Friday, November 15, 2024
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जिसने सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करके बनवाया था अवैध इबादतगाह, UP पुलिस-प्रशासन ने उसी से तोड़वाया

इबादतगाह के मुतवल्ली सगीर अहमद ने बताया कि ये इबादतगाह यहाँ तभी से स्थित है, जब इस कॉलोनी का निर्माण हुआ था। इसके स्थापित हुए एक दशक हो चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के हरदोई में जिला प्रशासन ने एक 10 साल पहले बने अवैध इबादतगाह को वहाँ से हटवा दिया। योगी आदित्यनाथ सरकार सरकारी जमीन को कब्ज़ा कर बने अवैध ढाँचों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई का आदेश दे चुकी है। हरदोई में इस इबादतगाह को भी सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर के ही बनाया गया था। हरदोई के देहात कोतवाली क्षेत्र स्थित काशीराम कालोनी में ये कार्रवाई की गई।

इस दौरान वहाँ बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। इसे हटाने के लिए पहले ही सगीर अहमद नामक शख्स को नोटिस जारी किया जा चुका था। हालाँकि, इबादतगाह को हटाने का कार्य पुलिस-प्रशासन ने नहीं, बल्कि खुद अतिक्रमणकारियों ने ही किया। प्रशासन के लोग इस दौरान वहाँ बस मौजूद रहे। अतिक्रमणकारियों ने अपने लोगों के साथ मिल कर उस अवैध इबादतगाह को ध्वस्त किया।

इस बारे में प्रशासन को सूचना मिली थी कि वहाँ अवैध इबादतगाह होने से लोगों को परेशानी हो रही है। टीन-शेड से निर्मित किया गया था। इसे हटवाने की कार्रवाई शुक्रवार (जून 25, 2021) को की गई। इबादतगाह के मुतवल्ली सगीर अहमद ने बताया कि ये इबादतगाह यहाँ तभी से स्थित है, जब इस कॉलोनी का निर्माण हुआ था। इसके स्थापित हुए एक दशक हो चुके हैं। इससे पहले यहाँ सिर्फ तिरपाल डाला हुआ था।

‘बजरंग दल’ सहित अन्य हिन्दू संगठनों ने भी इस अवैध ढाँचे को लेकर आपत्ति जताई थी। आसपास के लोगों ने भी इस दौरान इसे हटाने में सहयोग किया। पुलिस ने पहले ही लोगों को विश्वास में ले लिया था और वो इसे हटाने को तैयार हो गए थे। उत्तर प्रदेश में राजमार्गों या सरकारी संपत्ति का कब्ज़ा कर के बने ऐसे इबादतगाहों/पूजा स्थलों को हटाया जा रहा है। इसी क्रम में कुछ अवैध मजार भी हटाए गए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के दरियाबाद में 100 साल पुरानी कथित मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। इसके बाद एसडीएम दिव्यांशु पटेल को धमकी मिलने लगी थी। उन्हें धमकाने के आरोपित अशरफ अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। बाराबंकी के राम सनेही घाट क्षेत्र में ‘तहसील’ परिसर के अंदर स्थित एक अवैध आवासीय ढाँचे को ध्वस्त कर दिया था। मुस्लिम समुदाय इसके मस्जिद होने का दावा करता था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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