नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दलितों और आदिवासियों ने सर्वोच्च न्यायालय और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है। इसमें वरवरा राव को जमानत देने पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही जस्टिस शिंदे के खिलाफ भी जाँच की माँग की गई है। बता दें कि जस्टिस शिंदे, उन जजों में से एक हैं, जिन्होंने एल्गार परिषद-भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले के आरोपित वरवरा राव को जमानत दी थी।
यह पत्र ‘कम्युनिस्ट हिंसा पीड़ित आदिवासी दलित संघर्ष कमिटी’ की तरफ से लिखा गया है। यह समिति मध्य प्रदेश के बालाघाट से है। पत्र में समिति ने दावा किया है कि वरवारा राव को जमानत देने के फैसले से नक्सली हिंसा के शिकार दलित और आदिवासी पीड़ा में हैं।
समिति ने पत्र में उल्लेख किया है कि वरवरा राव माओवादी है और देश भर में हिंसक माओवादियों का खुलेआम वकालत और समर्थन करता है। पत्र में न्यायमूर्ति शिंदे और उनके परिवार के सदस्यों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आकर रहने और माओवादियों के अत्याचारों को देखने के लिए कहा गया है।
इसके अलावा, समिति ने न्यायमूर्ति शिंदे द्वारा ‘अर्बन नक्सल’ वरवरा राव को दी गई जमानत आदेश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निगरानी जाँच की भी माँग की है। समिति ने शीर्ष अदालत से यह भी कहा है कि वह अवैध संपत्ति रखने के लिए शिंदे की जाँच के लिए आयकर विभाग को निर्देश दे। समिति ने शीर्ष अदालत से यह भी आग्रह किया है कि वह न्यायमूर्ति शिंदे की अध्यक्षता वाले मामलों की जाँच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की एक समिति नियुक्त करे।
पत्र में कहा गया है, “हम सभी नक्सल पीड़ित लोग आपसे दरख्वास्त करते हैं कि जज शिंदे द्वारा आज तक सुनवाई किए हुए मामलों की सर्वोच्च न्यायालय के जजों की कमिटी द्वारा जाँच हो तथा जज शिंदे द्वारा आज तक अर्जित की गई संभाव्य अवैध संपत्ति की जाँच इनकम टैक्स विभाग द्वारा करने की अनुशंसा सर्वोच्च न्यायालय करे।”
पिछले हफ्ते, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 6 महीने के लिए चिकित्सा आधार पर 81 वर्षीय कवि-कार्यकर्ता और भीमा कोरेगाँव मामले के आरोपित वरवरा राव को जमानत दी। यह आदेश न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और मनीष पितले की पीठ ने पारित किया था।
राव को नवंबर 2018 में भीमा कोरेगाँव मामले के संबंध में नौ अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था, जिसे पुणे पुलिस ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को स्थानांतरित कर दिया था। जुलाई 2020 में, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने राव पर आरोप लगाया था कि उन्होंने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत के लिए आवेदन करने के बाद कोरोना वायरस के प्रकोप का अनुचित लाभ उठाने का प्रयास किया था।