उत्तराखंड के हल्द्वानी में इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने खुलेआम हिंसा की। कल (8 फरवरी 2024) वहाँ बनभूलपुरा थाना इलाके में नगर निगम द्वारा मस्जिद हटाने की कार्रवाई के बाद से दंगे वाले हालात हो गए। दंगे में 6 लोगों की जान चली गई। 300 से ज्यादा पुलिस वाले घायल हो गए। पत्थरबाजी-आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया। दर्जनों गाड़ियों को आग लगा दी गई।
उत्तराखंड के हल्द्वानी का यह इलाका पहली बार इस्लामी कट्टरपंथियों की वजह से चर्चा में नहीं आया है। पिछले साल भी जब कोर्ट ने रेलवे की जमीन, जिसपर कब्जा किया गया था, उससे अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे (जिस पर बाद में स्टे लगा दिया गया), उस समय भी इन लोगों ने माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया था। उस दौरान ऑपइंडिया के पत्रकार राहुल पांडे भी ग्राउंड रिपोर्ट के लिए वहाँ पर पहुँचे थे, जिसमें बहुत से खुलासे हुए थे।
ऑपइंडिया ग्राउंड रिपोर्ट में हल्द्वानी को लेकर खुलासे
ऑपइंडिया पत्रकार राहुल पांडे ने पिछले साल जनवरी 2023 में वहाँ जाकर स्थानीयों से बात कर हालातों को हर सिरे से जानने का प्रयास किया था। इसी क्रम में हमें स्थानीयों से पता चला था कि कैसे हल्द्वानी में बाहरी मुस्लिमों की संख्या बढ़ी। कैसे वो रामपुर, नजीमाबाद, बिजनौर जैसी जगहों से मजदूरी के लिए आए और फिर जमीनों पर कब्जा करके बस गए। एक हिंदू व्यक्ति ने जानकारी दी थी कि पूरे इलाके में (कट्टरपंथियों के पास) इतने हथियार इकट्ठा हो चुके हैं जिसकी हद्द नहीं।
हल्द्वानी में कट्टरपंथियों का खौफ, हिंदू डर में जीने को मजबूर
इसी तरह इंदिरा नगर बस्ती में राहुल पांडे ने जाकर देखा तो हिंदू डरे हुए थे। उन्होंने बताया था कि कैसे वहाँ की मुस्लिम आबादी उनके घरों पर चरस और शराब के नशे में लात मारती है। विरोध करने पर मामले को शांत करवा दिया जाता है। हिंदुओं के सवाल थे कि पिछले एक दशक में मुस्लिमों की संख्या इतनी कैसे बढ़ी कुछ समझ नहीं आता।
बनभूलपुरा के एक दिव्यांग हिंदू ने राहुल पांडे से कहा था कि वो चाहते हैं कि भारत सरकार उन्हें परिवार सहित निकाल ले, क्योंकि वहाँ अब हिंदुओं के रहने के हालात नहीं बचे हैं। इसी तरह एक युवक ने जानकारी दी थी कि इन इलाकों में लव-जिहाद और धर्मांतरण की घटनाएँ भी घटित हो चुकी हैं। हिंदू लोग होली तक सही से नहीं खेल पाते हैं।
मंदिर तोड़ किया था कब्जा
स्थानीयों ने यह भी बताया कि एक स्थानीय बुजुर्ग सत्यनारायण तिवारी ने अपने घर के पास मंदिर बनवाया तो लेकिन जब वो इलाके से चले गए तो मुस्लिमों ने उनके घर के साथ उस मंदिर को तोड़कर भी वहाँ कब्जा कर लिया। ऐसे ही स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई जाने वाली इस्लामी दुआ का भी पता चला। इसके अलावा ये भी बताया गया था हिंदू लड़कियों का ऐसे इलाकों में आना-जाना मुहाल किया जा चुका है।
रोहिंग्या-बांग्लादेशी भी बसे
ग्राउंड पर रहते हुए यह भी पता चला था कि जिस जमीन के लिए पिछले साल मुस्लिम भीड़ ने प्रदर्शन किया था, वहाँ रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों ने भी घर बना रखे हैं। इन इलाकों को बुलडोजर कार्रवाई से बचाने के लिए जो विरोध प्रदर्शन इन्होंने शुरू किया था उसमें लोकल नेता, धार्मिक नेता मिलकर बच्चों का इस्तेमाल कर रहे थे।
रेल की पटरियों पर खेलते बच्चों ने बताया था कि मोहम्मद समीर नाम के बच्चे ने स्वीकार किया कि बच्चों को मदरसे का ड्रेस पहनाकर धरने में शामिल करवाया गया था। बच्चों ने ऑन कैमरा इन बातों को स्वीकारा था कि सपा से जुड़े मतीन सिद्दकी उस प्रदर्शन के मुख्य आयोजक थे। बच्चों ने बताया मतीन ने ही इरफान हाफिज से बच्चों को तैयार कर प्रदर्शन में लाने की हिदायत दी थी।
प्रोपेगेंडा फैलाने में द वायर का साथ
यह भी ऑपइंडिया पत्रकार राहुल पांडे की ग्राउंड रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि प्रदर्शन वाली भीड़ को एक पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी का नाम ले लेकर समझा रहा था कि उन्हें कैमरे पर कैसे अपनी बात रखनी है। उस पत्रकार का कहना था कि वो वीडियो द वायर पर चलवाएगा।
दंगों के बाद पूरे राज्य में अलर्ट
गौरतलब है कि हल्द्वानी में अतिक्रमण पर कार्रवाई हटाना अभी प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। एक कार्रवाई के बाद दंगाई भीड़ का सड़कों पर उतरना, उत्पात मचाने ने तनाव बढ़ा दिया है। हालातों को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाई लेवल मीटिंग की। इस दौरान पुलिस के आला अधिकारी बैठकक में रहे। बाद में नैनीताल जिला प्रशासन ने दंगा प्रभावित क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है। इसके साथ ही उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया गया है। वहीं, प्रशासन ने अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं। इस बीचराज्य सरकार ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया है।