कॉन्ग्रेस पार्टी ने आज (शनिवार 14 अगस्त 2021) अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया सत्यमेव जयते। इसके बाद मिड-डे ने एक रिपोर्ट में संकेत दिया कि राहुल गाँधी के ट्विटर अकाउंट को लॉक करने के कुछ दिनों बाद ही अनलॉक कर दिया गया था। इसमें उन्होंने 9 साल की बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले ट्वीट को डिलीट कर दिया था।
मिड-डे ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि कॉन्ग्रेस के जिन नेताओं ने रेप पीड़िता की पहचान को उजागर करने वाली इमेज को ट्वीट किया था, उनमें से कई के अकाउंट को फिर से बहाल कर दिया गया है।
सामान्यतया राहुल गाँधी का अकाउंट चेक करने पर पता चलता है कि उन्होंने अभी तक ट्वीट नहीं किया है। उनका आखिरी ट्वीट 6 अगस्त का दिखा रहा है। ऐसे में हमें हकीकत में कैसे पता चलेगा कि राहुल गाँधी का अकाउंट अनब्लॉक हो गया है और ट्विटर कॉन्ग्रेस की माँगों के आगे झुक गया?
Satyameva Jayate
— Congress (@INCIndia) August 14, 2021
इससे पहले राहुल गाँधी ने दिल्ली की 9 साल की पीड़िता के माता-पिता से मुलाकात करते हुए एक तस्वीर ट्वीट की थी। हम पहले ही बता चुके हैं कि यह कैसे पॉक्सो एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के खिलाफ है, क्योंकि यह नाबालिग पीड़िता और पीड़ित के भाई-बहनों की पहचान को उजागर करता है। इस मामले में NCPCR ने ट्विटर को नोटिस भेजकर राहुल गाँधी के ट्वीट हटाने के लिए कहा था। उसमें आयोग ने सपष्ट किया था कि इससे भारतीय कानूनों का उल्लंघन हुआ है। नोटिस के बाद ट्विटर ने कोर्ट में दावा किया कि उसने ट्वीट को हटा दिया और राहुल गांधी के अकाउंट को बंद कर दिया है।
राहुल गांधी के ट्वीट को हटाने और उनके अकाउंट को लॉक करने के बाद ट्विटर ने जो कहा, उसका स्क्रीनशॉट यहाँ दिया गया है।
ट्विटर द्वारा राहुल गाँधी के ट्वीट को हटाने के बाद नोटिस में कहा गया है कि ‘यह ट्वीट अब उपलब्ध नहीं है’। इस नोटिस का मतलब है कि ट्विटर ने खुद ट्वीट को हटा दिया और इसे जनता के लिए अनुपलब्ध कर दिया। हालाँकि, राहुल गाँधी का अकाउंट बंद कर दिया गया था, लेकिन अगर वो खुद से उस ट्वीट को हटा देते हैं तो यह अनलॉक हो जाएगा।
जब इस तरह का नोटिस दिया जाता है तो यूजर (इस मामले में राहुल गाँधी) को अपने अकाउंट पर एक नोटिस मिलता है जो उसे अपना ट्वीट हटाने के लिए कहता है। ट्वीट डिलीट करने के के बाद उसका खाता अनलॉक हो जाएगा और वह फिर से ट्वीट कर सकेगा। हालाँकि, जब तक राहुल गाँधी अपनी तरफ से ट्वीट को डिलीट नहीं करते तब तक वो ट्वीट नहीं कर पाएँगे।
इस बीच, ट्विटर ने यह महसूस करते हुए कि ट्वीट भारतीय कानूनों का उल्लंघन करता है और खुद ट्विटर के भी नियमों का उल्लंघन करता है, यह सुनिश्चित किया कि ट्वीट किसी और को दिखाई न दे। राहुल गाँधी के ट्वीट के स्थान पर ट्विटर ने नोटिस प्रदर्शित किया, जिसमें कहा गया था कि ट्वीट अब उपलब्ध नहीं है। ट्विटर के नोटिस के कारण अगर कोई भी व्यक्ति राहुल गाँधी के ट्वीट को देखने की कोशिश करता है तो उसे यह नहीं दिखेगा।
हालाँकि, जब कोई व्यक्ति ब्रेव ब्राउजर से आईपी ऐड्रेस जापान कर ट्विटर को एक्सेस करने की कोशिश करता है तो राहुल गाँधी का हटाया गया ट्वीट दिखाई देने लगता है।
यह बदलाव कैसे हुआ?
जब कोई भारत से राहुल गाँधी के खाते को देखता है तो उनके विवादास्पद ट्वीट के स्थान पर ट्विटर द्वारा लगाए गए नोटिस ‘यह ट्वीट उपलब्ध नहीं है’ के स्थान पर ‘राहुल गाँधी का यह ट्वीट कानून को ध्यान रखते हुए भारत में हटा लिया गया है’ दिखाई देता है।
इस बदलाव से क्या हुआ?
इसका मतलब है कि ट्विटर कॉन्ग्रेस के सामने झुक गया है और अपने पिछले नोटिस से मुकर गया है। खास बात यह है कि इसका मतलब यह है कि ट्विटर ने अब भारतीय कानूनों के जवाब में ट्वीट को रोक दिया है, लेकिन राहुल गाँधी को अब अपने अकाउंट को फिर से एक्सेस करने के लिए अपने ट्वीट को हटाना नहीं पड़ेगा। इसलिए, नाबालिग पीड़िता की पहचान से समझौता करने वाला उनका विवादास्पद ट्वीट भारत के अलावा हर जगह दिखाई देगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार स्वाति माथुर ने ट्वीट कर राहुल गाँधी को ट्विटर पर निशाना बनाए जाने का कथित कारण ट्वीट किया है। वह कहती हैं कि जिस नाबालिग बच्ची की कथित तौर पर रेप और हत्या की गई थी, ट्विटर ने उसके माता-पिता से एक सहमति नोटिस के लिए कहा है कि वे पहचान का खुलासा किए जाने से सहमत हैं।
BREAKING: @Twitter restores account access of Congress leader @RahulGandhi. Says it has received a consent letter from the Dalit Parents whose image was shared and after duly reviewing the same, account access has been restored. .@timesofindia
— Swati Mathur (@SwatiMathurTOI) August 14, 2021
हालाँकि, भारतीय कानूनों में नाबालिग पीड़ित के परिजनों द्वारा सहमति पत्र देकर कानूनन माफ करने का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या कहता है भारतीय कानून
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 74 किसी भी मीडिया में बच्चे की पहचान को जाहिर करने से रोकती है और पॉक्सो अधिनियम 2012 की धारा 23 में यह भी कहा गया है कि बच्चे की कोई भी जानकारी/फोटो मीडिया के किसी भी रूप में प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए, जिससे बच्चे की पहचान उजागर हो। POCSO एक्ट 2012 की धारा 23 के तहत इस जानकारी में पीड़ित का नाम, पता, फोटो, परिवार का विवरण, स्कूल, पड़ोस या कोई अन्य विवरण शामिल है जिससे बच्चे की पहचान का खुलासा हो सकता है।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74 में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी रूप में नाबालिग पीड़िता की पहचान का खुलासा नहीं किया जा सकता है। इसमें आगे कहा गया है कि केस की जाँच कर रहे समिति या बोर्ड को लगता है कि यह पीड़ित के हित में है तो ही उसके खुलासे की वह इजाजत दे सकता है। अधिकतर मामलों में यह जिला न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं।
नाबालिग पीड़िता की पहचान के खुलासे के संबंध में भी पॉक्सो अधिनियम स्पष्ट है। POCSO एक्ट की धारा 23 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अपने नाम, पता, फोटो, परिवार के विवरण, स्कूल, पड़ोस या किसी अन्य विवरण सहित बच्चे की पहचान का खुलासा नहीं करेगा।
दोनों कानूनों में इस कानून को तोड़ने वालों के लिए कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। साल 2018 में केंद्र सरकार ने ये स्पष्ट किया था कि ये कानून मरने वाले पीड़ितों पर भी लागू होंगे।
एनसीपीसीआर के मीडिया सलाहकार जी मोहंती ने 2018 में कहा था, “यह सरकार द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण है, क्योंकि हमने कई मामलों में देखा है कि बच्चों की बात आती है तो पुलिस और मीडिया घरानों द्वारा संवेदनशील मामलों में भी लापरवाही बरती जाती है। अब यह स्पष्ट है कि उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा की जानी है, भले ही वे मर गए हों।”
जेजे अधिनियम के तहत भी कानूनों का उल्लंघन करने पर छह महीने तक की कैद या दो लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
ऑपइंडिया से बात करते हुए एनसीपीसीआर के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने कहा कि ये कानून न केवल पीड़िता की सुरक्षा के लिए हैं, बल्कि बच्चे के भाई-बहनों और अन्य जीवित रिश्तेदारों की भी सुरक्षा के लिए भी हैं। यदि पहचान उजागर हो जाती है तो संभव है कि घर के अन्य बच्चों को अपमानित करके पीड़ित और जीवित रिश्तेदारों की प्रतिष्ठा पर दाग लगाया जा सके। इसलिए, भले ही पीड़ित की मृत्यु हो गई हो, किसी भी पहचान के विवरण को सार्वजनिक करना अवैध है। उन्होंने आगे कहा कि अगर जिला सत्र न्यायाधीश को लगता है कि पीड़ित की पहचान को उजागर करना उसके हित में है तो वो इसके लिए निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा माता-पिता को भी कानून को हाथ में लेने और इस तरह की जानकारी को फैलाने की अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है।
इसलिए अगर जिला सत्र न्यायालय के न्यायाधीश को लगता है कि पीड़ित की पहचान को उजागर करना उसके हित में है तो वो उसकी अनुमति दे सकते हैं। लेकिन पीड़िता के माता-पिता या ट्विटर को यह निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है कि क्या पीड़ित की पहचान का खुलासा किया जा सकता है, भले ही माता-पिता ने सहमति पत्र दिया हो।
कॉन्ग्रेस को लगता है कि उसे अपना ट्वीट डिलीट किए बिना ही ट्विटर द्वारा दिया गया अधिकार मिल गया है, जिससे वो देश के कानून को तोड़कर बच सकती है। दरअसल, अब नाबालिग पीड़ित की पहचान से केवल आईपी सेटिंग बदलकर ही समझौता किया जा सकता है। कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी इसे “सच्चाई की जीत” मानते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि उन्हें की जरा भी परवाह नहीं है। वे केवल उसके साथ क्रूर बलात्कार और मौत पर क्षुद्र राजनीति कर रहे हैं।