पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में टीएमसी नेता शिबू हाजरा गिरफ्तार हो गया है। वो संदेशखाली में इतने दिनों से छिपकर अपने ही ठिकाने पर बैठा था। उसे गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है। इस बीच, मजिस्ट्रेट के सामने एक पीड़ित महिला ने रेप के मामले में अपना बयान दर्ज कराया, जिसके बाद शिबू हाजरा के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर में रेप की धारा भी जोड़ दी गई है। इन सबके बीच मुख्य आरोपित टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ अब भी फरार है। उसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है।
शिबू हाजरा टीएमसी का ब्लॉक अध्यक्ष हैं और संदेशखाली महिलाओं द्वारा शुरुआती शिकायतों में दो अन्य उत्तम सरदार और मुख्य आरोपित शेख शाहजहाँ के साथ उसका नाम सामने आया। उसे संदेशखाली में एक ठिकाने से गिरफ्तार किया गया और रविवार को स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा। उस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत बलात्कार और अन्य आरोपों के लिए मामला दर्ज किया गया है। उत्तम सरदार समेत 18 को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न, जमीनों पर कब्जे, लोगों पर हमले के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार ने कहा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में बलात्कार की धाराएं जोड़ी गई हैं। उनके मुताबिक, महिला ने पुलिस के सामने रेप का कोई बयान नहीं दिया था, बल्कि उसने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया।
बता दें कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने मीडिया को धमकाते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी थी। पश्चिम बंगाल पुलिस ने 14 फरवरी को रेप के आरोपों को खारिज करते हुए रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकारों को धमकाया था।
राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट
इससे पहले, बुधवार (14 फरवरी) को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने संदेशखाली विरोध प्रदर्शन पर गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में संदेशखाली में “उपद्रवी तत्वों” के साथ मिलीभगत के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल ने सोमवार को प्रभावित इलाके का दौरा किया और प्रदर्शनकारी महिलाओं से चर्चा की. गवर्नर बोस ने रिपोर्ट में कहा कि स्थानीय लोग टीएमसी नेताओं से जुड़े यौन उत्पीड़न के अपने दावों की जाँच के लिए एक विशेष कार्य बल या एक विशेष जाँच दल यानी एसआईटी बनाने की माँग कर रहे हैं।
संदेशखाली में अत्याचार की इंतिहा
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को ग्रामीण महिलाओं ने जो गवाही दी उससे उनमें पसरे भय और व्यवस्थित उत्पीड़न के बारे में पता चला। मालूम चला कि कैसे टीएमसी के सदस्य और पुलिसकर्मी उन्हें परेशान करते हैं। जो महिलाएँ बोलने का प्रयास करती हैं उन्हें फौरन विरोध झेलना पड़ता है। उनके घर के पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया जाता है आदि-आदि।
एनसीडब्ल्यू ने बताया कि संदेशखली ग्रामवासियों की ओर से हस्ताक्षरित एक सामूहिक बयान में, गाँव की महिलाओं ने उत्पीड़न, यातना और उनकी गरिमा और अधिकारों के घोर उल्लंघन सहित उनके द्वारा सहन की गई पीड़ाओं का विवरण दिया। इसके अलावा एनसीडब्लू की टीम ने ये भी बताया कि उन्होंने एक महिला की गवाही को कैमरे पर रिकॉर्ड किया था लेकिन बाद में उसे डिलीट करना पड़ा क्योंकि महिला अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गई और उनके आगे उसे डिलीट कराने के लिए गिड़गिड़ाने लगी।
आयोग ने कहा कि महिलाओं को मिल रही ऐसी धमकी और सेंसरशिप को देखते हुए तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है। एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष रेखा शर्मा आने वाले दिनों में संदेशखली का दौरा करेंगी और पुलिस व पीड़ितों से बातचीत करेंगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की जिंदगी और स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके। एनसीडब्लू ने इस पूरे मामले में संदेशखाली में महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाई है और उन्हें न्याय दिलाने का वादा किया है। इससे पहले SC आयोग ने भी इस मामले में जाँच के बाद कहा था कि लोग बहुत कुछ बोलना चाहते हैं पर उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा।