Saturday, November 23, 2024
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‘1991 का कानून कॉन्ग्रेस की अवैध मस्जिदों को जिंदा रखने की साजिश, 9 मस्जिदों का जिक्र कर बताया यहाँ पहले थे मंदिर’: PM को पत्र

इस पत्र में कुल 9 ऐसी मस्जिदों का उल्लेख किया है जो मंदिर तोड़कर बनाई गई थीं। इनमें अयोध्या के राम मंदिर के अलावा, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का केशव देव मंदिर, जौनपुर का अटाला देव मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, गुजरात के जिला बटना का रूद्रा महालया मंदिर, अहमदाबाद गुजरात का भद्रकाली मंदिर, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद पंडुवा.......

उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (पूजा स्थल अधिनियम 1991) को खत्म करने की माँग की है। उन्होंने पुराने तमाम तोड़े गए मंदिरों को हिंदुओं को वापस देने और मुगल काल के पहले की स्थिति बहाल करने की माँग की है।

पीएम को लिखे पत्र में वसीम रिजवी ने कहा कि द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को कॉन्ग्रेस के शासन काल मे जानबूझकर बनाया गया था, ताकि हिंदुस्तान में मन्दिर-मस्जिद का विवाद हमेशा चलता रहे। रिजवी के मुताबिक इस एक्ट को तत्काल खत्म किए जाने की जरूरत है, जिससे देश में मन्दिर-मस्जिद विवाद सदैव के लिए समाप्त हो जाए। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन के मुताबिक कॉन्ग्रेस ने धार्मिक आँकड़ों के आधार पर इस देश मे लंबे समय तक हुकूमत किया।

वसीम रिजवी ने पत्र में लिखा है, “द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 कॉन्ग्रेस की हुकूमत में इसलिए बनाया गया, ताकि मुगलों द्वारा भारत के प्राचीन पवित्र मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई अवैध मस्जिदों को हिंदुस्तान की जमीन पर एक विवाद के रूप में जिंदा रखा जाए और यह अधिनियम बनाए जाने के लिए कॉन्ग्रेस की सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिन्दुस्तान के कट्टरपंथी मुल्लाओं का दबाव था, क्योंकि कॉन्ग्रेस पार्टी हिन्दुस्तान की आजादी के बाद से धार्मिक आँकड़ों के आधार पर भारत में हुकूमत करती रही है और हिन्दुस्तान का कट्टरपंथी जो कि मुगलों के कुकर्मों, जुल्म और ज्यादतियों का पक्षकार है, वह वोट के रूप में कॉन्ग्रेस को भारत में हुकूमत बनाए रखने में मदद कर रहा है।”

उन्होंने पत्र में आगे लिखा, “प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 एक विवादित अधिनियम है, जो किसी एक धर्म के अधिकार व धार्मिक सम्पत्ति जो उनसे कट्टरपंथी मुगल शासकों ने ताकत के बल पर छीन कर उस पर अपना धार्मिक स्थल (मस्जिदें) बना दिए थे, वह सभी प्राचीन धार्मिक स्थल (मंदिर) जिस भारती हिन्दू धर्म के मानने वालों के थे, उन्हें वापस न मिलने पाए, इस अन्याय को सुरक्षा प्रदान करता है, जो कि एक धर्म विशेष के धार्मिक अधिकारों व धार्मिक संपत्तियों का हनन है।”

रिजवी ने अपने इस पत्र में कुल 9 ऐसी मस्जिदों का उल्लेख किया है जो उनके अनुसार मंदिर तोड़कर बनाई गई थीं। इनमें अयोध्या के राम मंदिर के अलावा, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का केशव देव मंदिर, जौनपुर का अटाला देव मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, गुजरात के जिला बटना का रूद्रा महालया मंदिर, अहमदाबाद गुजरात का भद्रकाली मंदिर, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद पंडुवा, विजया मंदिर विदिशा, दिल्ली की कुतुब मीनार के पास स्थित मस्जिद कुव्वत उल इस्लाम शामिल है।

रिजवी ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि उक्त अधिनियम को समाप्त कर मुगलों द्वारा जो मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं उनके स्थान पर वही प्राचीन मंदिर फिर से स्थापित करवाए जाएँ। इसके साथ ही उन्होंने खुशी जाहिर की है कि बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट के जरिए हल हो चुका है और अब वहाँ भव्य मंदिर बनने जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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