अपने भड़काऊ भाषणों से दिल्ली दंगों में खास भूमिका निभाने वाले शरजील इमाम (Sharjeel Imam) को एक मामले में दिल्ली की अदालत ने जमानत दे दी है। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने साल 2019 में हुए CAA-NRC विरोध के दौरान जामिया में दिए गए भड़काऊ भाषण के एक मामले में जमानत दी है। हालाँकि, वह 28 जनवरी 2020 से जेल में बंद शरजील को अभी जेल में ही रहना होगा।
मूल रूप से बिहार के रहने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र शरजील इमाम को कोर्ट ने 30,000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है। हालाँकि, अन्य विभिन्न मामलों के कारण शरजील अभी भी जेल में ही रहेगा। उस पर देशद्रोह और UAPA के तहत कई और मामले लंबित हैं। इन मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है।
Delhi’s Saket Court grants bail to Sharjeel Imam in a case lodged against him for allegedly making inflammatory speeches at Jamia during anti-CAA-NRC protest in 2019.
— ANI (@ANI) September 30, 2022
अपने भाषणों में शरजील ने बांग्लादेश, भूटान और चीन की सीमा से सटे असम के नजदीक ‘चिकन नेक’ को काटकर पूर्वोत्तर राज्यों को देश से अलग करने के लिए मुस्लिमों को उकसाया था। शरजील के आपत्तिजनक भाषणों को देखते हुए दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में उसके खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में CAA कानून के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में उसे 27 नवम्बर 2021 जमानत मिल चुकी है।
शरजील पर आरोप लगाया गया था कि उसने अपना भाषण ‘अस-सलामु अलैकुम’ बोल कर शुरू किया था, जो यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि वह एक विशेष समुदाय को भड़काने का प्रयास कर रहा था। इमाम को 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 जनवरी, 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवसिर्टी में भड़काऊ भाषण देने के लिए 28 जनवरी 2020 को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देते हुए उसने कहा था, “अब वक्त आ गया है कि हम गैर-मुस्लिमों से बोलें कि अगर हमारे हमदर्द हो तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हो। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नॉर्थ-ईस्ट और हिंदुस्तान को परमानेंटली काट कर अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। मतलब इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।”
उसने आगे कहा था, “असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है। असम और इंडिया कटकर अलग हो जाए, तभी ये हमारी बात सुनेंगे। असम में मुस्लिमों का क्या हाल है, आपको पता है क्या? CAA-NRC लागू हो चुका है वहाँ। डिटेंशन कैंप में लोग डाले जा रहे हैं और वहाँ तो खैर कत्ले-आम चल रहा है। 6-8 महीनों में पता चलेगा कि सारे बंगालियों को मार दिया गया वहाँ, हिंदु हो या मुस्लिम। अगर हमें असम की मदद करनी है तो हमें असम का रास्ता बंद करना होगा फौज के लिए और जो भी जितना भी सप्लाई जा रहा है बंद करो उसे। बंद कर सकते हैं हम उसे, क्योंकि चिकन नेक जो इलाका है, वह मुस्लिम बहुल इलाका है।”
इस साल 24 जनवरी को पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने शरजील के खिलाफ राजद्रोह सहित IPC की कई संगीन धाराओं में आरोप तय कर दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 में दिए गए भड़काऊ भाषणों के लिए शरजील इमाम को ट्रायल का सामना करना होगा। शरजील का प्रतिबंधित PFI के साथ संबंधों की भी पुलिस कर रही है।
CAA-NRC की आड़ में शरजील इमाम ने यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और दिल्ली के जामिया में आपत्तिजनक भाषण दिए थे। इन सब बातों को ध्यान रखते हुए कोर्ट के एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने शरजील पर IPC की धारा 124A (देशद्रोह), 153A, 153B, 505 और UAPA के सेक्शन 13 के तहत आरोप तय की थी।