Sunday, November 17, 2024
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नेताओं की जुबान पर एक्स्ट्रा लगाम से सुप्रीम कोर्ट का इनकार: कहा- नागरिकों के समान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मंत्री के बयान के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं

पीठ ने अधिक प्रतिबंध से इनकार करते हुए कहा कि संसद इस पर विचार कर सकती है। यह भी एक कहा कि आत्मनियंत्रण का एक अलिखित नियम है, जिसके तहत माना जाता है कि उच्च पदों पर बैठे लोग मर्यादाओं का पालन करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने विधायक, सांसद और मंत्रियों के बोलने की स्वतंत्रता पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि इन्हें भी अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत नागरिकों की तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समान अधिकार प्राप्त है। साथ ही अनुच्छेद 19(2) के तहत पहले से ही बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मंगलवार (3 जनवरी 2023) को 4:1 की बहुमत के साथ यह फैसला सुनाया। पीठ में जस्टिस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना शामिल थीं। इनमें से केवल जस्टिस नागरत्ना का विचार अन्य जजों से अलग था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने बहुमत के साथ कहा कि मंत्री के बयान के लिए सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत के तहत सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जस्टिस नागरत्ना का भी मानना था कि अनुच्छेद 19(2) के तहत अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते। लेकिन, उनका यह कहना था कि यदि कोई मंत्री आधिकारिक क्षमता में अनर्गल बयान देता है तो इसके लिए सरकार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

जस्टिस नागरत्ना का कहना था कि यदि मंत्रियों का बयान सरकार के रुख के अनुरूप नहीं हैं, तो इसे व्यक्तिगत टिप्पणी माना जाएगा। उन्होंने विवादित बयानों के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अनुच्छेद 19(1)(ए) और 21 के तहत मौलिक अधिकार संवैधानिक अदालतों में अलग तरीके से लागू नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पदों पर बैठे हुए लोगों द्वारा दिए गए भाषण या अभद्र भाषा के उपयोग से खुद को आहत महसूस करता है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने अधिक प्रतिबंध से इनकार करते हुए कहा कि संसद इस पर विचार कर सकती है। यह भी एक कहा कि आत्मनियंत्रण का एक अलिखित नियम है, जिसके तहत माना जाता है कि उच्च पदों पर बैठे लोग मर्यादाओं का पालन करेंगे। कोई ऐसी बात न करेंगे जिससे किसी भी वर्ग को ठेस लगे। लेकिन धीरे-धीरे यह आत्मनियंत्रण खत्म होता जा रहा है।

क्या है मामला

साल 2016 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक किशोरी और उसकी माँ के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। इस बलात्कार को उस समय की समाजवादी सरकार में मंत्री रहे आजम खान ने ‘राजनीतिक साजिश’ करार दिया था। इसके बाद, बलात्कार पीड़िता के पिता ने आजम खान के बयान के खिलाफ याचिका दायर की थी। हालाँकि, अपने इस बयान के लिए आजम खान माफी माँग ली थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई आगे बढ़ाने का फैसला किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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