अमेरिकी सरकार (United States Government) ने मंगलवार (10 जनवरी, 2023 ) को हैदराबाद के संतोष नगर स्थित 6 ‘पैगाह’ मकबरों (Paigah Tombs) के लिए बड़ी घोषणा की। अमेरिकी सरकार ने इन मकबरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए 2,50,000 डॉलर (2.04 करोड़ रुपए) की वित्तीय सहायता की घोषणा की।
इन मकबरों को 18वीं और 19वीं शताब्दी में बनाया गया था। भारत में अमेरिका की अंतरिम प्रभारी राजदूत एलिजाबेथ जोन्स (Elizabeth Jones) ने इस संबंध में घोषणा की। हैदराबाद में अमेरिकी महावाणिज्यदूत जेनिफर लार्सन (US Consul General Jennifer Larson) ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “एंबेसडर जोन्स ने ऐतिहासिक पैगाह मकबरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार में सहायता के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजना की घोषणा की। सांस्कृतिक संरक्षण के लिए राजदूत कोष द्वारा वित्त पोषित, यह हैदराबाद में हमारी पाँचवीं ऐसी परियोजना है।”
Today Ambassador Jones announced a U.S. government-funded project to support conservation and restoration at the historic Paigah Tombs. Funded by the Ambassadors Fund for Cultural Preservation, it’s our fifth such project in #Hyderabad. #CDAJonesInHyd pic.twitter.com/Y2jck7fSDK
— Jennifer Larson (@USCGHyderabad) January 10, 2023
इन मकबरों को शम्स अल-उमरा के रूप में भी जाना जाता है। ये मकबरे ‘पैगाह’ के परिवार से संबंधित हैं, जो हैदराबाद के निजाम की सेवा करते थे। पैगाह परिवार उस समय कथित तौर पर सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली लोगों में से एक था। पैगाह परिवार की कई पीढ़ियों के मकबरे परिसर में स्थित हैं। ये मकबरे चूने और संगमरमर से बने हैं और शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माने जाते हैं।
Hyderabad, Telangana | We announce a $250,000 US government project to support the conservation and restoration of 6 tombs which were built in the 18th and 19th centuries while visiting the Paigah Tombs complex: US Embassy Chargé d’Affaires, Ambassador Beth Jones pic.twitter.com/6DONCZBP0q
— ANI (@ANI) January 10, 2023
तेलंगाना सरकार की वेबसाइट के अनुसार, पैगाह परिवार इस्लाम के दूसरे खलीफा हज़रत उमर बिन अल-खत्ताब के वंशज होने का दावा करते थे। पैगाहों को उस समय देश के औसत महाराजाओं की तुलना में ज्यादा धनवान माना जाता था और उन्हें अपने दरबार, महलों और निजी सेनाओं को बनाए रखने सहित कई विशेषाधिकार प्राप्त थे। वेबसाइट पर लिखा है, “मकबरे मोहक इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं, जो आसफ जाही (हैदराबाद का मुस्लिम राजवंश) और राजपूताना शैली दोनों की विशेषताओं का मिश्रण है।”
Hyderabad | We are proud to be part of the Government of Telangana’s efforts to conserve these magnificent monuments and I’m grateful to the Aga Khan Trust for Culture for all of its efforts here and throughout India: US Chargé d’Affaires to India Ambassador A Elizabeth Jones pic.twitter.com/8wQvJnVOkl
— ANI (@ANI) January 10, 2023
अपने बयान में राजदूत जोन्स ने कहा कि यह पाँचवीं ऐसी परियोजना है जो अमेरिकी राजदूत के ‘फंड फॉर कल्चरल प्रिजर्वेशन (AFCP)’ द्वारा समर्थित है। अमेरिकी वाणिज्य दूतावास इसे हैदराबाद में वित्तपोषित करेगा। उन्होंने बताया कि ‘आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर’ परियोजना को लागू करने जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह हैदराबाद की मेरी पहली यात्रा है, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी सरकार ने शहर में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और बहाली का समर्थन किया है। हमें इन शानदार स्मारकों के संरक्षण के लिए तेलंगाना सरकार के प्रयासों का हिस्सा बनने पर गर्व है। मैं यहाँ और पूरे भारत में आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर के सभी प्रयासों के लिए आभारी हूँ।”
‘आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रतीश नंदा पैगाह परिसर के दौरे के दौरान राजदूत जोन्स और महावाणिज्यदूत लार्सन के साथ थे। इससे पहले, महावाणिज्यदूत लार्सन ने हैदराबाद में कुतुब शाही मकबरे में एक और AFCP परियोजना का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, “आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर और तेलंगाना राज्य के साथ काम करके, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए इन अद्वितीय सांस्कृतिक स्थलों की अखंडता सुनिश्चित कर सकते हैं।”
अमेरिकी विदेश विभाग ने वर्ष 2001 में AFCP बनाया था। इसके निर्माण के बाद से, इसने 133 देशों में 1100 परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है। AFCP ने बीते दो दशकों में भारत में 23 ऐसे स्थलों के संरक्षण और बहाली से संबंधित परियोजनाओं में 2 मिलियन डॉलर (16.33 करोड़ रुपए) का निवेश किया है।