सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (11 अप्रैल 2023) को बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में केंद्र, बिहार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है। अगली सुनवाई 21 अप्रैल 2023 को होगी।
मनीष कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अपने खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में दर्ज एफआईआर को एक साथ करने की माँग की है। याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिसमें बिहार में तीन और तमिलनाडु में दो प्राथमिकी शामिल हैं। साथ ही अंतरिम जमानत की माँग भी की है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान कश्यप की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि वह दो राज्यों में पाँच मुकदमों का सामना कर रहे हैं। दवे ने कहा, “तमिलनाडु में दो प्राथमिकी दर्ज की गई है और बिहार में एक जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। एक अपराध के मामले में कई कार्रवाई नहीं की जा सकती। अर्नब गोस्वामी मामले में भी ऐसा ही किया गया था।” दवे ने कहा कि कई एफआईआर दर्ज होने के कारण कश्यप को तमिलनाडु ले जाया गया है, लेकिन उन्हें वहाँ की भाषा समझ नहीं आती। वहीं तमिलनाडु राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि फर्जी खबरों के कारण कई मौतें हुईं। यह कोई छोटी बात नहीं है।
बता दें कि मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर हमले को लेकर फर्जी वीडियो बनाने का आरोप है। वहीं मनीष कश्यप का कहना है कि नीतीश सरकार के इशारे पर उनके खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में झूठी FIR दर्ज कराई गई है। कश्यप ने 18 मार्च को बिहार के बेतिया में सरेंडर किया था। इसके बाद 29 मार्च को तमिलनाडु पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। मदुरै की एक अदालत में पेश करने के बाद उन्हें तीन दिनों की रिमांड पर भेजा गया था। रिमांड खत्म होने के बाद फिर से उनकी मदुरै जिला कोर्ट में पेशी हुई। जहाँ से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। फिलहाल वह 19 अप्रैल 2023 तक न्यायिक हिरासत में है। उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।