अक्टूबर में बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा हुई। इसके विरोध में त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मार्च निकाला। इस मार्च के बाद सोशल मीडिया में पानीसागर में एक मस्जिद को जलाने की फर्जी खबरें आने लगी। मस्जिदों में आगजनी, कुरान जलाने और मुस्लिमों पर अत्याचार का दावा करते भ्रामक वीडियो वायरल किए गए। फिर इसकी आड़ लेकर कट्टरपंथी इस्लामी समूहों ने महाराष्ट्र के कई जिलों मसलन नांदेड़, अमरावती और मालेगाँव में हिंसा की।
जिस फेक न्यूज को सबसे ज्यादा सुर्खी मिली वह थी, पानीसागर में मस्जिद जलाना। यह तब हुआ जब त्रिपुरा पुलिस ने खुद रोवा बाजार की मस्जिद की तस्वीर साझा कर बताया कि कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया है। लेकिन संदिग्धों ने दावा करना शुरू कर दिया कि सीआरपीएफ की एक मस्जिद को विहिप ने निशाना बनाया था। मीडिया संसथान ‘द न्यू इंडियन’ ने ग्राउंड जीरो पर जाकर इस दावे की पड़ताल की तो पता चला कि यह कथित मस्जिद कई साल से बंद पड़ी है। इसे कोई नुकसान नहीं हुआ था। यह मस्जिद उत्तरी त्रिपुरा के पानीसागर उपमंडल में रीजनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के पास स्थित है।
द न्यू इंडियन को एक स्थानीय मंदिर के पुजारी विधुभूषण नाथ ने बताया, “पहले यहाँ सीआरपीएफ कैंप था। 15 साल पहले इस कैंप में 2 मुस्लिम अफसर थे। अब इस जगह पर कोई नहीं आता।” उन्होंने पुष्टि की कि दो साल पहले एक व्यक्ति की कथित मौत के बाद से यह मस्जिद बंद पड़ी है। देबाशीष डे नामक एक अन्य स्थानीय ने भी इस मस्जिद पर किसी भी हमले, आगजनी से इनकार किया। उन्होंने बताया कि इसके आसपास कोई मुस्लिम रहता भी नहीं है।
दीबन देबनाथ नामक एक रिक्शा चालक ने मीडिया संस्थान से कहा, “मुझे तो पता भी नहीं था कि यहाँ कोई मस्जिद है और उसे जला दिया गया है। हम जानते हैं कि यहाँ कुछ नहीं हुआ है। फिर भी कुछ लोग आगजनी की अफवाहें फैला रहे हैं।” देबनाथ हो या डे सबने यह बात स्पष्ट की कि उनका विश्व हिंदू परिषद (VHP) या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से कोई जुड़ाव नहीं है।
मस्जिद जलाए जाने के दावे के 20 दिन बाद FIR
द न्यू इंडियन ने अब्दुल बासित नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति से भी संपर्क किया। उसने दावा किया था कि सीआरपीएफ मस्जिद को 21 अक्टूबर 2021 को जला दिया गया था। हालाँकि इस कथित हमले को लेकर एफआईआर 20 दिन बाद, यानी 11 नवंबर को दर्ज की गई। पुलिस को इतनी देरी से सूचना देने को लेकर पूछे जाने पर बासित ने दावा किया कि उसने 23 अक्टूबर को पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की थी। लेकिन उसके दावों का प्राथमिकी खंडन करती है।
एफआईआर में बासित अली ने कहा है कि मस्जिद समिति के सदस्यों के साथ रायशुमारी और चर्चा की वजह से उसे सूचना देने में देर हुई। द न्यू इंडियन के सवालों से बचने की कोशिश करते हुए उसने कुरान की एक प्रति जलाए जाने की बात दोहराई।
जमीन कब्जाने की नीयत से बासित अली ने फैलाई मस्जिद जलाने की अफवाह?
उत्तरी त्रिपुरा के सीनियर एसपी बीपी चक्रवर्ती ने बताया कि 10-15 साल पहले पानीसागर में सीआरपीएफ की टुकड़ी ने तैनाती के दौरान एक मस्जिद और एक देवस्थान मंदिर का निर्माण किया था। जब वे जाने लगे तो मस्जिद को स्थानीय मुस्लिमों और मंदिर स्थानीय हिंदुओं को सौंप दिया। द न्यू इंडियन की पड़ताल में यह बात सामने आई कि जिस जमीन पर मंदिर और मस्जिद बनी है, वह विवादित है।
पानीसागर के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट ने 2019-2021 के बीच कई लोगों को पत्र लिखकर बताया है कि दोनों धार्मिक संरचना अनधिकृत हैं और इन्हें हटाए जाने की जरूरत है। अब पुलिस इस बात की जाँच कर रही है कि मस्जिद की जमीन पर कब्जा करने की नीयत से तो बासित अली और उसके परिवार ने हमले और आगजनी की कहानियाँ तो नहीं गढ़ीं?
मस्जिद जलाने की घटना से त्रिपुरा पुलिस ने किया था इनकार
त्रिपुरा पुलिस ने पिछले महीने वायरल वीडियो और वीएचपी के विरोध मार्च के दौरान पानीसागर में मस्जिद में कथित तोड़फोड़ से संबंधित दावों का खंडन किया था। पुलिस ने स्पष्ट रूप से ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया था और कहा था कि सोशल मीडिया में फर्जी पोस्ट करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है।
Tripura Police appeals to all not to spread rumours.
— Tripura Police (@Tripura_Police) October 28, 2021
Below are photographs of masjid in Panisagar. It is evident that masjid is safe and secure. pic.twitter.com/kp1oCEBa8T
पुलिस ने यह भी बताया था कि कुछ लोग फर्जी सोशल मीडिया आईडी का इस्तेमाल कर त्रिपुरा में हिंसा को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं। मस्जिदों पर हमले, उन्हें जलाने या क्षतिग्रस्त करने वगैरह से जुड़ी जो तस्वीरें साझा की जा रही हैं, वह फर्जी हैं और त्रिपुरा से नहीं जुड़ी हैं। सौ से अधिक ट्विटर हैंडल पर गलत सूचना फैलाने को लेकर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई की थी।