Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाज'केरल को एकमुश्त बेलआउट पैकेज दे केंद्र': सुप्रीम कोर्ट का आदेश, राज्य सरकार के...

‘केरल को एकमुश्त बेलआउट पैकेज दे केंद्र’: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, राज्य सरकार के पास कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 मार्च 2024) को सुझाव दिया कि केंद्र सरकार केरल को मौजूदा वित्तीय संकट से निकालने के लिए 31 मार्च तक उसे एकमुश्त पैकेज दे। कोर्ट ने यह भी माना कि वह वित्तीय मामलों का विशेषज्ञ नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार और केरल सरकार बीच का रास्ता निकाल सकती हैं। इसको लेकर अब केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की बैठक होने की संभावना है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 मार्च 2024) को सुझाव दिया कि केंद्र सरकार केरल को मौजूदा वित्तीय संकट से निकालने के लिए 31 मार्च तक उसे एकमुश्त पैकेज दे। कोर्ट ने यह भी माना कि वह वित्तीय मामलों का विशेषज्ञ नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार और केरल सरकार बीच का रास्ता निकाल सकती हैं। इसको लेकर अब केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की बैठक होने की संभावना है।

केरल सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि यह पैकेज कड़ी शर्तों के साथ दिया जा सकता है। पीठ ने कहा, “आप थोड़ा उदार हो सकते हैं और एक विशेष मामले के रूप में एकमुश्त पैकेज दे सकते हैं। अन्य राज्यों की तुलना में कठोर शर्तें के साथ 31 मार्च से पहले विशेष पैकेज दें।”

इस मामले में केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए, जबकि केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल (AG) आर वेंकटरमणि और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एन वेंकटरमन पेश हुए। याचिका दाखिल करके केरल सरकार ने दावा किया गया था कि केंद्र सरकार राज्य की उधार लेने और उसके वित्त को विनियमित करने की शक्ति में अनुचित हस्तक्षेप कर रही है।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने केंद्र से केरल का बकाया 19,000 करोड़ रुपए तत्काल जारी करने की माँग की। तब एएसजी ने कहा, “जैसे ही बिजली मंत्रालय कहेगा कि उन्होंने अनुपालन कर लिया है, इसे स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इस योजना के तहत बेलआउट पैकेज संभव नहीं है।” केंद्र ने कहा कि वह केरल के साथ विशेष व्यवहार नहीं कर सकता।

एएसजी ने जोर देकर कहा, “उनका मामला कोई विशेष नहीं है। हमने अन्य राज्यों को मना कर दिया है। वे व्यय का बजट भी नहीं रखते हैं। व्यय पैकेज की तुलना में 15 गुना अधिक बेलआउट मांँगा गया है।” केंद्र के हाथ बँधे होते हुए उन्होंने कहा, “उन्हें अदालत को बताना चाहिए कि वे भुगतान क्यों नहीं कर सकते। बाधाओं के बावजूद कोई रास्ता निकालने के लिए है।”

दरअसल, पिछले साल दिसंबर में दायर अपने मुकदमे में केरल सरकार ने आरोप लगाया था कि राज्य की उधारी पर केंद्र सरकार द्वारा कुछ सीमाएँ लगाने से अवैतनिक बकाया राशि जमा हो गई है। इसके परिणामस्वरूप गंभीर वित्तीय संकट हो सकता है। इसके बाद केरल की सरकार फरवरी महीने से अपने कई कर्मचारियों को वेतन देने में विफल रहा है।

पीठ ने 6 मार्च को कहा था कि राज्यों द्वारा राजकोषीय कुप्रबंधन एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में केंद्र सरकार को चिंतित होना होगा, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सरकारों से बातचीत कर मुद्दों को हल करने का आग्रह किया था। इसके बाद दोनों सरकारें बातचीत करने पर सहमत हुई थीं। इसके बाद केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -