आखिरकार वह फैसला आ ही गया जिसका इंतजार हिंदू दशकों से कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने फैसले में कहा कि विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष अपना दावा साबित करने में विफल रहे। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस जगह पर ट्रस्ट बनाकर मंदिर का निर्माण शुरू करने का आदेश केंद्र सरकार को दिया है।
ट्रस्ट बनाने और मंदिर निर्माण की योजना के लिए तीन महीने का वक्त सरकार को दिया गया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहीं और मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया है। यानी, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग से ज़मीन दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि बाहरी हिस्से पर हिन्दुओं द्वारा पहले से ही पूजा की जा रही थी, इसमें कोई विवाद नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम भीतरी हिस्से पर भी अपना दावा साबित करने में विफल रहे। 1857 से पहले यहाँ हिन्दुओं द्वारा पूजा करने के सबूत हैं। मुस्लिम पक्ष को राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी।
#Breaking: Alternate land to be allotted to Muslims to construct mosque, Supreme Court orders.#AYODHYAVERDICT pic.twitter.com/SPP536RoaP
— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा की भागीदारी सुनिश्चित करने को भी कहा गया है। हालॉंकि जमीन पर उसका दावा पीठ ने खारिज कर दिया। शिया बोर्ड का भी दावा अदालत ने नहीं माना। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जमीन को तीन हिस्सों में बॉंटने के फैसले को भी शीर्ष अदालत की पीठ ने गलत बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास के आधार पर फ़ैसला नहीं करना चाहिए, बल्कि कानून के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का शूट लिमिटेशन एक्ट के तहत आता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये लिमिटेशन 12 साल का है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि 1857 से पहले हिन्दू यहाँ पूजा करते थे। यानी, अंग्रेजों के आने से पहले ही राम चबूतरा, सीता रसोई और विवादित ज़मीन के बाहरी हिस्से में हिन्दू पूजा किया करते थे। अर्थात, आउटर कोर्टयार्ड हिन्दुओं की पूजा का मुख्य बिंदु था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारा विवाद अंदर के हिस्से को लेकर है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि मुस्लिम पक्ष विवादित ज़मीन के भीतरी हिस्से पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा है और सारा विवाद भीतरी हिस्से को लेकर ही है। यानी, बाहरी हिस्से पर हिन्दू काफ़ी पहले से पूजा करते आ रहे हैं, इसमें कोई विवाद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पीठ में शामिल सभी जजों को संविधान के अनुसार फ़ैसला सुनना है।