सुप्रीम कोर्ट (SC) ने गुरुवार (जुलाई 15, 2021) को इलाहाबाद हाई कोर्ट के साल 2019 के एक फैसले को न्यायोचित न करार देते हुए उत्तर प्रदेश (यूपी) में डीजे (DJ) पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए हिदायत दी कि डीजे बजाते समय ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाए।
जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कई लोगों ने चुनौती दी थी। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस विनीत सरन ने उनकी याचिका पर सुनवाई कर हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया और कहा कि आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करने के बाद डीजे सेवाएँ यूपी में फिर से शुरू हो सकती हैं।
इस सुनवाई में प्रतिबंध हटाने की फैरवी करने वाले वकील दुष्यंत पराशर ने तर्क दिया कि राज्य में डीजे ऑपरेटर शादी, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएँ देकर घर चलाते हैं। ऐसे में हाई कोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। याचिका में इस बात का जिक्र किया गया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश डीजे के पेशे से जुड़े लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और इससे वह बेरोजगार हुए हैं।
UP में फिर बजेंगे डीजे: सुप्रीम कोर्ट ने हटाई इलाहाबाद HC की रोक, लाइसेंस लेना होगा जरूरीhttps://t.co/gT9pjJ5bvY
— Zee Uttar Pradesh Uttarakhand (@ZEEUPUK) July 15, 2021
इसके अलावा इसमें बताया गया कि साल 2019 में याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में अपने पड़ोस में लाउडस्पीकर के अंधाधुंध उपयोग की शिकायत की थी, और इसके बाद उच्च न्यायालय ने पूरे राज्य के लिए एक सामान्य निर्देश पारित करने में गलती की। आवेदकों के मुताबिक, उस समय याचिकाकर्ता ने सिर्फ एक इलाके में हो रहे शोर का मामला सामने रखा था। मगर हाई कोर्ट ने पूरे राज्य के लिए आदेश दे दिया। ऐसा करते समय प्रभावित पक्षों को सुना भी नहीं गया।
आज इसी संबंध में SC ने सभी डीजे संचालकों को राहत दी और यूपी से डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध हटाते हुए निर्देश जारी किए कि संबंधित अधिकारियों को डीजे संचालकों की तरफ से (लाइसेंस के लिए) दाखिल प्रार्थनापत्र स्वीकार करने होंगे। अगर वे कानून के लिहाज से सारे मानक पूरे करते हैं तो उन्हें अपनी सेवाएँ संचालित करने की इजाजत देनी होगी।
बता दें कि साल 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में डीजे के उपयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट ने शादी समारोहों में डीजे बजने से पैदा होने वाले शोर को अप्रिय और बेहूदा स्तर का बताते हुए इन्हें पूरी तरह प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया था। इसी के बाद इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका दी और फैसले को अनुच्छेद 19 का उल्लंघन बताया था क्योंकि फैसले में न्यूनतम स्तर भी डीजे संचालन की अनुमति नहीं थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस फैसले से वह बेरोजगार हो गए हैं।