शाहीन बाग़ विरोध-प्रदर्शन के मुख्य साज़िशकर्ता शरजील इमाम के ताज़ा बयानों ने जाहिर कर दिया है कि यह नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध नहीं है। देश के ‘टुकड़े-टुकड़े’ करने की मंशा रखने वालों का यह घटिया उपक्रम है। इसके जरिए वे क़ानून-व्यवस्था में खलल डाल देश को अराजकता के माहौल में ढकेलना चाहते हैं। पोल खुलने का बाद एक तबका ख़ुद को शरजील इमाम से अलग दिखाने में लगा है, वहीं कट्टरवादी इस्लामी तबका शरजील के समर्थन में उतर आया है। भले ही वो दो गुटों में बँट गए हों, लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य एक ही है।
शाहीन बाग़ में रविवार (जनवरी 26, 2020) को गणतंत्र दिवस के मौके पर बड़ी संख्या लोग तिरंगा लहराते देखे गए। इसकी ज़रूरत भी है क्योंकि वे जितनी बड़ी संख्या में तिरंगा लहराएँगे, वामपंथी मीडिया गिरोह उतनी ही तेज़ी से शरजील इमाम के दाग धोएगा और शाहीन बाग़ को फिर से ‘जन आंदोलन’ के रूप में प्रचारित करेगा। इसलिए, देशभक्ति दिखाने की होड़ मची है और शाहीन बाग़ के उपद्रवी लगातार तिरंगे और संविधान की बातें कर रहे हैं।
लेकिन, किस संविधान की? उस संविधान की, जिसके बारे में शरजील इमाम कहता है कि मुस्लिमों को उसका सहारा तो लेना चाहिए, लेकिन उससे उम्मीदें नहीं पालनी चाहिए क्योंकि आज़ादी के बाद से न्यायपालिका मुस्लिमों की दुश्मन बन गई है और अंग्रेज़ उतने पक्षपाती नहीं थे। देश, देश की न्यायपालिका और राष्ट्र के संविधान के प्रति ऐसा सोचने वाले ने जब इस पूरे उपद्रव की रूप-रेखा तैयार की है तो इसमें शामिल होने वाले लोगों की सोच कैसी होगी, इसे मालूम करना कठिन नहीं होना चाहिए। उनका एक ही उद्देश्य है- भारत के टुकड़े-टुकड़े करना।
दाग धोने के लिए संविधान का पाठ करना पड़ेगा। तिरंगा उठा कर देशभक्ति दिखानी होगी। शरजील से ख़ुद को अलग करने के लिए या फिर ऐसा दिखाने के लिए गाँधी-नेहरू की बात करनी पड़ेगी। यही तो हो रहा है शाहीन बाग़ में। वे जितने ज्यादा जोर से ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ बोलेंगे, वामपंथी मीडिया का दिल उतना ही ज्यादा द्रवित होगा और कोई रवीश कुमार टीवी स्टूडियो में बैठ कर कहेगा- “क्या तिरंगा हाथ में लेकर राष्ट्रगान गाने वाले और संविधान का पाठ करने वाले देश के टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य हो सकते हैं? नहीं न।” बस, इतना काफ़ी है महिमामंडन के लिए।
#WATCH Delhi: A huge crowd of protesters, opposing #CitizenshipAmendmentAct, National Register of Citizens (NRC) and National Population Register (NPR), gather at Shaheen Bagh to celebrate #RepublicDay . Former JNU student and activist Umar Khalid is also present at the spot. pic.twitter.com/KA6oElpzwr
— ANI (@ANI) January 26, 2020
क्या हाफिज सईद भारत में गरीबी ख़त्म करने की बात करे तो मुंबई हमले में 165 से भी अधिक लोगों की हत्या का दोष मिट जाएगा? उसके आतंकी गुनाह माफ़ हो जाएँगे? देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात करने वाले, लोगों को आरजकता के लिए भड़काने वाले और पूरे भारत में चक्का जाम करने के मंसूबे पालने वाला गिरोह इसी कोशिश में है। हाथों में तिरंगा थाम वह अपने गुनाहों को दबाना चाहता है।