फरवरी 2016 में जेएनयू कैंपस में देश विरोधी नारा लगाने और उसे जायज़ ठहराने के लिए हर-जगह घूम-घूमकर बोलने की आज़ादी का डंका पीटने वाले कन्हैया कुमार को कर्नाटक की गुलबर्गा यूनिवर्सिटी से तगड़ा झटका लगा है। देश भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का डंका पीटने वाले कन्हैया दरअसल गुलबर्गा यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम करने के सपने देख रहे थे मगर प्रशासन के एक ही निर्णय ने कन्हैया के पूरे ख्वाब पर पानी फेर दिया।
दरअसल जिस यूनिवर्सिटी में कन्हैया कुमार कार्यक्रम करने को उतावले थे और अपनी ओर से बहुत कुछ तैयारियाँ भी कर चुके थे वहाँ प्रशासन ने उन्हें उनकी करतूतों का आइना दिखाते हुए कार्यक्रम करने के लिए अनुमति देने से मना कर दिया है।
गुलबर्गा विश्वविद्यालय में कन्हैया कुमार के कार्यक्रम पर प्रशासन द्वारा अनुमति न देने को लेकर विश्वविद्यालय की वाइस-चांसलर परिमला आंबेडकर ने कहा कि ‘कैम्पस में इस कार्यक्रम के लिए अनुमति न देने में सबसे बड़ी वजह सुरक्षा को लेकर है, उन्होंने बताया कि इस बारे में उनसे सुरक्षा को लेकर उठने वाले सवालों के बारे में भी कहा गया था।’
स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं हो सकता, यही वजह है की विवादस्पद हरकतों से अपना इतिहास बनाने वाले कन्हैया कुमार को विश्वविद्यालय में किसी तरह का कार्यक्रम करने की परमिशन नहीं दी गई।
बता दें कि इस कार्रवाई को लेकर जब वाइस चांसलर परिमला आंबेडकर से पूछा गया तो उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें राज्यपाल की ओर से कोई आदेश नहीं दिया गया है बल्कि यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर किया गया है। वीसी परिमला आंबेडकर ने इस फैसले को अमल में लाए जाने के सन्दर्भ में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव के होने से साफ़ इनकार करते हुए कहा कि कार्यक्रम रद्द करना विश्वविद्यालय स्तर का अपना फैसला है।