Tuesday, November 5, 2024
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कौन ख़रीदेगा उसकी गढ़ी हुई माँ शारदा की मूर्तियाँ, CAA का समर्थन करने पर नीरज को मिली मौत

अभी सरस्वती पूजा आने वाली है। नीरज ने कई मूर्तियाँ अपने हाथों से गढ़ी थी। सरस्वती पूजा के कारण उम्मीद थी कि कमाई अच्छी होगी लेकिन उससे पहले परिवार पर ये कहर टूट पड़ा। नीरज के बड़े भाई भी हैं, जो उसके कामकाज में उसका सहयोग करते थे।

झारखण्ड में लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकली रैली जैसे ही मुस्लिमों के मोहल्ले तक पहुँची, मस्जिद से ताबड़तोड़ पत्थर चले। कॉन्ग्रेस दफ्तर से भी निर्दोष लोगों पर पत्थरबाजी की गई। स्थिति ये हो गई कि रैली में शामिल 15,000 लोगों में भगदड़ मच गई। मुस्लिम महिलाएँ छत से मिर्ची पाउडर और गर्म पानी डाल रही थी, जिसकी जद में आकर कई लोग घायल हुए। नीरज प्रजापति भी रैली में शामिल थे, जिनके सिर पर पीछे से लोहे की रॉड से वार किया गया। क़रीब 5 दिन तक चले इलाज के बाद राँची के रिम्स में उनकी मृत्यु हो गई।

नीरज के माता-पिता वृद्ध हैं और बीमार रहते हैं। उनके पिता रिटायर्ड शिक्षक हैं और कई दिनों से बिस्तर पर हैं। उनके पेंशन के अलावा इन लोगों की पेंटिंग व मूर्तिकारी की दुकान से जो रुपए आते थे, उससे घर का गुजरा चलता था। अभी सरस्वती पूजा आने वाली है। नीरज ने कई मूर्तियाँ अपने हाथों से गढ़ी थी। सरस्वती पूजा के कारण उम्मीद थी कि कमाई अच्छी होगी लेकिन उससे पहले परिवार पर ये कहर टूट पड़ा। नीरज के बड़े भाई भी हैं, जो उसके कामकाज में उसका सहयोग करते थे। लेकिन घर की कमाई का पूरा जिम्मा नीरज ने ही उठाया हुआ था।

नीरज के एक पड़ोसी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि वो उस परिवार की ‘रीढ़ की हड्डी’ की तरह थे। किसी को भी पुलिस फ़िलहाल परिजनों से मिलने नहीं दे रही है। पड़ोसी ने बताया कि नीरज के बड़े भाई की दिमागी हालत ऐसी नहीं है कि वो इतने बड़े दुःख का पहाड़ झेल सकें। नीरज की पत्नी भी हैं, जिन पर पुलिस बयान बदलने का दबाव बना रही है। वो अपने पीछे दो बच्चों को छोड़ गए हैं। एक 9 साल की बेटी है और एक 3 सक का बेटा भी है। पड़ोसियों ने ऑपइंडिया ने बताया कि नीरज ने कई मूर्तियाँ बनाई थीं, जो अब कैसे बिकेगा, ये सबसे बड़ा प्रश्न है।

जहाँ तक लोहरदगा की बात है, वहाँ कर्फ्यू में सोमवार (जनवरी 27, 2020) को दो घंटे की ढील दी गई थी लेकिन नीरज की मौत के बाद फिर से कर्फ्यू में सख्ती लाइ गई। परिजनों पर पुलिस दबाव बना रही है कि नीरज का अंतिम संस्कार राँची में ही किया जाए और उनके पार्थिव शरीर को लोहरदगा न ले जाया जाए। सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने और परिजनों को न्याय दिलाने की बजाय प्रशासन ‘हालात बिगड़ने’ की बात कह के नीरज के अंतिम संस्कार को लेकर अपनी मनमानी चलना चाह रहा है।

नीरज की भाभी को ब्रेस्ट कैंसर है। ऐसे में एक रिश्तेदार ने ऑपइंडिया ने बताया कि उनकी मौत के बाद रिश्तेदार लोग ही पूरा जिम्मा संभाल रहे हैं क्योंकि परिवार में कोई भी ऐसा नहीं है जो स्थिति ने निपट सके। रिश्तेदार लोग असमंजस में हैं कि दाह संस्कार कैसे और कहाँ होगा। नीरज को मौत के बाद उनके साले संतोष को फोन किया गया, जो राँची पहुँचे और उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया। अपने बयान में उन्होंने पुलिस व प्रशासन पर अफवाह फैलाने और झूठ बोलने का आरोप लगाया।

झारखण्ड बजरंग दल ने ऑपइंडिया को बयान देते हुए कहा कि नीरज की मौत की जाँच सही तरीके से नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। नीरज का घर लोहरदगा के ‘रघुनन्दन लेन’ में स्थित है, जहाँ ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। बजरंग दल के पदाधिकारियों ने सवाल उठाया कि ऐसा क्या है जिसे पुलिस व प्रशासन छिपा रहा है?

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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