उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों में आप के निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन की संलिप्तता के कई सबूत सामने आए हैं। अब शाहीन बाग से भी उसका कनेक्शन सामने आया है। चॉंदबाग और खजुरी खास के लोगों का कहना है कि ताहिर लोगों को गाड़ियों में भरकर शाहीन बाग भेजता था। वहॉं भेजने के लिए लोगों को ताहिर कहॉं से लाता था इसके बारे में अभी तस्वीर स्पष्ट नहीं है। शाहीन बाग में अरसे से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना चल रहा है।
बताया जाता है कि ताहिर हुसैन अपने नेटवर्क के जरिए एक के बाद एक ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों में व्यस्त था। ‘TV9 भारतवर्ष’ कर एक रिपोर्ट में बताया गया है कि शाहीन बाग़ में चल रहे धरने, दिल्ली दंगे और ताहिर हुसैन के आपस में तार जुड़े हुए हैं। चाँदबाग़ की एक पार्किंग में जाकर चैनल के रिपोर्टर ने इस बारे में अहम जानकारी जुटाई। यहॉं ओला-उबर और प्राइवेट गाड़ियॉं पार्क की जाती है। इन्हीं गाड़ियों में से एक के बारे में कहा जा रहा है कि वह रोज शाहीन बाग़ जाया करती थी।
एक चश्मदीद ने बताया कि रात को उसने कई बार देखा है कि ताहिर हुसैन के घर के सामने टैक्सियों को हायर कर शाहीन बाग़ ले जाया जाता था। उसने बताया कि उसे भी अपनी गाड़ी शाहीन बाग़ ले जाने के लिए कहा गया था। क़रीब 50-60 लोग रोज़ ताहिर हुसैन की इमारत से शाहीन बाग़ ले जाए जाते थे। उबर के एक अन्य ड्राइवर ने बताया कि उससे भी कई बार वहाँ चलने के लिए कहा गया था। उसने बताया कि 100 लोगों को भी ले जाता जाता था और क़रीब 5-10 गाड़ियाँ रोज शाहीन बाग़ जाती थीं।
एक अन्य ओला ड्राइवर ने बताया कि वो ताहिर हुसैन और उसके सेक्रेट्री व ड्राइवर को पहचानता है क्योंकि वो उसके ऑफिस में जा चुका है। उसने बताया कि उसने अपने मोहल्ले के लोगों को पहले भी मना कर चुका था कि ताहिर हुसैन के कहने पर कोई शाहीन बाग़ नहीं जाएगा। उसने आगे बताया कि यहाँ से कंटेनर व बोरियों में रख कर कई सामान भी शाहीन बाग़ ले जाए जाते थे। उनमें क्या होता था, इस बारे में किसी को भी नहीं पता। न सिर्फ़ शाहीन बाग़, बल्कि 5 बसों में सामान और लोग सम्भल भी ले जाए जाते थे। वहाँ भी सालों से भारी मात्रा में सामान ले जाए जाते थे। लोग कहते हैं कि वे बसें अवैध हैं।
लोगों ने बताया कि वे अभी भी बच्चों के स्कूल नहीं भेज रहे हैं, क्योंकि वे भयभीत हैं। लोगों का कहना है कि वहाँ लोग बच्चों को पकड़ कर उनके साथ क्या कर देंगे, ये सोच कर ही उनकी रूह काँप उठती है। अब सवाल ये उठता है कि आख़िर ताहिर हुसैन के घर से गाड़ियों में भर-भर कर लोगों को व सामान को शाहीन बाग़ क्यों ले जाया जाता था?