उत्तर प्रदेश के संभल का मस्जिद जो आज इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा के लिए सुर्खियों में आया है वही मस्जिद 46 साल पहले एक हिंदू परिवार के नरसंहार मामले में केंद्र में था। उस समय अफवाह उड़ाई गई थी कि हिंदू ने इमाम को मार डाला और साधु मस्जिद में पूजा कर रहे हैं। इसी अफवाह के बाद हिंसा भड़की और नरसंहार को अंजाम दिया गया।
46 साल बाद उस बर्बरता की कहानी एक बार फिर दुनिया के सामने स्वराज्य की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा लेकर आई हैं। उन्होंने उस हिंदू परिवार के पीड़ितों से बात करके एक्स (ट्विटर) पर किए एक पोस्ट में बताया कि आखिर कैसे उस दिन मुस्लिम लीग के नेता मंजर शफी के समर्थकों ने अपना आतंक मचाया था। उस घटना में कुल 25 लोग मारे गए थे जिनमें से 23 हिंदू ही थे।
On 29 March 1978, when Muslim League leader Manzar Shafi’s followers unleashed violence (check my previous thread on it), Banwari Lal was in the compound
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
His workers and their relatives sought refuge in his compound, believing his stature would protect them
They were wrong
स्वाति अपने ट्वीट में बताती हैं कि 1978 में संभल के मस्जिद के नजदीक नक्शा बाजार के पास एक आटा मिल थी जोकि 4 बीघा में फैली हुई थी। ये मिल बनवारी लाल गोयल की थी और बनवारी संभल के प्रतिष्ठित लोगों में से एक थे। स्थानीय लोग उन्हें उनके न्यायपरक फैसलों के लिए न केवल जानते थे बल्कि अपने विवादों को सुलझाने के लिए भी वह उनके पास आते थे।
इन स्थानीयों में तमाम मुस्लिम भी होते थे। सबको पता था कि बनवारी लाल संभल से विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे। बावजूद इसके न मुस्लिम उनसे मदद माँगने में परहेज करता था न कोई और… लेकिन 29 मार्च 1978 को जब संभल में हिंसा भड़की तो दंगाइयों को ये याद तक नहीं आया कि बनवारी लाल के कितने उपकार हैं।
As per official records, of the 25 killed in Sambhal that day, 23 were Hindus. The majority of them, 14, were burnt alive in this mill
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
When Banwari Lal’s sons, Navneet, 18, and Vineet, 16, entered the compound six hours later, they found only ashes
उस दिन बनवारी लाल अपने कंपाउंड में ही थे। हिंसा देख उनके कर्मचारी और रिश्तेदार सब वही छिपे थे। सबको लगा था कि शायद बनवारी लाल की जान-पहचान के कारण इस हिंसा में उनके साथ भी कुछ न हो। मगर, वह सब गलत थे। उस दिन हिंसा सुबह करीबन 10 बजे मुस्लिम इलाके से भड़की और 2 घंटे में ही दंगाइयों ने मिल कंपाउंड को निशाना बना लिया।
उस कंपाउंड तक पहुँचने के लिए पहले ट्रैक्टर से मिल की दीवारें गिराईं गई और उसके बाद जलते टायर भीतर फेंके गए ताकि को बच न पाए। पत्रकार के मुताबिक उस हिंसा में 25 लोग मरे, जिनमें से 23 हिंदू थे और 14 की जिंदा जलकर मौत हुई थी। उस घटना में बनवारी लाल भी राख हो गए थे।
6 घंटे बाद जब उनके बेटे विनीत और नवनीत (घटना के समय 18 और 16 साल के थे) कंपाउंड में घुसे तो सिर्फ राख बची थी। बाकी सब खाक था। आग ऐसी लगाई गई थी कि भीतर किसी का कोई शव भी नहीं मिला। बहुत ढूँढने पर पिता की चश्मा मिला जिससे समझ आया कि अब वो इस दुनिया में नहीं रहे।
He watched it through a hole and his testimony confirmed the horrific details and helped identify the victims
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
The family lost everything – their mukhiya Banwari Lal and their assets
Facing penury, his sons – Navneet, Vineet and youngest Suneet – rebuilt their lives from scratch
स्वाति गोयल द्वारा की गई पड़ताल से पता चलता है कि उस समय एक हरदवारी लाल ही थे जो उन आग की लपटों से बचे थे। वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने खुद को ड्रम में छिपाया हुआ था। उन्होंने उस दिन अपनी आँख के आगे सब कुछ बर्बाद होते देखा था।
इस घटना के बाद बनवारी लाल के तीनों बेटे नवनीत, विनीत और सुनीत 1993 तक संभल में रहे। बाद में मिल का ज्यादातर हिस्सा बेचकर दिल्ली आ गए और पिपरमिंट का बिजनेस शुरू किया। अब उस मिल का छोटा हिस्सा ही उनका हैं जहाँ दशकों से राम लीला जैसे कार्यक्रम होते हैं।
After moving to Delhi, the Goels turned to peppermint production
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
They sold off most of the mill compound in Sambhal, but a small portion still remains
That space has been hosting major Hindu religious events for decades, including Ram-Bharat Milaap episode of the annual Ramlila
आज तीनों भाई उस घटना में हिंदुओं के मारे जाने के पीछे तत्कालीन जिलाधिकारी फरहत अली को दोषी मानते हैं। ट्वीट में विनीत गोयल के हवाले से कहा गया कि फरहत ने तब दंगाइयों का समर्थन किया था और हिंदुओं की रक्षा तक नहीं की थी। इसके अलावा वो ये भी बताते हैं कि घटना के बाद तीनों भाइयों से कुछ लोग मिले थे जिन्होंने बताया था कि इस घटना के पीछे उन लोगों का हाथ था जो उनके पिता के साथ बिजनेस में साथी थे। इसी बात को जानने के बाद तीनों भाइयों ने भविष्य में कभी दूसरे समुदाय के लोगों के साथ व्यापार नहीं किया।
गौरतलब है कि स्वाति गोयल शर्मा ने अपने ट्वीट में बताया है कि इस हिंसा का जिक्र मीडिया में शायद न के बराबर मिले। मगर Mob violence in india जैसी किताबों में उस हिंसा का जिक्र पढ़ने को मिलता है।