उत्तराखंड के हल्द्वानी में स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने जो किया उसका दंश कई महीनों तक लोगों को झेलना पड़ेगा। नैनीताल के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में अवैध कब्जे को हटाने के लिए प्रशासन क्या पहुँचा, भीड़ ने थाना और पेट्रोल पंप ही फूँक डाला। पुलिसकर्मियों को ज़िंदा जलाने की कोशिश की गई। लोगों को मारा-पीटा गया। पत्थरबाजी और गोलीबारी हुई। महिला पुलिसकर्मियों तक को नहीं छोड़ा गया, आरोप है कि उनके कपड़े तक फाड़े गए।
अब एक स्थानीय पत्रकार ने बताया है कि कैसे मुस्लिम नाम वालों को छोड़ दिया गया और उनसे मारपीट नहीं की गई। अस्पताल में इलाज कराने आए ‘HNN न्यूज़’ के घायल पत्रकार पंकज सक्सेना से ऑपइंडिया ने बातचीत की, जिन्होंने बताया कि भीड़ नाम पूछ-पूछ कर मार रही थी, मुस्लिम होने पर छोड़ दिया जा रहा था। उनके हाथ और पाँव में फ्रैक्चर हुआ है। उनके पाँव में जहाँ प्लास्टर लगा है, वहीं हाथ में भी उन्होंने बैंडेज पहन रखा गया। पंकज सक्सेना गुरुवार (8 फरवरी, 2024) वाली घटना में ही घायल हुए।
उन्होंने बताया कि बतौर पत्रकार वो मीडिया के अन्य साथियों के साथ अवैध मदरसा-मस्जिद को तोड़ने के लिए आई प्रशासन की टीम को कवर करने पहुँचे थे। उन्होंने बताया कि वहाँ पहले से साजिश रच कर 8-10 हजार लोग खड़े थे, जिन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पेट्रोल बम फेंकने लगे। उन्होंने बताया कि फिर शाम को बिजली काट कर पत्थरबाजी शुरू की गई। पेट्रोल बम के जरिए जान से मारने का षड्यंत्र था। उन्होंने कहा कि जब गलियों से भाग रहे थे तब घायल हुए।
उन्होंने बताया कि दोनों तरफ से आगजनी कर के पीड़ितों को घेर लिया गया था। बकौल पंकज सक्सेना, घेरने के बाद भीड़ ने ऊपर से पत्थरबाजी शुरू की। उन्होंने इसकी पुष्टि की कि महिला पुलिसकर्मियों के साथ भी बदसलूकी की गई। पंकज सक्सेना इस दौरान बेहोश हो गए थे। उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए गाँधीनगर वालों को धन्यवाद दिया। उनलोगों ने ही बचा कर उन्हें अस्पताल में पहुँचाया। गाँधीनगर वालों ने कई पुलिस वालों और मीडिया वालों को बचाया, महिला पुलिसकर्मियों को कपड़े दिए।
"नाम पूछ कर मारा… जो मुस्लिम थे, उन्हें छोड़ दिया"#HaldwaniMuslimMobAttack से बच कर आए पत्रकार ने सुनाई आपबीती@STVRahul की पूरी #GroundReport जल्द ही pic.twitter.com/LPOTalYtuL
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) February 12, 2024
घायल पत्रकार पंकज सेना ने बताया कि सरकार खर्च से उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि दंगाई कह रहे थे कि अपना नाम बताइए, कई पत्रकारों को छोड़ दिया गया क्योंकि वो उनकी बिरादरी से थे। पत्रकार ने बताया कि उनका एक 8 साल का बेटा भी है, अगर उन्हें बचा कर नहीं लाया जाता तो उनकी लाश ही आती। पंकज सक्सेना को चलने में भी तकलीफ है। उन्हें किसी का सहारा लेकर चलना पड़ रहा है। वो इस हमले में बुरी तरह जख्मी हुए हैं।