उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धँसने के कारण पैदा हुए संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (16 जनवरी, 2023) को कहा है कि मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही है। इसलिए, इसमें दखल देना सही नहीं है। इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता चाहें तो हाई कोर्ट जा सकते हैं।
दरअसल, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने जोशीमठ में जमीन धँसने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने इस संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने समेत कई माँग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने कहा है कि यह मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट में पहले ही लंबित है। याचिकाकर्ता को अपनी बात वहीं चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है, “सैद्धांतिक रूप से, हमें हाई कोर्ट को इससे निपटने की अनुमति देनी चाहिए। यदि मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में है, तो हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। हम आपको हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता देंगे।” इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनकी याचिका जोशीमठ में रहने वालों को राहत देने और उनके पुनर्वास से संबंधित है। वहीं, उत्तराखंड हाई कोर्ट में जोशीमठ शहर में बन रहे हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट को लेकर याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ता के वकील की इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा “आप सोशल मीडिया साउंड बाइट्स के लिए इस मुद्दे का उपयोग नहीं सकते। हाई कोर्ट के आदेश से, ऐसा लगता है कि उठाए गए मुद्दे पहले ही वहाँ चल रहे हैं। यदि आपके पास इसके अलावा कोई अन्य मुद्दा है, तो उन मुद्दों के साथ आपको हाई कोर्ट जाने की अनुमति है।”
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा है, “12 जनवरी को हाई कोर्ट ने इस मामले में आदेश पारित किए हैं। हाई कोर्ट ने विशेषज्ञ कमिटी के गठन पर भी जवाब माँगा है। सरकार और NTPC को जोशीमठ में निर्माण फिलहाल बंद रखने के लिए भी कहा है। हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को वहीं अपनी बात रखनी चाहिए।”
गौरतलब है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने उक्त याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई करने की अपील की थी। हालाँकि, कोर्ट ने 10 जनवरी, 2023 को तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि हर चीज को कोर्ट में लाने की आवश्यकता नहीं है। इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएँ हैं।
बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने इस जनहित याचिका में जोशीमठ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रभावितों को आर्थिक सहायता देने की अपील की थी। इस याचिका में, यह भी माँग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट जोशीमठ संकट से निपटने और वहाँ चल रहे निर्माण कार्य में सहयोग करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दे।