सैयद सलमान नदवी कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI को प्रतिबंधित करने के अपने बयान से पलट गए हैं। हाल ही में NSA अजीत डोभाल ने उनसे मुलाकात की थी। ‘ऑल इंडिया सूफी सज्दानशीं काउंसिल (AISSC)’ के सम्मेलन में ये मुलाकात हुई थी। इसी कार्यक्रम के दौरान अजीत डोभाल ने कहा था कि कुछ लोग धर्म के नाम पर कटुता फैलाने में लगे हैं, जिसका न सिर्फ देश पर विपरीत असर पड़ता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसके दुष्परिणाम आते हैं।
हाल ही में जारी किए गए एक वीडियो में सैयद सलमान नदवी ने कहा कि इस्लाम में आस्था रखने वाले हर उस व्यक्ति का कार्य है कि वो मिल्लत को जोड़े, उम्मत को जोड़े और कलमे की बुनियाद पर पूरी उम्मत में इत्तिफाक पैदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी अभियान के तहत उन्होंने उस कार्यक्रम में शिरकत की थी और उन्हें पता भी नहीं था कि PFI पर प्रतिबंध की जा रही है, न ही ऐसा कोई प्रस्ताव लाया गया और न ही इस पर किसी ने हस्ताक्षर किए।”
सलमान नदवी ने दावा किया कि PFI ढंग के काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर उसके किसी व्यक्ति की तरफ से ऐसी कोई गलती हुई जो कानून की नजर में गलत है, अगर उसके खिलाफ सबूत हो तो उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपराध किया है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए और कोई जुल्म नहीं होनी चाहिए। मौलाना ने कहा कि पूरी जमात को प्रतिबंधित किए जाने का कार्य नहीं होना चाहिए।
हैरान करने वाली बात ये है कि उन्होंने इस दौरान PFI और तबलीगी जमात जैसे संगठनों की तुलना RSS, VHP (विश्व हिन्दू परिषद) और ‘बजरंग दल’ से कर डाली। उन्होंने एक साथ इन सबका नाम लेते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के अपराध के लिए पूरे संगठन को बैन करने का कोई तुक नहीं। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति कुछ ऐसे बयान दे या कार्य करे जो कानून की नजर में गलत हो तो उसी पर कार्रवाई हो, पूरे संगठन को इसका दोष नहीं देना चाहिए।
इस दौरान PFI की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि संगठन कई अच्छे कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और समाज के क्षेत्र में PFI ने अच्छा कार्य किया है, लेकिन अगर उसके कुछ अपराध हद से आगे बढ़ गए हैं तो उस व्यक्ति पर कार्रवाई हो। ‘जमीयत शबाब इल-इस्लाम’ के अध्यक्ष ने इससे पहले कार्यक्रम में कहा था कि भारत में किसी भी धर्म के विरुद्ध घृणा या उत्तेजना के लिए कोई जगह नहीं है। अजीत डोभाल का इस मौलानाओं से मिलना ‘उदार मुस्लिमों’ के बीच मोदी सरकार की पहुँच स्थापित करने के रूप में देखा गया था।