उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक प्राचीन शिव मंदिर का रास्ता एक साजिश के तहत बंद किए जाने का आरोप लगा है। इलाके के हिन्दुओं का कहना है कि पहले जो मंदिर दूर से ही मंदिर दिख जाता था, अब वह दिखता भी नहीं है। इसके लिए वे स्थानीय मुस्लिम समुदाय के जबरन अतिक्रमण को जिम्मेदार ठहराते हैं। बजरंग दल का कहना है कि इस साजिश की शुरुआत साढ़े 3 दशक पहले ही हो गई थी और मंदिर फ़िलहाल बंद है।
गोटेशाह चुंगी में स्थित इस शिव मंदिर को लेकर स्थानीय हिन्दुओं में आस्था है। बजरंग दल ने प्रशासन से जल्द इसका समाधान करने की माँग की है। VHP के स्थानीय कार्यकर्ता सचिन मित्तल का कहना है कि प्रान्त मठ प्रमुख आचार्य कमल किशोर के नेतृत्व में जिलाधिकारी (DM) अखिलेश सिंह को ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें विनती की गई है कि मंदिर का कपाट खुलवाने की व्यवस्था जल्द की जाए।
बजरंग दल ने तो यहाँ तक चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने कोई उपाय नहीं निकाला तो दिसंबर 1992 की तरह श्रद्धालु कारसेवा करने के लिए मजबूर हो जाएँगे। ‘धोबी वाली गली’ में गोटेशाह मजार के पास ये प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, लेकिन पते पर जाने के बावजूद दिखाई नहीं देता। स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि अतिक्रमण कर इसे चारों ओर से घेर लिया गया है।
स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि मंदिर मकान की छतों से ही दिखाई देता है। वो कहते हैं कि आज से 27 वर्ष पूर्व में ये मंदिर लाला धूलि चंद की संपत्ति हुआ करती थी, लेकिन उसके बाद इसे खरीद लिया गया। मंदिर की बाउंड्री और गेट के आगे गैलरी उन्होंने ही निर्माण कराया था, लेकिन उनके परिवार के भी किसी ने मंदिर की सुध नहीं ली। लाला जी के निधन के बाद उनका परिवार अब इंग्लैंड में रहता है।
इस संबंध में पुलिस ने बताया, “उक्त प्रकरण में क्षेत्राधिकारी नगर द्वितीय, सिटी मजिस्ट्रेट व थाना प्रभारी मंडी द्वारा मौके जाकर वार्तालाप की गई है तथा राजस्व विभाग द्वारा पूरे प्रकरण की नियमानुसार जाँच की जा रही है। जाँच उपरांत तथ्यों के आधार पर आवश्यक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।”
ऑपइंडिया ने जब स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रशासन के लोग हाल में सक्रिय हुए हैं और गुरुवार (दिसंबर 3, 2020) को मजिस्ट्रेट और सीओ जाँच के लिए वहाँ पहुँचे थे। इसके बाद तहसील की टीम ने भी वहाँ का दौरा कर के स्थिति को समझा। जहाँ मंदिर स्थित है, उस भूमि का खेसरा संख्या 792/2, 00472 और रकबा 0.0820 है। आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कारखाना बना कर मंदिर का रास्ता ब्लॉक कर दिया है।
विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल की माँग है कि न सिर्फ मंदिर कार्य में बाधा डालने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, बल्कि उनके खिलाफ भू-माफिया एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया जाए। ऑपइंडिया के पास उस ज्ञापन की कॉपी है, जिसे डीएम को दिया गया। इसमें मंदिर का पता ‘प्राचीन शिव मंदिर, गोटे शाह की चुंगी, धोबी वाली गली में स्थित मंडी समिति रोड’ बताया गया है। ज्ञापन में हिन्दू संगठनों ने लिखा है:
“कुछ मुस्लिम लोगो के द्वारा यहाँ एक विशेष समुदाय वाला माहौल बना देने के कारण हिन्दू परिवारों को कुछ समय पहले यहाँ से पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। यहाँ लोगों ने मंदिर को चारों तरफ़ अपने कारखानों की अस्थायी दीवारे खड़ी कर मंदिर के रास्ते को बंद कर दिया, जिससे मंदिर में आने-जाने वाले लोगो का रास्ता ब्लॉक हो गया। इससे हिन्दू समाज बहुत आहत है। विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ता सख्त चेतावनी के साथ ये ज्ञापन देते हैं कि अगर 48 घंटों के अंदर मंदिर को नही खोला गया और मंदिर की जगह पर कब्जा कर मंदिर कार्य को बाधित करने वाले लोगो के विरुद्ध भू-माफिया एक्ट में मुकदमे दर्ज न हुए तो हम सड़कों पर आएँगे और स्वयं मंदिर खुलवाएँगे।”
सहारनपुर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकताओं ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम समाज के लोगों ने न सिर्फ प्राचीन शिव मंदिर का रास्ता रोक दिया, बल्कि उसे चारों तरफ से घेर लिया।
— Anupam K Singh 🇮🇳 (@anupamnawada) December 6, 2020
सुनिए बजरंग दल के प्रांत संयोजक कपिल मोहडा से, जिन्होंने इस मामले को प्रशासन के समक्ष उठाया है। pic.twitter.com/mW2Bbzg36k
दोनों संगठनों ने प्रशासन को चेताया है कि अगर इलाके में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होती है तो उसकी पूर्ण जिम्मेदार शासन-प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से वो इस ज्ञापन के जरिए पहले ही चीजों से अवगत करा दे रहे हैं। ऑपइंडिया ने बजरंग दल के विभाग संयोजक कपिल मोहडा से बात की, जिन्होंने बताया कि घंटाघर स्थित हनुमान मंदिर में चालीसा पाठ के साथ-साथ आगे की रणनीति पर सिचार-विमर्श किया जा रहा है।
कपिल ने हमें बताया कि ये एक प्राचीन मंदिर है, जो लगभग 150 वर्ष पुराना है। उन्होंने बताया कि सड़क पर खड़े होकर भी मंदिर नजर नहीं आता है, स्थिति ऐसी बन गई है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से लगातार मंदिर का रास्ता बंद करने का क्रम चल रहा है। उन्होंने प्रशासन पर भी कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। उन्होंने चेताया कि दो दिनों के बाद हिन्दू कार्यकर्ता मंदिर के लिए कूच करेंगे।
उन्होंने बताया कि ये मुस्लिमों का इलाका है और आरोप लगाया कि यहाँ मंदिर में स्थित शिवलिंग को भी तोड़ डाला गया और मंदिर के जो पहले के दरवाजे थे, उन्हें ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि शिव मंदिर के बराबर में जो फैक्ट्रियाँ बनी हुई हैं, उन्हीं के मालिकों ने दीवारें बनवा कर मंदिर के रास्तों को बंद कर दिया। उन्होंने मंदिर पर कब्ज़ा करने वालों को ‘बाबर के वंशज’ करार दिया और कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो सहारनपुर में वापस 1992 की याद आएगी।
उन्होंने कहा, “ये देश बाबर की नीतियों से नहीं चलेगा। अगर हमारे मठ-मंदिर कब्जाने की इस तरह से कोशिश की जाएगी तो इसका हम अब मुहँतोड़ जवाब देंगे।” ऑपइंडिया के पास वो वीडियो भी है, जिसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि शिवलिंग को क्षतिग्रस्त किया गया। हिन्दू कार्यकर्ताओं ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने से मना किया हुआ है। इलाके में इस मुद्दे को लेकर तनाव व्याप्त है।
हिन्दू कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन के दौरान ‘मंदिरों पर कब्ज़ा करने वालों को, गोली मारों %$ को’ के नारे भी लगाए। उन्होंने ‘बजरंग दल के चीते हैं, अपने दम पर जीते हैं’ और ‘मठ-मंदिर के सम्मान में, बजरंग दल मैदान में’ के साथ-साथ ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए। हमने इस घटना के सम्बन्ध में विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल से भी बात की, जिन्होंने बताया कि इस प्रान्त में करीब 10 मंदिरों का यही हाल है।
उन्होंने कहा कि ये मंदिर एक बीघा के बड़े क्षेत्र में बनाया गया था और आसपास बड़ी संख्या में हिन्दू समाज के लोग रहते थे, लेकिन मुस्लिमों के व्यवहार के कारण उनका पलायन शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि मंदिर के आसपास अब कोई हिन्दू घर नहीं बचा है। केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें और फैक्ट्रियाँ हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय हिन्दू कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया गया है और प्रान्त महामंत्री नागेंद्र जी ने वहाँ का दौरा किया है।
विनोद बंसल ने ऑपइंडिया को बताया, “मंदिर के कैम्पस में भी मुस्लिम समाज के लोगों ने अपना अधिकार जमाने के लिए उसकी संपत्ति को नष्ट कर दिया। मूर्तियों को तोड़ा गया। उन्हें उठाया गया। मंदिर को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। कहानियाँ गढ़ी जा रही हैं कि ये व्यक्तिगत संपत्ति है और जिसकी है वो चले गए।” बंसल ने माना कि पुलिस-प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वो गंभीरता से इस मामले पर विचार करेंगे।
उन्होंने कहा कि समस्या ये है कि आमदनी का साधन न होने के कारण पुजारी चले जाते हैं तो वीरान मंदिरों के साथ ऐसा किया जाता है। साथ ही बताया कि इन चीजों को ध्यान में रखते हुए विहिप ऐसे मंदिरों की सूची मँगा रहा है, साथ ही स्थानीय समिति बना कर उन मंदिरों के प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी। विहिप इस बात से चिंतित है कि पुजारियों की कमी का फायदा उठा कर मंदिरों पर कब्ज़ा किया जा रहा है।
इससे पहले जानकारी सामने आई थी कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने 5000 ऐसे पुजारियों को प्रशिक्षित कर विभिन्न मंदिरों में नियुक्त किया है, जो एससी-एसटी (दलित) समुदाय से आते हैं। संगठन के निवेदन के बाद विभिन्न राज्य सरकारों ने भी अपने पैनल में इन पुजारियों को जगह दी है। खासकर दक्षिण भारत में संगठन को इस कार्य में खासी सफलता मिली है। अकेले तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में एससी-एसटी (दलित) समुदाय के 2500 पुजारियों को प्रशिक्षित किया गया है।