Wednesday, June 26, 2024
Homeदेश-समाज'48 घंटे में मिले हर बूथ का डेटा': चुनाव आयोग ने ठुकराई माँग, कहा...

’48 घंटे में मिले हर बूथ का डेटा’: चुनाव आयोग ने ठुकराई माँग, कहा – चुनाव प्रक्रिया में नहीं डाल सकते रुकावट

कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर कोई भी अंतरिम राहत नहीं दे सकता और उसने इस याचिका को 2019 की याचिका के साथ लिस्ट करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई लोकसभा चुनावों के बाद होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (24 मई, 2024) को मतदान के 48 घंटों के भीतर वोटों की कुल वोटों की संख्या की माँग करने वाली याचिका पर चुनाव आयोग को कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह लोकसभा चुनावों के बीच प्रक्रिया में रुकावट नहीं डाल सकता। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चन्द्र शर्मा की अवकाश बेंच ने कहा, “मैं आपको बता दूँ, इस अर्जी पर चुनाव के बाद सुनवाई होगी। चुनाव के बीच में बिलकुल नहीं। हम इस प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सकते। हम भी जिम्मेदार नागरिक हैं। इस याचिका पर मुख्य याचिका के साथ सुनवाई होगी। प्रशासन में थोड़ा विश्वास रखें।”

कोर्ट ने इसी विषय पर 2019 में लगाई गई याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि आखिर दोबारा से चुनावों के बीच अंतरिम राहत के लिए दूसरी याचिका क्यों लगाई गई है। कोर्ट ने कहा, “2019 की याचिका का हिस्सा ‘बी’ और 2024 की अंतरिम याचिका का हिस्सा ‘ए’ देखें, इसे एक साथ रखें।” सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाओं से समान होने को लेकर यह बात कही।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा, “सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले आपके सामने हैं, और कहते है कि आप ऐसा नहीं कर सकते। 1985 के एक फैसले में कहा गया है कि यह (मतदान के वोटों की संख्या) कुछ ही बहुत असाधारण मामलों में किया जा सकता है लेकिन बहुत ही असाधारण मामलों में। आपने 16 मार्च से पहले यह याचिका क्यों नहीं लगाई?”

कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर कोई भी अंतरिम राहत नहीं दे सकता और उसने इस याचिका को 2019 की याचिका के साथ लिस्ट करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई लोकसभा चुनावों के बाद होगी।

गौरतलब है कि ADR नाम के एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा कर माँग की थी कि चुनाव आयोग वोटिंग के 48 घंटे के भीतर हर बूथ पर डाले गए वोटों की कुल संख्या वेबसाइट पर जारी करे। इस मामले पहले हुई सुनवाई में चुनाव आयोग ने कहा था कि वह वोटों की संख्या देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है।

चुनाव आयोग ने इन संस्थाओं पर यह भी आरोप लगाया था कि यह चुनाव के बीच उसकी विश्वसनीयता खत्म करने के लिए नए नए आरोप लगा रही हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि यह सब शक के आधार पर किया जा रहा है। आयोग ने कहा कि इसकी वजह से कम वोटिंग हो रही है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अर्पित त्रिपाठी
अर्पित त्रिपाठीhttps://hindi.opindia.com/
अवध से बाहर निकला यात्री...

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘बड़ी संख्या में OBC ने दलितों से किया भेदभाव’: जिस वकील के दिमाग की उपज है राहुल गाँधी वाला ‘छोटा संविधान’, वो SC-ST आरक्षण...

अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लाने के पक्ष में हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इस वर्ग का छोटा का अभिजात्य समूह जो वास्तव में पिछड़े व वंचित हैं उन तक लाभ नहीं पहुँचने दे रहा है।

क्या है भारत और बांग्लादेश के बीच का तीस्ता समझौता, क्यों अनदेखी का आरोप लगा रहीं ममता बनर्जी: जानिए केंद्र ने पश्चिम बंगाल की...

इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता के पानी को लेकर लगभग सहमति बन गई थी। इसके अंतर्गत बांग्लादेश को तीस्ता का 37.5% पानी और भारत को 42.5% पानी दिसम्बर से मार्च के बीच मिलना था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -