मोदी सरकार द्वारा बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा के बाद अब योगी कैबिनेट ने भी सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने के प्रस्ताव को पास कर दिया है। मीडिया खबर के मुताबिक, अयोध्या के सोहावल तहसील के धन्नीपुर गाँव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने का फैसला किया गया है।
सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि आज 5 एकड़ जमीन का प्रस्ताव पास हो गया है। उन्होंने कहा, “हमने 3 विकल्प केंद्र को भेजे थे, जिसमें से एक पर सहमति बन गई है। मस्जिद के लिए धन्नीपुर में जमीन दी जाएगी। यह जमीन अयोध्या मुख्यालय से 18 किलोमीटर और अयोध्या में स्थित रामजन्मभूमि से करीब 25 किलोमीटर दूर है।
अब गौरतलब है कि यूपी सरकार के इस फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है। मुस्लिम पक्षकारों ने रामकोट स्थित श्रीरामजन्मभूमि से 25 किमी दूर रौनाही थाने के पीछे दी गई भूमि को मस्जिद के लिए अनुपयुक्त बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के मुताबिक मस्जिद निर्माण के लिए भूमि उपयुक्त जगह पर नहीं दी गई है। वहाँ अयोध्या के लोग नमाज पढ़ने नहीं जा सकते। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अब राज्य सरकार के आवंटन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशवर्त के पूर्व अध्यक्ष एवं दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफर इस्लाम खान का कहना है, “कोई वो जमीन नहीं लेगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड सरकारी संस्थान हैं। वे न कैसे कहेंगे? अगर आप मुस्लिम समुदाय से पूछते हैं, तो कोई उस जमीन को नहीं चाहता। मुझे नहीं लगता वहाँ पर मस्जिद बनेगी। और अगर ऐसा होता भी है, तो वहाँ कोई भी नमाज पढ़ने नहीं जाएगा। मुझे लगता है दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये उत्तेजना में उठाया कदम है।”
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य के अध्यक्ष जफरयाब जिलानी ने भी इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ बताया है और कहा कि फैजाबाद जिले का नाम बदल देने से वो अयोध्या नहीं हो जाएगी।
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक जिलाने ने कहा,”सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन अयोध्या के बाहरी इलाके में दी गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। मैं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से अपील करता हूँ कि वो इस जमीन को स्वीकार न करें। हमारे पास अब भी अयोध्या मामले पर फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करने का विकल्प है। मैं अभी AIMPLB के दूसरे सदस्यों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा हूँ। मैंने सीनियर एडवोकेट राजीव धवन से भी बात की है।”
इधर, लोकसभा सांसद और AIMIM के अध्यक्ष ओवैसी ने संसद के बाहर ही सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन स्वीकारने को गलत फैसला बताया। उन्होंने कहा,”सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा आवंटित जमीन को स्वीकारना गलत फैसला है। उन्हें इसे नहीं लेना चाहिए, क्योकि AIMPLB जिसमें कई बुद्धिजीवी शामिल थे, उनका एकमत था कि मस्जिद बनाने के लिए वो जमीन नहीं ली जानी चाहिए।”
गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र होगा और 67.7 एकड़ की अधिग्रहित भूमि भी राम मंदिर निर्माण के ट्रस्ट को दी जाएगी।
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