पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की जाँच कर रही विशेष जाँच दल (SIT) ने 33 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि इन्होंने बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पथराव करने के लिए उकसाया था। बता दें कि इन सभी 33 आरोपितों पर पहले भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे और उन्हें जेल भेजा गया था।
जानकारी के मुताबिक इन आरोपितों ने एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़प में बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया था। जाँच एजेंसी ने आरोपितों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धाराएँ लगाईं हैं।
Anti-CAA clashes: In a first, SIT books 33 for provoking children to pelt stones at cops https://t.co/Bc1AqFRd1P
— TOI India (@TOIIndiaNews) January 17, 2020
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रविकांत यादव की अदालत ने एसआईटी को 33 आरोपितों के खिलाफ अतिरिक्त आरोप लगाने की अनुमति दी। वहीं मुजफ्फरनगर में 20 दिसंबर 2019 को भड़की हिंसा के कुछ आरोपितों के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे वकील वकार अहमद ने कहा, “एसआईटी ने हिंसा के 33 आरोपितों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के एक अतिरिक्त सेक्शन जोड़ा है।”
उल्लेखनीय है कि झड़प के दौरान कई बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकते और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाते हुए देखा गया था। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस के अनुसार, इस तरह की हिंसक गतिविधि को लेकर नगर कोतवाली और सिविल लाइंस पुलिस स्टेशनों में 47 मामले दर्ज किए गए। जिसमें 250 से अधिक लोगों के नाम थे। बता दें कि पुलिस ने मामले में अब तक 80 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।
एक अन्य वरिष्ठ वकील चंद्रवीर सिंह ने कहा कि आरोपितों पर जुवेनाइल एक्ट, 2015 की धाराओं को लागू किया गया, क्योंकि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इस तरह के अपराधों के लिए मामला दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है।
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