तेलंगाना के भैंसा में 12 जनवरी की रात दो समुदायों के बीच भड़के तनाव को अब शांत करवा लिया गया है, जिससे इलाके में स्थिति नियंत्रण में हैं। पुलिस ने इस मामले के संबंध में अब तक 61 लोगों को हिरासत में लिया है। जबकि पूरी हिंसा में 19 लोगों के घायल होने की खबर है। घायलों में 9 पुलिस अधिकारी भी है। एक अधिकारी के मुताबिक इस हिंसा में अभी तक 13 मामले दर्ज हुए हैं। मामले में जाँच के दौरान और गिरफ्तारी हो सकती है। बता दें कि कुछ मुस्लिम युवकों द्वारा बिना साइलेंसर मोटरसाइकल दौड़ाने की हरकत पर हिंदू समुदाय के लोगों की आपत्ति के बाद शुरू इस विवाद में 14 हिंदुओं के घरों में तोड़-फोड़ हुई। इसके अतिरिक्त 24 दुपहिया वाहनों को, 1 तीनपहिया वाहन को और एक कार को पूरी तरह जला दिया गया।
कहाँ से शुरू हुआ मामला और क्या-क्या हुआ?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रविवार की शाम भैंसा और निर्मल (दोनों जगह हैं) के बीच मुस्लिम समुदाय के लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। यहाँ, मुस्लिम समुदाय के कई युवक दूर-दूर से ‘इज्तेमा’ में शिरकत करने आए थे। लेकिन, उसी रात अचानक कुछ मुस्लिम युवक कोरबा गल्ली में बिन साइलेंसर मोटरसाइकल चलाकर हल्ला करने लगे। रात का समय होने के कारण इलाके में रह रहे हिंदुओं को इससे परेशानी होने लगी और उनके आपत्ति जताने के कारण दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया। देखते ही देखते मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदुओं के घरों पर हमलावर हो गए और उनके घर के बाहर खड़े वाहनों में आग लगा दी।
18 houses burnt,looted and scores of vehicles reduced to ashes in Bhainsa town, Telangana.
— SahaJio?? (@oldhandhyd) January 13, 2020
Large number of outsiders were in the town to take part in “Ijtema” pic.twitter.com/W4uOWm8iQl
हालाँकि, कहा जा रहा है कि इस घटना के बाद दोनों पक्ष की भीड़ आमने-सामने आई और करीब 150 लोग वहाँ देखते ही देखते इकट्ठा हुए। लेकिन भीड़ में बहुसंख्यक आबादी किसकी थी? इसका अंदाजा इस बात ये लगाया जा सकता है कि जहाँ ये मामला शुरू हुआ, वहाँ से थोड़ी दूर पर ही ‘इज्तेमा’ के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा थे।
खैर, आपसी विवाद का ये मामला धीरे-धीरे पत्थरबाजी पर पहुँच गया, दोनों ओर से एक-दूसरे पर पत्थर मारे जाने लगे। दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा में ये भी आरोप है कि घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों को जलाने के लिए पेट्रोल से भरी प्लॉस्टिक बोतलों का इस्तेमाल किया गया।
इसके बाद धीरे-धीरे मामला पड़ोस के इलाकों में पहुँचा। जिसके कारण मुल्ला गली, पंजेशाह मस्जिद, कॉलेज रोड पर भी दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई। इलाके के एसपी सी शशिधर के अनुसार, पहले वाकये की घटना की सूचना मिलने के बाद ही पुलिस इलाके में पहुँच गई थी। इसलिए पुलिस वाले भी इसमें घायल हुए।
इलाके में शांति बनाने के लिए उस रात भारी तादाद में पुलिसबल की तैनाती की गई। जिससे सोमवार की सुबह करीब 4 बजे जाकर मामला शांत थोड़ा हुआ। लेकिन इलाके में धारा 144 लागू होने के बाद भी सोमवार सुबह हिंसा फिर भड़क गई। दोनों समुदाय के लोग फिर आमने-सामने आए और एक दूसरे पर सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक पत्थरबाजी की। बड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति पर नियंत्रण पाया।
द न्यूज़ मिनट की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, एक मंदिर के 65 वर्षीय बाबूराज महाराज नामक पुजारी ने उन्हें बताया कि मामला बड़ी टुच्ची सी बात पर शुरू हुआ, लेकिन बाद में विवाद बढ़ गया। पूरे मामले को एक ओर से हुई हिंसा नहीं कहा जा सकता।
इसके बाद कोरबा गली में मस्जिद कमेटी के उपाध्यक्ष नजीमुद्दीन ने दावा किया कि इस हिंसा में उपद्रवियों ने मस्जिद पर पत्थरबाजी की और उसे नुकसान पहुँचाया। एक महिला ने उपद्रवियों पर चोरी का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि घर में तोड़-फोड़ और आगजनी करते हुए उपद्रवियों ने उसका एक तोले से ऊपर सोना और 20,000 रुपए चुरा लिया। बता दें कि इस उपद्रव में हिंदू समुदाय के 2 परिवारों के घर को पूरी तरह जला दिया गया है। कुछ अन्य स्थानीयों के अनुसार ऐसी घटनाएँ उन्होंने इससे पहले अपने इलाके में कभी नहीं देखीं थी, ये पहली बार था जब दो समुदाय आमने-सामने आए।
उल्लेखनीय है कि इस हिंसा के बाद घरों में फेंके गए पत्थर, बोतलें सब वहीं पड़े हुए हैं। घरों में की गई तोड़-फोड़, इस बात का सबूत है कि उपद्रवी कितने हिंसक थे और जान-माल की परवाह किए बिना सिर्फ़ दंगा करना चाहते थे। रिपोर्ट के अनुसार, एक स्थानीय का ये भी कहना है कि रविवार को हुई हिंसा अचानक थी। लेकिन सोमवार को भड़की हिंसा पहले से नियोजित थी।
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोगों ने टीएनएन को बताया कि उन्होंने भड़की हिंसा के दौरान कई बार 100 नंबर मिलाया, लेकिन हर बार उन्हें पुलिस से बहुत देर में जवाब मिला। हिंसा का शिकार हुए कुछ लोगों के अनुसार राजस्व अधिकारियों और पुलिस में से कोई भी पंचनामा के लिए उनके घर नहीं आए। वहीं, एक दूसरे शख्स ने इस मामले में पुलिस की लापरवाही को पूरी तरह नकारा है। उसके मुताबिक पुलिस बिन समय गवाए घटनास्थल पर पहुँची थी।
यहाँ बता दे कि अब हिंसा के बाद माहौल भले ही शांत हो गया है। लेकिन जिन लोगों की संपत्तियों का नुकसान हुआ है, जिनके घरों में आगजनी की गई है, जिनके गहने और पैसे लूटे गए हैं, वो सभी न्याय प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। राजस्व अधिकारी के अनुसार, जिनके घर पूरी तरह जल गए हैं, वो लोग कुछ समय के लिए अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। मामले में आगे की जाँच जारी है, लोगों से पूछताछ चालू है। सीसीटीवी फुटेज देखकर लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है और इलाके में फिलहाल इंटरनेट बंद है।
जानकारी के अनुसार, इस पूरे मामले में हिंदुओं के घरों पर विशेष समुदाय के लोगों ने जमकर हमला किया था। जिसके बाद भाजपा नेता पी मुरलीधर राव ने एआईएमआईएम और टीआरएस के गठजोड़ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। वहीं निज़ामाबाद के सांसद अरविन्द धर्मपुरी ने भी आरोप लगाया था कि ओवैसी की पार्टी ने मुस्लिमों को भड़का कर हिंसा की वारदात को अंजाम दिया।
लेकिन जब, तेलंगाना में एकमात्र भाजपा विधायक राजा सिंह पीड़ित हिंदुओं से मिलने पहुँचे तो उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के इशारे पर उन्हें हिन्दू वाहिनी के पीड़ित लोगों से मिलने नहीं दिया गया।
I have been house arrested today at my residence while I was leaving to Bhansia to meet my Hindu Vahini karyakartas
— Raja Singh (@TigerRajaSingh) January 14, 2020
When MIM and TRS leaders are allowed why I have been stopped @TelanganaDGP? https://t.co/f6VPgS0p8Y pic.twitter.com/wy7zRmdcxD
हिन्दुओं के घरों व गाड़ियों को जलाया, मुस्लिमों पर आरोप: पीड़ितों से मिलने पहुँचे ‘टाइगर’ गिरफ़्तार