Friday, April 26, 2024
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15 दिन में 2.75 लाख गाँव में लगेगी भगवान राम की प्रतिमा, इन्हीं गाँवों से 30 साल पहले राम मंदिर के लिए आई थी ईंटे

विहिप चाहता है कि अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के पुजारी दलित हों। राम मंदिर आंदोलन के शुरुआत से ही संघ, VHP जैसे संगठन इससे दलितों को जोड़ने में जुटे थे। 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर की पहली ईंट भी बिहार के एक दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों रखवाई गई थी।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से पहले विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने एक बड़े कार्यक्रम का बीड़ा उठाया है। विश्व हिन्दू परिषद देश के 2.75 लाख गाँवों में भगवान राम की प्रतिमा लगाएगी। ‘रामोत्सव’ नाम से चलने वाला यह कार्यक्रम 25 मार्च को शुरू होगा और 8 अप्रैल को इसका समापन होगा। साल 1989 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान इन्हीं गाँवों से अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए ईंटें आई थीं।

अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन में VHP की भूमिका काफी सक्रिय रही है और अब निर्माण से पहले उसने एक बड़े कार्यक्रम की घोषणा की है। VHP की नज़र राम मंदिर के लिए पुजारियों पर भी है। वह मंदिर के लिए दलित पुजारी चाहती है। VHP का मानना है कि दलित पुजारी की नियुक्ति के जरिए सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया जा सकता है। VHP का यह भी कहना है कि मंदिर का निर्माण सरकार नहीं समाज के पैसों से किया जाए।

VHP चाहता है कि ट्रस्ट में राजनीतिक लोगों को शामिल न किया जाए।ख़बर के अनुसार, VHP के प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि ट्रस्ट का काम सरकार को करना है, इसमें हमारा किसी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। यदि दलित पुजारी की नियुक्ति होती है तो उसका स्वागत है। VHP दलित पुजारियों को तैयार करने में लंबे समय से जुटा हुआ है। VHP में धर्माचार्य सम्पर्क विभाग और अर्चक पुरोहित विभाग बनाकर काफी समय से अनुसूचित वर्ग के लोगों को पूजा-पाठ के लिए प्रशिक्षित कर पुजारी बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद छोटे और बड़े मंदिरों में समारोह आयोजित करेगी, वहीं ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की मदद भी करेगी।

बता दें कि राम मंदिर आंदोलन से दलितों को जोड़ने के लिए संघ, VHP जैसे संगठन शुरुआत से ही लगे हैं। 9 नवंबर, 1989 को जब राम मंदिर का शिलान्यास हो रहा था उस समय पहली ईंट बिहार के दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों रखवाई गई थी। इसके जरिए राम मंदिर आंदोलन के पीछे सम्पूर्ण हिन्दू समाज के खड़ा होने का संदेश दिया गया था।

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए हर परिवार से 11 रुपए और एक ईंट का योगदान देने की अपील की थी। मुख्यमंत्री योगी ने यह अपील झारखंड में चुनाव रैली के दौरान की थी। झारखंड चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए लोगों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था,“मैं उस प्रदेश से आता हूँ जिसने भगवान राम दिया और उनके शासन की प्रणाली को रामराज्य कहा गया, एक प्रणाली जिसमें नीतियाँ गरीब, युवा, महिला और समाज के हर तबके को ध्यान में रखते हुए बगैर भेद के बनाई जाती हैं। वही कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा रहा है।”

सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 9 नवबंर को इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। 5 सदस्यों वाली बेंच ने राम जन्मभूमि स्थल का पूरा मालिकाना हक हिन्दुओं दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाने को कहा था। साथ ही मस्जिद बनाने के लिए अलग से 5 एकड़ ज़मीन देने के निर्देश केंद्र सरकार को दिए थे। इस पीठ की अध्यक्षता तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने की थी और इसमें जज जस्टिस अब्दुल नज़ीर भी शामिल थे। पीठ ने अपना फैसला सर्वसम्मति से दिया था। इस फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं को भी शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित सभी मामलों को देखने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक अलग डेस्क बनाया गया है। इस डेस्क में तीन अधिकारी होंगे। इनका नेतृत्व अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार करेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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