कर लिया है।
वीडियो में पूर्व जस्टिस को ये कहते सुना जा सकता है कि उन्होंने और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर से जुड़े ऐसे ही एक आदेश पर रोक लगवाई थी।
A very brave judge who took a strong Dharmic stand on Sabarimala with her dissenting judgement knowing very well that she’ll be condemned as a traitor. CJI U.U. Lalit & her also gave the verdict freeing Shri Padmanabhaswamy temple from the communist control(to some extent). pic.twitter.com/vgrn9XDCbt
— Syamkrishnan (@Kamathshri) August 28, 2022
वीडियो संभवत: मंदिर परिसर के बाहर का है, जिसे इस समय कई लोग शेयर कर रहे हैं और पूर्व जस्टिस की तारीफ हो रही है। इसमें वह कहती हैं,
“इन वामपंथी सरकारों के साथ ऐसा ही है। ये लोग सिर्फ राजस्व को हड़पना चाहते हैं। वे सिर्फ राजस्व के कारण कब्जा करना चाहते हैं। उनकी समस्या राजस्व है। सभी पर उन्होंने कब्जा कर लिया है। सब कुछ पर। लेकिन केवल हिंदू मंदिर पर। इसलिए न्यायमूर्ति ललित और मैंने ऐसा होने से रोक दिया था।”
इस वीडियो के वायरल होने के बाद जहाँ कुछ लोग पूर्व जस्टिस की हिम्मत को सलाम कर रहे हैं। वहीं कुछ वामपंथी इसे देख विचलित हैं। उनका कहना है कि सोचिए जब इंदु मल्होत्रा के पास केस आता होगा तो वो कितना पक्षपात करती होंगी। कुछ लोग उन्हें हिंदुत्व का जहर बता रहे हैं
Indu Malhotra is a Hindu communal venom. She said, the communist govt is taking over the management of temples in Kerala in order to appropriate revenue out of them.
— Ila🌿 (@VenalThumbi) August 28, 2022
She is also anti-women as evidenced by her opposition to SC’s verdict in the Sabarimala women entry case. https://t.co/VeGtvjDYwM
पद्मनाभस्वामी मंदिर से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला
गौरतलब है कि पूर्व जस्टिस केरल के जिस श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में बात कर रही हैं, उसके प्रशासन और उसकी संपत्तियों के अधिकार को लेकर जुलाई 13, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर राजपरिवार के अधिकार को बरकरार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे और मुख्य कमिटी के गठन तक यही व्यवस्था रहेगी। कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट कहा था कि मुख्य कमिटी में राजपरिवार की अहम भूमिका रहेगी।
कौन हैं पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा?
बता दें कि रिटायर जस्टिस इंदु मल्होत्रा पहली एक ऐसी महिला अधिवक्ता रहीं, जो वकील से सुप्रीम कोर्ट की जज बनाई गईं थीं। वह सबरीमाला मामले में फैसले के समय पीठ की अकेली ऐसी जज थीं जिन्होंने मंदिर के भीतर महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने से ज्यादा धार्मिक हितों की सुरक्षा का समर्थन किया था।
इसके अलावा वह समलैंगिक यौन संबंध मामले में फैसला सुनाने वाली पीठ का भी हिस्सा थीं। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था।
पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा 31 अक्टूबर 2021 को अपने पद से सेवानिवृत्त हुई थीं और इस वर्ष पंजाब में चुनाव से पहले जो नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला आया था उसकी जाँच भी इंदु मल्होत्रा को दी गई थी।