उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में अंधविश्वास के एक मामले में ‘दैनिक भास्कर’ ने मौलवी को ‘तांत्रिक’ लिख कर भ्रम फैलाया है। ये घटना दोस्तपुर थाना क्षेत्र के खलिसपुर दुर्गा गाँव की है। सविता प्रजापति नाम की महिला अपने पति कपिल देव के साथ अपनी बीमार माँ के कहने पर मायके आई थी। उक्त महिला को कई बीमारियाँ थीं। ‘दैनिक भास्कर’ ने लिखा है कि उस महिला को ‘बाबा’ के पास ले जाया गया, जबकि वो एक मौलवी/फकीर था।
ढोंगी बाप-बेटा था और दोनों ने महिला पर भूत-प्रेत का साया होने की बात कही। उन्होंने पीड़ित परिवार से 25,000 रुपए भी ले लिए और महिला को एक कमरे में बंद कर के पीटा। साथ ही अगरबत्तियों से भी दाग दिया। गाँव के कुछ लोगों ने ही महिला को झाड़-फूँक की सलाह दी थी। बिशुनपुर छीतेपट्टी गाँव के शमशेर अली और उसका बेटा निन्हे किस हिसाब से ‘तांत्रिक’ हुआ, ये बात ‘दैनिक भास्कर’ से पूछना चाहिए।
इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आरोप है कि शमशेर अली ने 25,000 रुपए लेकर आश्वासन दिया कि वो महिला को झाड़-फूँक के जरिए ठीक कर देगा। इस पर परिजन राजी हो गए और बाप-बेटे पीड़ित महिला को अपने आवास के एक कमरे में झाड़-फूँक के लिए लेकर गए और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। यहाँ भी ‘दैनिक भास्कर’ ने ‘तंत्र-मंत्र’ शब्द का प्रयोग किया है, जो हिन्दुओं की प्रक्रिया है।
महिला के बुरी तरह घायल होने के बाद उसे परिजन किसी तरह घर लेकर गए। शनिवार (जून 5, 2021) को महिला की हालत खराब हो गई और वो बेहोश हो गई। परिजनों ने 112 डायल कर के पुलिस को इसकी सूचना दी। यूपी पुलिस ने घायल महिला को अस्पताल पहुँचाया, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। पीड़िता की माँ की तहरीर पर शमशेर अली और उसके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
मीडिया अक्सर मौलवियों को और फकीरों को ‘बाबा’ या ‘तांत्रिक’ लिख कर चलाता है, जिससे ऐसा लगता है जैसे आरोपित कोई हिन्दू साधु-संत ही हो। साथ ही फकीरों के झाड़-फूँक को भी ‘तंत्र-मंत्र’ लिख कर चलाता है। क्या आपने किसी मस्जिद में तंत्र- मंत्र होते देखा है या कोई मौलवी ‘बाबा’ हो सकता है? इससे पहले भी NDTV से लेकर कई मीडिया संस्थान भ्रामक हेडिंग्स के जरिए हिन्दुओं को बदनाम करते रहे हैं।
इसी तरह उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हर्ष विहार में एक मस्जिद में बलात्कार की घटना सामने आई थी। मस्जिद में पानी लेने गई 12 साल की लड़की का मौलवी इलियास ने रेप किया था। ‘दैनिक भास्कर’ ने लिखा था – ‘धार्मिक स्थल पर हुई वारदात। जब किसी छोटे से छोटे मामले में भी मंदिर की पहचान नहीं छिपाई जाती, तो फिर मस्जिद की पहचान छिपाने का क्या उद्देश्य था? कई अन्य मीडिया संस्थान ने भी ऐसा किया था।