उत्तर प्रदेश सरकार लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में रिटायर्ड जज की निगरानी में जाँच के लिए तैयार है। प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे ने सोमवार (15 नवंबर 2021) को यह बातें कही। इस पर संज्ञान लेते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने मामले को बुधवार (17 नवंबर 2021) के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और दो अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी।
सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लखीमपुर हत्याकांड की जाँच कर रहे अधिकारियों को अपग्रेड किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से वरिष्ठ अधिकारियों की सूची भी माँगी। जिसके बाद यूपी सरकार ने जाँच का नेतृत्व करने के लिए हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज का चुनाव करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से कहा। कोर्ट ने कहा कि नामों पर विचार करने के लिए उसे एक दिन की जरूरत है।
इसके अलावा कोर्ट ने जाँच टीम में अधिकारियों के स्तर को लेकर चिंता जाहिर की। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, “चिंता यह है कि आपको मामले की जाँच कर रहे टीम को अपग्रेड करना होगा। इसमें उच्च ग्रेड के अधिकारियों की होने की जरूरत है।”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भी इस पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा, “मौजूदा एसआईटी में ज्यादातर अधिकारी लखीमपुर से ही हैं। आप हमें उन आईपीएस अधिकारियों के नाम बताएँ जो यूपी कैडर से हैं लेकिन यूपी से संबंधित नहीं हैं।”
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में तीन अक्टूबर को हिंसा के दौरान चार किसान, एक पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष मिश्र समेत 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में 13 आरोपित जेल में हैं। दूसरे पक्ष से सभासद सुमित जायसवाल की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
सुमित जायसवाल ने मुकदमे में आरोप लगाया था कि प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच मौजूद कुछ अराजक तत्वों ने लाठियों और ईंट-पत्थरों से वाहन पर हमला किया जिसकी वजह से चालक हरिओम घायल हो गया और उसने सड़क के किनारे कार रोक दी। इसके बाद पत्रकार रमन कश्यप, कार चालक हरि ओम और बीजेपी कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा तथा श्यामसुंदर को प्रदर्शनकारियों ने पीट-पीटकर मार डाला।