सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को जेल से जल्दी छोड़ने के फैसले को पलट दिया है। अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने निर्णय लिया था कि बिलकिस मामले में जेल में बंद दोषियों के अच्छे व्यवहार के आधार पर उनकी बाकी सजा माफ़ कर दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयान ने इस मामले का निर्णय सुनाया। उन्होंने कहा कि बिलकिस के गैंगरेप के दोषियों को दो सप्ताह के भीतर फिर से पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करके जेल जाना होगा। उसका कहना है कि इन 11 दोषियों को जेल से जल्दी छोड़ने का निर्णय गुजरात सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर था।
इन सभी दोषियों को अच्छे व्यवहार के चलते गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को जेल से छोड़ा था। इन्हें 2004 में गिरफ्तार किया गया था जबकि 2008 में सजा सुनाई गई थी। इन सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2022 तक इन्हें सजा पाए लगभग 15 वर्ष हो गए थे। इसीलिए गुजरात सरकार ने 2022 में छोड़ दिया था।
इनको 2022 में छोड़े जाने के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दाखिल की गईं थी। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका बिलकिस बानो ने खुद भी डाली थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में बारह दिनों तक सुनवाई की थी और इस पर निर्णय को रिजर्व कर लिया था। अब इसका निर्णय बिलकिस बानो के पक्ष में आया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में कारसेवकों की एक ट्रेन पर मुस्लिम भीड़ ने हमला करके उसमें आग लगा दी थी। इस हमले में 59 कारसेवक मारे गए थे। इनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इन दंगों के दौरान ही बिलकिस बानो के साथ बलात्कार की घटना सामने आई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सजा बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरकरार रखी थी इसलिए इन दोषियों को माफ़ करने का निर्णय भी महाराष्ट्र सरकार का होना चाहिए था ना कि गुजरात सरकार का। हालाँकि मालूम हो कि यह मामला महाराष्ट्र से गुजरात ट्रांसफर कर दिया गया था।