फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स‘ जब से रिलीज हुई है तब से कश्मीरी पंडित एक-एक कर अपने साथ हुई बर्बरता को दुनिया के सामने रखने के लिए सामने आने लगे हैं। इससे पहले तक वर्षों से कश्मीरी पंडितों के दर्द को अनदेखा किया गया, लेकिन अब कश्मीरी हिंदू पीड़ितों के कई परिवार अपने प्रियजनों के दर्द, पीड़ा और उनके संघर्ष को बता रहे हैं, जो उन्होंने 1990 के दशक में घाटी में इस्लामी आतंक के दौरान झेला था।
इसी तरह से 14 मार्च को इंडिया टीवी पर इन कश्मीरी पंडितों को लेकर एक शो किया गया, जिसकी क्लिप आशीष (@KashmiriRefuge) नाम के एक यूजर ने शेयर की, जिसमें एक कश्मीरी पंडित महिला अपना दर्द बयाँ करती हैं।
Kashmiri Hindu couple went back to collect & sell their items. Their life was made hell that one night and had to sleep in office store
— Aashish (@kashmiriRefuge) March 17, 2022
And Then listen to what happened to their relatives. #TheKashmirFiles pic.twitter.com/vqFWcDGmOS
शो में ‘द कश्मीर फाइल्स’ की टीम भी मौजूद रही। इस दौरान सरला नाम की कश्मीरी हिंदू महिला ने 1990 के उस भयावह मंजर को साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से इस्लामिक आतंकियों ने उनके रिश्तेदारों के साथ क्रूरता की।
सरला ने बताया कि उनका परिवार जान बचाने के लिए पहले अप्रैल को ही कश्मीर छोड़कर चला गया था। घाटी के घर में ही उन्होंने अपना सारा सामान छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि 10 दिन के बाद 10 अप्रैल को वो अपने पति के साथ अपना सामान लाने के लिए कश्मीर गईं, जो उनके जीवन की सबसे भयानक रात थी। वो कहती हैं कि एक बार जब वो कश्मीर पहुँचीं तो उन्हें कई तरह की धमकियाँ दी गईं।
वो लोग भी उन लोगों से भिड़ गए, जो निर्दोष कश्मीरी हिंदुओं की जान लेना चाहते थे। इस बीच उन्हें ये समझ आया कि वहाँ रुकना उनके लिए खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में एक परिचित की मदद से वो वहाँ से भाग निकले। सरला ने सिसकते हुए बताया, “हमारे पैरों में चप्पल नहीं थी, हमने कुछ भी नहीं खाया था और हम किसी तरह वहाँ से निकल गए… मैं जब तक मैं जिंदा हूँ उस रात को कभी नहीं भूलूँगी।”
सिसकते हुए उन्होंने आगे कहा, “10 दिन बाद हमें न्यूज से पता चला कि मेरे मामा जिंदलाल कौल और चचेरी बहन के पति जगन्नाथ की हत्या कर दी गई है। उन्होंने उन्हें इतनी भयानक मौत दी थी कि आज भी उस घटना को याद करते हैं तो हमारी रीढ़ तक खौफ से सिकुड़ जाती है। उन लोगों ने उन्हें पहले एक पेड़ से लटकाया और फिर शरीर के कुछ हिस्सों को काट दिया। फिर उनकी दोनों आँखें निकाल ली। उसके बाद उसके ऊपर चश्मा पहना दिया। वे 75 वर्ष के थे। वो ऐसा व्यक्ति था हमेशा दूसरों की मदद करता था।”
वो अपने दूसरे रिश्तेदारों के कत्ल के बारे में भी आपबीती साझा करती हैं। रोते हुए सरला आगे बताती हैं कि उनकी एक और चचेरी बहन थी, वो दोनों पति-पत्नी लेक्चरर थे। वो दोनों संदिग्ध परिस्थिति में कहाँ गायब हो गए, उनका आज तक पता नहीं चला। सरला ने ये भी बताया कि उनकी दूसरी बहन के बेटे का सिर काटकर उनके घर से सामने फेंक दिया गया था।
700 कश्मीरी हिंदुओं का लिया इंटरव्यू
सरला के दर्द को सुनने के बाद द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि इस फिल्म के लिए रिसर्च करते वक्त उन्होंने 700 से अधिक कश्मीरी हिंदुओं का इंटरव्यू लिया, जिनमें से सभी की कहानियाँ एक ही तरह की थीं। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि लोगों के लिए अपना दर्द और उनके चोट को बताने का समय बीत चुका है। अगर इस दर्द को दबा दिया जाए तो कोई इलाज नहीं होगा।”
गिरिजा टिक्कू के साथ हुई क्रूरता का जिक्र करते हुए कहा कि यह फिल्म देश और दुनिया के हर बच्चे को दिखाई जानी चाहिए। यह घटना पूरी मानवता के लिए कलंक है। विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग खुद को दोषी महसूस करें, लोग इस मुद्दे पर चर्चा करें और बहस करें ताकि भविष्य में भारत में एक और कश्मीर न बनें। इंडिया टीवी के पूरे एपिसोड को यहाँ देखा जा सकता है।
गौरतलब है कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स जम्मू कश्मीर के उन लाखों कश्मीरी पंडितों पर आधारित है, जिन्हें 1989 में घाटी में इस्लामिक जिहाद के कारण अधिकांश हिंदुओं को घाटी छोड़ने के लिए भागना पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक, फरवरी और मार्च 1990 के बीच कश्मीर के कुल 140,000 कश्मीरी पंडितों में से करीब 100,000 ने पलायन किया। उसके बाद भी पलायन जारी रहा। 2011 तक घाटी में करीब 3,000 परिवार ही रह गए।