Sunday, October 13, 2024
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‘शव यात्रा पर पत्थरबाजी, अत्याचारों का विरोध करते तो जेल, लूट लेते थे सारा सामान, छोड़ना पड़ा पाकिस्तान’

"पाकिस्तान के शहर कोहाट में उनका कारोबार था। लेकिन उनका सब कुछ वहाँ लूट लिया गया। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि उन्हें अपने बच्चों को और उनकी धार्मिक पहचान को छिपाना पड़ा। साथ ही अपनी करोड़ों की संपत्ति को हजारों में बेचना पड़ा।"

नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध के बीच हरियाणा के यमुनानगर में रहने वाले कुछ पाकिस्तानी हिंदुओं ने रविवार को एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया और विधायक घनश्याम दास अरोड़ा को अपनी आपबीती सुनाई। इन लोगों ने इस कार्यक्रम में नए कानून पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि आखिर किस तरह इन लोगों ने भारत में आकर खुलकर सांस ली। क्योंकि, पाकिस्तान में तो न केवल उनपर धर्म परिवर्तन के लिए जोर दिया जाता था, बल्कि उनके द्वारा श्मशान की ओर ले जा रही शव यात्रा पर भी पथराव होता था। इतना ही नहीं, इन लोगों ने ये भी बताया कि जब ये लोग अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध करते थे तो इन्हें जेल होती थी और इनके सामानों को लूट लिया जाता था।

हरियाणा के यमुनानगर में इस समय पाकिस्तान से आए करीब 22 हिंदू परिवार रह रहे हैं। जिनमें से 10 को नागरिकता मिल चुकी है और बाकी इंतजार में हैं। इनमें से कुछ ने केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया और विधायक घनश्याम दास अरोड़ा को अपनी आप बीती सुनाई और कहा कि इन्होंने बीते हरियाणा विधानसभा चुनावों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पार्टी को समर्थन दिया था, क्योंकि उनका कहना था कि वे पाकिस्तान से आए हिंदुओं को नागरिकता दिलाने में मदद करेंगे। लेकिन अब जब मोदी सरकार ने ये बिल पास कर दिया तो वे उसका विरोध कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने भाजपा का हाथ थाम लिया है।

पाकिस्तान और भारत के बीच फर्क़ बताते हुए नगर सुधार मंडल के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण दास बहल (88) ने बताया कि पाकिस्तान में उन्होंने 3 बार जिला काउंसलर का चुनाव जीता और हर बार उन्हें बहुमत मिला। लेकिन फिर भी वहाँ उनकी बात नहीं मानी जाती। हिंदुओं द्वारा शव को श्मशान ले जाते समय उसपर पत्थर फेंके जाते, धर्म परिवर्तन के लिए लंबे समय तक जेल में रखा जाता, एवं तरह-तरह के अत्याचार होते। मगर, लक्ष्मण दास के अनुसार उन्होंने इतने सब के बावजूद कभी हार नहीं मानी और अपने परिवार के साथ हरियाणा के यमुनानगर पहुँचे।

बहल ने इस कार्यक्रम में बताया कि पाकिस्तान के शहर कोहाट में उनका कारोबार था। लेकिन उनका सब कुछ वहाँ लूट लिया गया। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि उन्हें अपने बच्चों को और उनकी धार्मिक पहचान को छिपाना पड़ा। साथ ही अपनी करोड़ों की संपत्ति को हजारों में बेचना पड़ा। बहल के अनुसार साल 1988 में उन्होंने भारत आकर खुली हवा में सांस ली। यहाँ लोगों ने उनका काफी साथ दिया। हमीदा में उन्हें किराए पर मकान मिला और फिर उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया। उनका कहना है कि आज पुराने दिन को याद करते हैं तो उनका मन घबरा जाता है।

इसके बाद दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार आजाद नगर में रहने वाले रणजीत बताते हैं कि उनके पिता 2 भाई हैं। जिनमें उनके चाचा दर्शन सिंह पहले ही यमुना नगर आ गए थे। लेकिन वे पाकिस्तान में फँस गए थे। इस बीच उनके घर की महिलाएँ बुर्का पहनकर घर से निकलती थीं और बिंदी भी नहीं लगाती थीं। क्योंकि अगर वहाँ के लोगों को पता चल जाता था कि वे हिंदू हैं तो उनके साथ बुरा बर्ताव होता था, जिसे सोचकर भी उनकी रूह कांपती हैं।

वहीं, इस कार्यक्रम में वैद्य जसबीर नाम के पाकिस्तानी हिंदू ने भी केंद्रीय मंत्री को आप बीती सुनाते हुए माँग उठाई कि पाकिस्तान में जब कोई हिंदू भारत आने के लिए वीजा लगाता है तो उनको क्लास वन अधिकारी का आइकार्ड साथ लगाना होता है। ये बहुत बड़ी चुनौती है, जिस कारण परेशानी का सामना करना पड़ता। इसलिए इस शर्त में भी संशोधन होना चाहिए। जिसके बाद केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने इस बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात करने का आश्वासन दिया। साथ ही दूसरे देशों से आए अल्पसंख्यकों के लिए कैंप लगाने की बात भी कही।

गौरतलब है कि एक ओर नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरे विशेष समुदाय के लोग खुद की नागरिकता छिन जाने का डर दिखाकर मोदी सरकार को घेरने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। वहीं, दूसरी ओर वे शरणार्थी हैं, जिन्हें इस कानून के बनने से फायदा होने वाला है और वे बार-बार मोदी सरकार को आभार कहने से थक नहीं रहे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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