जनवरी 2021 का पहला हफ्ता। तिहाड़ जेल से किए गए एक कॉल ने दिल्ली पुलिस के कान खड़का दिए। कॉल पर जो डिमांड की गई थी, वह जेल में बंद एक कैदी की ओर से अपने परिचित या परिजनों से किया जाने वाला सामान्य डिमांड नहीं था। जेल में बंद कैदी ने मर्करी (पारा) की डिमांड की थी।
टाइम्स आफ इंडिया ने तिहाड़ में हिंदू आरोपितों की हत्या से जुड़ी साजिश को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित कर यह जानकारी दी है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस साजिश का पर्दाफाश करते हुए शाहिद और उसके साथी असलम को गिरफ्तार किया था। शाहिद के निशाने पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों में गिरफ्तार हुए दो हिंदू आरोपित थे। इनको मारने के लिए शाहिद ने असलम से मर्करी की डिमांड की थी।
शक गहराने पर पुलिस ने असलम पर नजर रखनी शुरू की। पाया कि वह काफी थर्मामीटर खरीद रहा है और उसे तोड़कर मर्करी परफ्यूम की छोटी बोतल में इकट्ठा कर रहा है। पुलिस ने उसके हिरासत में लेकर पूछताछ की। उसने बताया कि शाहिद दो लोगों की हत्या करना चाहता है। लेकिन, ये लोग कौन हैं यह उसे पता नहीं।
इसके बाद स्पेशल सेल ने शाहिद को रिमांड पर लिया। पूछताछ में पता चला कि उसके सम्पर्क में अजीमुशान और अब्दुस शमी नाम के दो ISIS ऑपरेटिव्स थे। उन्होंने ही उसे जेल में बंद उन दो लोगों को मारने का काम दिया था, जिन पर कथित तौर पर मस्जिद को नुकसान पहुँचाने व समुदाय विशेष के लोगों को मारने का आरोप था।
शाहिद ने बताया कि उसे जो बातें बताई गईं उनसे वह काफी प्रभावित हुआ। उसे इस्लामिक स्टेट की विचारधारा पसंद आई। वह फौरन काम करने को तैयार हो गया। उनकी योजना थी कि जब कैदी इकट्ठा होंगे तो उसको मर्करी दिया जाएगा। उसने बताया कि उन तीनों की मुलाकात जेल नंबर 3 में हुई थी। वहीं प्लान भी बना। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि अजीमुशान का आईएस मॉड्यूल का एक साथी यूनानी डॉक्टर था, उसी ने बताया था कि मर्करी कितना खतरनाक होता है।
बता दें कि अभी इस केस में पुलिस ने आईएस के दोनों ऑपरेटिव्स को नहीं पकड़ा है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पुलिस ने बताया कि पड़ताल चल रही है। वह जाँच पूरी होने के बाद जानकारी साझा करेंगे।
आईएस ऑपरेटिव्स के बारे में पता चला है कि शमी उन 15 लोगों में से एक है जिसे आईएस केस की जाँच में दोषी पाया गया था। अजीमुशान भी एक आतंकी मामले में गिरफ्तार हुआ था। दोनों अमरोहा से हैं। 2013 और 2015 में आईएस आतंकियों ने शमी और अजीमुशान को अपने साथ जोड़ा था। इन्हें हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम और जुनूद-उल-खिलाफा-फिल-हिंद का नाम दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि तिहाड़ जेल में बंद शाहिद ने पर आरोप है कि साल 2015 में दिल्ली के ख्याला में महिला से बलात्कार किया था। उसके बाद महिला और उसके 2 बच्चों की हत्या कर दी थी।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 से 25 फरवरी के दौरान हिंदू विरोधी दंगों में करीब 53 लोग मारे गए थे। 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। मारे गए लोगों में 15 साल के लड़के से लेकर आईबी के कॉन्स्टेबल तक थे। कुछ ने अपनी आँखों के सामने जीवन भर की कमाई को स्वाहा होते देखा। दंगाइयों ने न हिंदुओं की संपत्ति को छोड़ा था न उनके धार्मिक स्थलों को।
दंगों की अब तक की जॉंच से यह बात सामने आई है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा को अंजाम देने की पूरी प्लानिंग की गई थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान दंगों को लेकर पहले से ही तैयारी की गई थी। ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी सहित 18 के खिलाफ दंगों के सिलसिले में पिछले दिनों ही दिल्ली की एक अदालत ने यूएपीए के तहत आरोपों का संज्ञान लिया था।