सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (21 अप्रैल 2023) को साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों में आग लगाकर (Godhra Train Coach Burning Case) 59 लोगों की हत्या करने के 8 दोषियों को जमानत दे दी। ये सभी दोषी इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
इन सभी दोषियों को निचली अदालत और उसके बाद हाईकोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिली है। 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर दोषियों को जमानत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से फाँसी की सजा पाए 4 दोषियों को जमानत से साफ मना कर दिया।
पीठ ने कहा कि फिलहाल वह उन लोगों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर रही है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने पहले मौत की सजा दी थी और बाद में उनकी सजा घटाकर आजीवन कारावास में बदली गई।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सत्र न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों पर इन 8 दोषियों को जमानत दी है। दरअसल, 12 दोषियों ने सर्वोच्च न्यायालय में जमानत की याचिका दाखिल की थी। इसको लेकर अदालत ने इस साल 20 फरवरी को दोषियों की उम्र और जेल में बिताए गए समय की जानकारी माँगी थी।
गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पक्ष रखा और गुजरात उच्च न्यायालय के 2017 के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फाँसी सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। दरअसल, निचली अदालत ने 20 दोषियों को उम्रकैद और 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि कुछ दोषियों की उम्र अब 60 साल से अधिक हो चुकी है। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने अदालत को सूचित किया कि अभियुक्तों में से एक बिलाल इस्माइल गुजराती नहीं जानता था। उसने बयान को पढ़े जाने बिना एक दस्तावेज पर अपने अंगूठे का निशान लगाया था।
मौत की सजा वाले चार दोषियों को लेकर तुषार मेहता ने बेंच से कहा, “मुझे चार दोषियों से उनकी भूमिकाओं के कारण दिक्कत है। उनमें से एक के पास से लोहे का पाइप और दूसरे के पास से एक धरिया मिला था। एक दोषी कोच जलाने में इस्तेमाल किए गए पेट्रोल को खरीदते हुए, उसे रखते हुए और उसे ले जाते हुए पाया गया। उनकी याचिका खारिज की जाए।”
पिछले दिसंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड के 31 दोषियों में से एक फारूक को जमानत दे दी थी। फारूक इस आधार पर जमानत मिली थी कि वह 17 साल सजा काट चुका था और इस मामले में उसकी भूमिका ट्रेन पर पथराव की थी।
इससे पहले 13 मई 2022 को कोर्ट ने दोषियों में से एक अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कांकट्टो को 6 महीने के लिए जमानत दे दी थी। अब्दुल ने कोर्ट को बताया था कि उसकी पत्नी टर्मिनल कैंसर से पीड़ित है और उसकी बेटियाँ मानसिक बीमारी से गुजर रही हैं। अब्दुल की जमानत को बाद में कोर्ट ने 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दी थी।
बताते चलें कि साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी को दंगाइयों ने जला दिया, जिसमें 27 महिला और 10 बच्चे सहित 59 लोग जिंदा जलकर मर गए थे। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। माना जाता है कि इस दंगे में दोनों तरफ के लगभग 2000 लोग मारे गए थे।