उत्तर प्रदेश के जिला अयोध्या के सांसद प्रतिनिधि और एक ग्राम प्रधान की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं गुस्साई भीड़ ने जवाबी फायरिंग में हिस्ट्रीशीटर नन्हा यादव पर गोली चला दी, जिसमें उसने भी दम तोड़ दिया। घटना को आपसी रंजिश से जोड़कर देखा जा रहा है। मौके पर पहुँची पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है।
अयोध्या : फैजाबाद सांसद के प्रतिनिधि को हिस्ट्रीशीटर ने गोली मारी, -जवाबी कार्यवाही में भीड़ ने हिस्ट्रीशीटर को गोली मारी, मौत https://t.co/4WETLmLqoI
— breakingnews (@breakingnewsexp) May 18, 2020
जानकारी के मुताबिक, अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह के प्रतिनिधि व हैरिंग्टनगंज ब्लाक के पलिया प्रताप शाह गाँव के ग्राम प्रधान जय प्रकाश सिंह पर सोमवार (18 मई, 2020) को गाँव के ही हिस्ट्रीशीटर नन्हा यादव ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। गोली लगने से घायल हुए प्रधान जयप्रकाश सिंह ने को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया।
इसी बीच जवाबी फायरिंग में घायल हुए गाँव पलिया प्रताप शाह के ही हिस्ट्रीशीटर नन्हा यादव की भी मौत हो गई। सांसद प्रतिनिधि की मौत की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया और बड़ी संख्या में घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। वहीं एक ही गाँव में दो लोगों की हत्या की सूचना पर एसएसपी आशीष तिवारी भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँच गए।
पुलिस ने दोनों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इसके बाद जिला प्रशासन मामले की जाँच में जुट गया है। डॉक्टरों का कहना है कि जयप्रकाश की हालत नाजुक होने पर उन्हें लखनऊ रेफर करने की तैयारी चल ही रही थी कि इसी बीच उन्होंने दम तोड़ दिया। वहीं, घटना के पीछे आपसी विवाद को बड़ी वजह माना जा रहा है।
चश्मदीदों के मुताबिक, गाँव में एक पंचायत हो रही थी, जिसमें इसी बीच दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इस दौरान हिस्ट्रीशीटर नन्हा यादव ने ग्राम प्रधान जय प्रकाश सिंह को गोली मारी थी, जिससे गुस्साए ग्रामीणों ने नन्हा यादव पर जवाबी हमला कर दिया, जिसमें नन्हा यादव भी मारा गया।
ग्रामीणों के मुताबिक, दोनों के बीच लम्बे समय से दुश्मनी चली आ रही है।
गौरतलब है कि इससे पहले 25 मई 2019 को उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में राजनीतिक रंजिश के कारण स्मृति इरानी के करीबी सुरेन्द्र कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसे केंद्रीय मंत्री और स्मृति इरानी द्वारा अमेठी जाकर पार्थिव शरीर को कंधा दिया था। उस समय स्मृति इरानी ने सुरेन्द्र के बच्चों की पढाई-लिखाई और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेने की भी बात कही थी।
इससे स्मृति इरानी ने यह सन्देश देने की कोशिश की थी कि अगर परिस्थितिवश किसी कार्यकर्ता के साथ कुछ ग़लत हो जाता है तो पीछे उनके परिवार को देखने के लिए वो खड़ा है, जिनके लिए उन्होंने बलिदान दिया।