वाराणसी के ज्ञानवापी ढाँचा परिसर में कोर्ट के निर्देश पर जारी सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष को जबरदस्त झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने परिसर में जारी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ASI ने साफ कहा है कि पूरा सर्वेक्षण बिना किसी खुदाई और संरचना को कोई नुकसान पहुँचाए बिना पूरा किया जाएगा।
सर्वे जारी रखने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे को हरी झंडी दे दी है। अब भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण टीम के द्वारा ज्ञानवापी ढाँचा परिसर में सर्वे जारी रहेगा।
Supreme Court declines to stay the scientific survey by the Archaeological Survey of India (ASI) of the Gyanvapi mosque premises.
— ANI (@ANI) August 4, 2023
Supreme Court says that ASI has clarified that the entire survey would be completed without any excavation and without causing any damage to the… pic.twitter.com/Q2lF2uOkRD
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “अयोध्या मामले में भी ASI सर्वे हुआ था और हम सबूत के सारे ऑप्शन खुले रखेंगे। हम इस बात का ख्याल रखेंगे कि ढाँचे को कोई नुकसान न हो।”
इस पर सरकार की ओर पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ASI ने हाईकोर्ट में एफिडेविट दिया है कि ढाँचे को कोई नुकसान नहीं होगा। उसका पालन किया। उन्होंने कहा कि अगर कभी भविष्य में खुदाई की जरूरत पड़ती है तो कोर्ट से परमिशन ली जाएगी।
खुदाई की बात सुनते ही मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वकील ने कहा, “इसमें खुदाई की बात कहाँ से आ गई?” सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सर्वे हो गया, लेकिन ऑर्डर 7 रूल 11 की याचिका डिसमिस हो जाती है तो सर्वे की रिपोर्ट सिर्फ कागज का एक पन्ना बनकर रह जाएगी और उसकी कोई वैल्यू नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “ऐसा भी कर सकते हैं कि सर्वे की रिपोर्ट को सील्ड कवर में रखा जाए और ऑर्डर 7 रूल 11 की याचिका की मेनटेनिबिलिटी तय होने के बाद ही उसे खोला जाए।’ ऑर्डर 7 रूल 11 पर कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा और इस बारे में नोटिस जारी किए गए हैं।”
बताते चलें कि वाराणसी के ट्रायल कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। मामला जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में गया तो हाईकोर्ट ने गुरुवार को ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद शुक्रवार को सुबह 8 बजे से ही परिसर में सर्वे का काम चल रहा है। जुमे की नमाज पढ़ने के लिए ASI ने बीच में दो घंटे के लिए सर्वे को रोक दिया गया था। स्थिति को देखते हुए पूरे इलाके में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ का भी मुद्दा उठा है। मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील अहमदी ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम की धारा 2(बी) के तहत इसकी स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता है। यह सेक्शन कन्वर्जन को परिभाषित करता है।
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “आप सही हैं। एक्ट के 2(बी) रूपांतरण शब्द का उपयोग बहुत व्यापक अर्थ में है। एक्ट के तहत साफ है कि पूजास्थल का धार्मिक चरित्र नहीं बदलना चाहिए।” सीजेआई ने कहा कि सवाल यह है कि 15 अगस्त 1947 को उस स्थान का धार्मिक चरित्र क्या था?
उधर, ASI ने वाराणसी के जिला जज से सर्वे की रिपोर्ट जमा करने के लिए कुछ और समय की माँग की है। जिला कोर्ट ने 4 अगस्त को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। हालाँकि, सर्वे का काम पूरा नहीं होने के कारण रिपोर्ट नहीं पेश किया जा सका।
जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दायर प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि हाईकोर्ट में सुनवाई लंबित होने और रोक लगाए जाने के कारण सर्वे का काम समय पर पूरा नहीं हो सका है। भारतीय पुरातात्विक विभाग की ओर से केंद्र सरकार के अधिवक्ता अमित कुमार श्रीवास्तव और शंभू शरण सिंह ने अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।