महाराष्ट्र के यवतमाल में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ स्वास्थ्यकर्मियों ने लापरवाही की हद लाँघते हुए 12 बच्चों को पोलियो ड्रॉप की जगह हैंड सेनेटाइजर पिला दिया। बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना रविवार (जनवरी 31, 2021) की है।
रविवार को घाटांजी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा था। इस दौरान 12 बच्चों को हैंड सेनेटाइजर पिलाने की घटना सामने आई। जिसके बाद इन बच्चों के परिजनों ने देर रात उल्टी और स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों की बात कही। तबियत बिगड़ने पर इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। गिरम गेदाम, योगश्री गेदाम, हर्ष मेश्राम, भावना अर्के, वेदांत मेश्राम, राधिका मेश्राम, प्राची मेश्राम, माही मेश्राम, तनुज गेदाम, निशा मेश्राम, आस्था मेश्राम को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इनका इलाज चल रहा है।
यवतमाल जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री कृष्ण पांचाल ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती बच्चे अब ठीक हैं और इस घटना से जुड़े तीन कर्मचारियों- एक स्वास्थ्यकर्मी, एक डॉक्टर और एक आशा वर्कर को निलंबित किया जाएगा।
पांचाल ने कहा कि उन्हें जिला स्वास्थ्य अधिकारी से प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट मिली है जिसमें उन्होंने कहा है कि एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, एक आशा कार्यकर्ता और एक आँगनवाड़ीवाड़ी सेविका लापरवाही के लिए दोषी है। उन्हें तत्काल निलंबित किया जाएगा और जाँच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
यवतमाल कलेक्टर एम डी सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि यह घटना रविवार को कापसीकोपरी गाँव के भानबोरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई, जहाँ एक से पाँच साल के बच्चों के लिए राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान चल रहा था। घटना की जाँच पूरी कर ली गई है। सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी और राज्य स्तर पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना तब सामने आई है, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए साल 2021 में नेशनल पोलियो इम्यूनाइज़ेशन ड्राइव लॉन्च किया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में बीते एक दशक से पोलियो का कोई मामला नहीं आया है। भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी, 2011 को आया था। हालाँकि, देश में पोलियो को दोबारा पैर पसारने से रोकने के लिए सरकार सतर्क है क्योंकि भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान और पाकिस्तान में यह बीमारी अभी भी मौजूद है। इसलिए पोलियो को हराने के लिए साल में दो बार वैक्सीन प्रोग्राम आयोजित होता है।