पंजाब विधानसभा चुनावों (Punjab Assembly Election 2022) के काल मेंदौरान कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है। उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना, सपना ही रह जाएगा। इधर सुप्रीम कोर्ट रोड रेज से जुड़े उनके पुराने मामले पर पुनर्विचार करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के सर्वे में प्रदेश के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CharanJit Singh Channi) ने उन्हें पछाड़ दिया है।
1988 के रोड रेज के एक मामले में सिद्धू को दी गई सजा की पर पुनर्विचार करने के लिए गुरुवार (3 फरवरी 2022) को तैयार हो गया। पंजाब के अमृतसर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं सिद्धू से जुड़ी इस विशेष याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और संजय किशन कौल की विशेष पीठ विचार कर सकती है। इस घटना में एक वरिष्ठ नागरिक की जान चली गई थी और इस मामले में कोर्ट ने साल 2018 में सिद्धू पर सिर्फ 1,000 रुपए का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धू और उनके सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में शेरनवाला गेट क्रॉसिंग के पास बीच रोड पर खड़ी एक जिप्सी में थे। वहीं, 65 वर्षीय गुरनाम सिंह दो लोगों के साथ बैंक जा रहे थे। आरोप है कि पीड़ित ने दोनों से अपनी कार को क्रॉसिंग से हटाने के लिए कहा, जिसके बाद दोनों के बीच कहा-सुनी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिद्धू ने गुरुनाम सिंह को पीटा, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। वहीं, सिद्धू का दावा है कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई।
शुरू में निचली कोर्ट ने सिद्धू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया। मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में पहुँचा तो हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को उलटते हुए दोनों को गैर-इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और तीन साल की कैद की सजा सुनाई। मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए IPC की धारा 323 के तहत बुजुर्ग को चोट पहुँचाने का मामूली अपराध करने का दोषी ठहराया। इस धारा के तहत अधिकतम सजा एक साल या 1,000 रुपया जुर्माना है। उनसे जुर्माना देने के कहा गया। इस बीच सबूत की कमी के आधार पर उनके सहयोगी संधू को बरी कर दिया गया।
इधर पंजाब में मुख्यमंत्री बनने के सिद्धू के सपने पर विराम लगता नजर रहा है। कॉन्ग्रेस ने चन्नी और सिद्धू के बीच जारी वाकयुद्ध को लेकर एक आंतरिक सर्वे कराया है। इसमें सीएम चन्नी सिद्धू से आगे निकलते नजर आ रहे हैं। इस सर्वे में सिर्फ इन दोनों के नामों को ही शामिल किया गया था। इस तरह सुनील जाखड़ के मुख्यमंत्री बनने के उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। इस सर्वे में पार्टी उम्मीदवारों, कार्यकर्ताओं और सांसदों की राय ली जा रही है। इसके साथ ही ऑटोमेटेड कॉल के माध्यम से आम लोगों से भी इसके बारे में पूछा जा रहा है।