टूलकिट केस में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार (फरवरी 22, 2021) जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने दिशा रवि की 5 दिन की अतिरिक्त पुलिस हिरासत की माँग की थी।
BREAKING : Delhi Court Remands Disha Ravi To One Day Police Custody In ‘Toolkit’ Case https://t.co/o5m9TK2cTi
— Live Law (@LiveLawIndia) February 22, 2021
पुलिस टूलकिट केस में अन्य आरोपितों के साथ आमने-सामने बैठाकर दिशा रवि से पूछताछ करना चाहती है। आज ही दिल्ली पुलिस ने वकील निकिता जैकब और इंजीनियर शांतनु मुलुक से पूछताछ की है। अधिकारी ने बताया, ‘‘जैकब और मुलुक को जाँच में शामिल होने के लिए नोटिस दिए गए थे और टूलकिट मामले में उनकी कथित भूमिका के संबंध में फिलहाल उनसे पूछताछ की जा रही है।’’
दिल्ली पुलिस की तरफ से अदालत में पेश हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक (APP) ने दावा किया कि पूछताछ में दिशा ने अपने ऊपर लगे सारे आरोप अन्य आरोपित निकिता जैकब और शांतनु मुलुक पर डाल दिया। केस के सिलसिले में सोमवार को शांतनु और निकिता दिल्ली पुलिस के सामने पेश हुए।
अभियोजक पक्ष ने अदालत को बताया, “मुझे अन्य आरोपितों, निकिता और शांतनु के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करना है। वे आज (सोमवार) सुबह दिल्ली आए।” एपीपी ने कहा, “निकिता की ट्रांजिट ज़मानत तीन सप्ताह में और शांतनु की दस दिनों में समाप्त होने के सात दिन और हैं। उन दो आरोपितों को सुरक्षा दी गई है इसलिए हम यहाँ असहाय हैं।”
उन्होंने कहा, “जूम पर बैठक में भाग लेने वाले 60-70 और लोग थे। हम मामले की जाँच कर रहे हैं और हमें इसकी जाँच के लिए साइबर विशेषज्ञों की भी जरूरत है। जब तक हम उससे पूछताछ नहीं कर लेते, हम सबूतों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।”
बता दें कि दिल्ली पुलिस किसानों के आंदोलन के समर्थन में पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए ‘‘टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट’’ की जाँच कर रही है। दिशा रवि को शुक्रवार (फरवरी 19, 2021) को अदालत ने तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। न्यायिक हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद आज (फरवरी 22, 2021) दिशा को अदालत में पेश किया गया। इससे पहले अदालत ने 14 फरवरी को दिशा को पाँच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। दिल्ली पुलिस ने जलवायु कार्यकर्ता को 13 फरवरी को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया था।
दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि दिशा ने टूलकिट को एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर शेयर किया फिर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई। उन्होंने कहा कि टूलकिट को विश्वस्तर पर फैलाने की योजना थी और इसमें गलत जानकारियाँ दी गईं थीं। इस टूलकिट का संबंध खालिस्तानी संगठन Poetic Justice Foundation (पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन) से है और इस टूलकिट को चार फरवरी को बनाया गया था। टूलकिट में ‘भारत की पहचान योग और चाय’ की छवि को नुकसान पहुँचाने से लेकर दूतावासों को भी नुकसान पहुँचाने की बात है। इससे भारत की छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की गई।