Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजसफूरा जरगर को मिली बेल: आखिर मोदी सरकार ने 'शैतान' के साथ 'मानवीयता' क्यों...

सफूरा जरगर को मिली बेल: आखिर मोदी सरकार ने ‘शैतान’ के साथ ‘मानवीयता’ क्यों दिखाई?

वामपंथियों की हमेशा से चाल रही है कि वो नैरेटिव जीतने के लिए ही सही, स्वयं को भी नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति वाले हैं। इसी कारण इस प्रकरण को ऐसे भी देखा जाना चाहिए कि सरकार ने ऐसी किसी भी आशंका से बचने के लिए बेल के लिए स्वीकृति दी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को जमानत दे दी है। बता दें कि दिल्ली दंगा भड़काने में सफूरा जरगर मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। जफूरा के कई वीडियो उपलब्ध हैं, जिसमें वो कश्मीर को आजादी, केरल को आजादी, बिहार को आजादी और इंकलाब की बातें करती है।

इसके अलावा जफूरा के खिलाफ सबूत हैं कि ये जाफराबाद से महिलाओं की टोली को शाहीनबाग लाती थी और दंगे से पहले जाफराबाद में जो जाम लगा था, वहाँ भी ये सक्रिय रूप से उपस्थित थी और लोगों को उकसा रही थी।

ऐसे लोग जब हार जाएँगे तो सबूत के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना बढ़ जाती है। इसके बावजूद इसे बेल दी गई। आज दिल्ली पुलिस की तरफ से सरकार का पक्ष रख रहे सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्वयं कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, इसे बेल दे दिया जाए।

सफूरा जरगर की जमानत पर अजीत भारती का नजरिया

ये वही सफूरा है, जिसने कहा था कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ‘आतंकी’ हैं और अगर इसके लिए अगर हमें जेल में भी डालें तो मैं तैयार हूँ। सफूरा आजादी और इंकलाब की बातें करती है, जो कि वामपंथियों का पसंदीदा टॉपिक है। अगर आपको कोई भी वामपंथी आजादी का नारा लगाता दिखे तो इसका मतलब 15 अगस्त वाले स्वतंत्रता से नहीं है, इसका एक ही मतलब है- हिंदुओं से आजादी। ये नारा कश्मीर से चलता आ रहा है। जहाँ पर कट्टरपंथियों ने हिंदुओं का नरसंहार किया।

मुख्य तौर पर ये चाहते हैं कि हिंदुओं को देश से ही निकाल दिया जाए और इनको अपना देश बनाने की आजादी दी जाए, इन्हें अलग वोटिंग का अधिकार मिले। ये देश के टुकड़े-टुकड़े करना चाहते हैं। ये सफूरा उसी टुकड़े-टुकड़े गैंग की सदस्य या शायद सरगना है। आपने शाहीन बाग का छलावा देखा है, जहाँ पर हिंदुत्व की कब्र खोदने की बात होती है, बुर्का में माँ काली को दिखाया जाता है, फक हिंदुत्व के पोस्टर लगाए जाते हैं, स्वास्तिक को छिन्न-भिन्न करते दिखाया जाता है।

सफूरा को बेल क्यों दिया गया, इस बारे में जब हमने गृह मंत्रालय के सूत्रों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने हमें कई बातें बताई। उन्होंने बताया कि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने खुद लिखकर दे दिया कि ‘मानवीयता के आधार पर’ इसे बेल दे दिया जाए। और वो मानवीय आधार है उसका प्रेगनेंट होना।

तुषार मेहता ने जफूरा की जमानत के लिए पहली शर्त यही रखी कि आगे किसी को इस आधार पर बेल ना दिया जाए, जिसे कोर्ट ने मान लिया। वामपंथियों की हमेशा से चाल रही है कि वो नैरेटिव जीतने के लिए ही सही, स्वयं को भी नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति वाले हैं।

इसी कारण इस प्रकरण को ऐसे भी देखा जाना चाहिए कि सरकार ने ऐसी किसी भी आशंका से बचने के लिए बेल के लिए स्वीकृति दी। ये लोग ऐसा करते रहे हैं, लोगों को गायब करना, मोलेस्टर और बलात्कारियों को बचाना, स्वयं का ही सर फोड़ कर सरकार पर आरोप मढ़ना इनकी दिनचर्या है।

अतः, गृह मंत्रालय के सूत्रों द्वारा दिए गए इस दृष्टिकोण को जब हम इनके पुराने कुकर्मों को देखते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार ने एक योजनाबद्ध तरीके से वामपंथियों का मुँह बंद करने के लिए एक तीर से दो शिकार किया है।

अगर दिल्ली पुलिस चाहती तो उसे बेल नहीं मिलती लेकिन सरकार ने कुछ सोचकर ही ये निर्णय लिया है। वामपंथियों और उनके गिरोह को ये बात नहीं भूलना चाहिए कि जिस कानून-व्यवस्था में उन्हें यकीन नहीं है, आज उसी ने उन्हें मानवीय आधार पर जमानत दी। ये चीज वामपंथियों को याद रखना चाहिए।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अजीत भारती
अजीत भारती
पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी ने कार्यकर्ताओं से बातचीत में दिया जीत का ‘महामंत्र’, बताया कैसे फतह होगा महाराष्ट्र का किला: लोगों से संवाद से लेकर बूथ...

पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनको चुनाव को लेकर निर्देश दिए हैं।

‘पिता का सिर तेजाब से जलाया, सदमे में आई माँ ने किया था आत्महत्या का प्रयास’: गोधरा दंगों के पीड़ित ने बताई आपबीती

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने और 59 हिंदू तीर्थयात्रियों के नरसंहार के 22 वर्षों बाद एक पीड़ित ने अपनी आपबीती कैमरे पर सुनाई है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -