Thursday, May 2, 2024
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शिव मंदिर तोड़ा, होली मनाना मुश्किल, बहन-बेटियाँ सुरक्षित नहीं, स्कूलों में इस्लामी प्रेयर: हल्द्वानी के इन हिन्दुओं की पीड़ा क्यों नहीं दिखाता मीडिया

वनभूलपुरा के इंदिरा नगर के हिन्दुओं ने हमें बताया कि उन्हें भी धरने में शामिल होने के लिए कहा गया था, लेकिन वो नहीं गए। उनका कहना था कि इस बात से मुस्लिम नेता काफी नाराज हुए थे और उन्हें उल्टा-सीधा सुनाया गया।

उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में मीडिया के वामपंथी वर्ग ने महज एक ही पक्ष को पीड़ित दिखा कर रिपोर्टिंग की। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी, 2023 को होनी है, जिससे पहले सोच-समझ कर ये नैरेटिव गढ़ा गया कि इस मामले में राजनीतिक सोच काम कर रही है, जिसके निशाने पर मुस्लिम समाज के लोग हैं। लेकिन, जब हमने ग्राउंड जीरो पर जा कर वनभूलपुरा में बचे-खुचे हिन्दुओं के हालात जाने तब सच्चाई कुछ और ही निकली। पेश है उस बातचीत के कुछ मुख्य अंश।

अन्य मीडिया संस्थानों की तरह हमने सड़को के किनारे जमा लोगों का पक्ष जानने की बजाए गलियों के अंदर जाने का फैसला किया। इसी तलाश में हम इंदिरा नगर बस्ती में गए जहाँ अभी भी कुछ हिन्दू बचे हुए हैं। हमने उनसे बात करनी चाही तो पहले वो तैयार नहीं हुए। हमें लगा कि इनके अंदर हाईकोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने के आदेश को ले कर गुस्सा है लेकिन असलियत कुछ और निकली। वहाँ के हिन्दू अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को ले कर बेहद डरे हुए थे।

हमें लगा कि यह डर कुछ ही लोगों में होगा लेकिन हमने एक-एक कर के बुजुर्गों, युवा, बच्चों, महिलाओ और पुरुषों से बात की तो सामने एक भयावह तस्वीर निकल कर आई।

चरसी और शराबी घरों पर मारते हैं लात

लगभग 72 वर्षीय एक वृद्ध व्यक्ति ने हमें बताया कि उनके लिए इलाका मुसीबतों से भरा हुआ है। उनका कहना था कि उनके घरों पर चरस और शराब के नशे में लात मारी जाती है जिसका विरोध करने पर एक-दूसरे पर आरोप लगा कर मामले को शांत कर दिया जाता है। वृद्ध के अनुसार, लगभग 10 साल में वनभूलपुरा इलाके में हिन्दुओं के लिए बदतर हालात हुए क्योंकि मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ी। वृद्ध के आसपास मौजूद कुछ लोगों ने कहा कि उनके पानी के सबमर्सिबल (पंप) खोल लिए गए और चोर का पता भी नहीं चला।

वहीं के एक अन्य हिन्दू ने कहा कि एकतरफा आबादी कैसे बढ़ रही और लोग कहाँ से आ रहे, ये किसी को नहीं पता। ‘बजरंग दल’ के जिला संयोजक जोगिंदर सिंह जोगी ने भी वनभूलपुरा में चरस-गाँजा आदि मादक द्रव्यों की बिक्री की जानकारी दी।

‘हमें यहाँ से निकाले सरकार’

वनभूलपुरा के एक दिव्यांग हिन्दू ने हमें बताया कि वो चाहते हैं कि भारत सरकार उन्हें परिवार सहित वहाँ से निकाल ले क्योंकि वहाँ अब हिन्दुओं के रहने लायक हालात नहीं बचे हैं। दूसरे व्यक्ति ने कहा कि पहले भी वनभूलपुरा में हिन्दू मुस्लिम विवाद हो चुका है और ऐसे मौकों पर विरोध में भीड़ जमा हो जाती है। हिन्दू समाज के एक अन्य व्यक्ति का कहना था कि अगर उनके पास पैसे या रहने का कोई और ठिकाना होता तो वो कब के इलाका छोड़ कर चले गए होते।

सोशल मीडिया पर पोस्ट से घेर लिया था घर

एक हिन्दू महिला ने हमें बताया कि उनके बेटे द्वारा सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट शेयर हो गई थी, जिसके चलते उनके घर को घेर लिया गया था। महिला के मुताबिक, अगर पुलिस एक्टिव न हुई होती तो उस समय उनके परिवार के साथ कोई अनहोनी हो जाती क्योंकि भीड़ थाने तक पहुँच गई थी।

कभी था हिन्दू बहुल, अब लगभग हिन्दू विहीन

वनभूलपुरा के इंदिरा नगर की बात करते हुए एक बुजुर्ग ने बताया कि 1960 के दशक में वनभूलपुरा हिन्दू बहुल हुआ करता था। उनके मुताबिक, कुछ समय बाद वहाँ आग लग गई थी। हमें दी गई जानकारी के अनुसार धीरे-धीरे हिन्दू इंदिरा नगर से कहीं और शिफ्ट होते चले गए और अब पूरा वनभूलपुरा मुस्लिम बाहुल्य हो चुका है। हमें बताया गया कि उस क्षेत्र से हिन्दुओं का पलायन लगातार जारी है।

हुई हैं ‘लव जिहाद’ और धर्मांतरण की घटनाएँ

इंदिरा नगर के एक युवक ने हमें बताया कि वनभूलपुरा क्षेत्र में लव जिहाद की घटनाएँ होती रहती हैं। एक लड़की का उदाहरण देते हुए हमें बताया गया कि रातों रात उसको ले कर हैदराबाद पहुँचा दिया गया था जो बाद में प्रेग्नेंट वापस आई थी। हमें बताया गया कि लड़की के परिजन भी अपनी बेटी की वापसी की उम्मीदों को खो चुके थे। वहीं एक अन्य दिव्यांग व्यक्ति ने हमें बताया कि उनका भाई कभी हिन्दू हुआ करता था जो अब इस्लाम कबूल कर चुका है।

इसके लिए उसने अपने भाई के साथियों को जिम्मेदार बताया और खुद को हमेशा के लिए अपने धर्मांतरित भाई से अलग हो जाने की जानकारी दी। बजरंग दल जिला संयोजक जोगिंदर सिंह जोगी ने भी वनभूलपुरा में लव जिहाद जैसी घटनाएँ होना स्वीकार किया।

इंदिरा नगर के हिन्दुओ ने हमें बताया कि पहले की सरकारों में वो होली भी ठीक से नहीं खेल पाते थे। उन्होंने बताया कि होलिका दहन से पहले भारी पुलिस फ़ोर्स लगती थी। हालाँकि, इलाके के हिन्दुओं ने कहा कि भाजपा सरकार में उनकी सुनवाई पुलिस में होती है और किसी घटना पर कार्रवाई भी की जाती है।

शिव मंदिर को तोड़ कर बना लिया गया घर

लगभग 65 वर्षीय एक बुजुर्ग ने हमें बताया कि कभी सत्यनारायण तिवारी नाम के व्यक्ति का वनभूलपुरा क्षेत्र में घर हुआ करता था। घर के बगल उन्होने मंदिर भी बनवा लिया था। कुछ दिनों बाद वो घर छोड़ कर चले गए और उनके घर के साथ मंदिर को भी तोड़ कर मुस्लिमों ने कब्ज़ा कर लिया और अब वो वहाँ रह रहे हैं।

धरने में शामिल नहीं हुए तो दिखाई नाराजगी

वनभूलपुरा के इंदिरा नगर के हिन्दुओं ने हमें बताया कि उन्हें भी धरने में शामिल होने के लिए कहा गया था, लेकिन वो नहीं गए। उनका कहना था कि इस बात से मुस्लिम नेता काफी नाराज हुए थे और उन्हें उल्टा-सीधा सुनाया गया। एक महिला ने हमें बताया कि उन्हें दुआ पढ़ने के लिए बुलाया गया जिस पर उन्होंने बुलाने वालों को भगवान की प्रार्थना करने के लिए कहा। इस बात से धरने के आयोजक नाराज हो गए और लौट गए।

स्कूल में हिन्दू बच्चो को पढ़ाई जाती है उर्दू और इस्लामी प्रार्थना

वनभूलपुरा के 2 नाबालिग हिन्दू बच्चों ने हमें बताया कि स्कूल में उन्हें उर्दू पढ़ाई जाती थी। जब हमने उनसे स्कूल में पढ़ाई जाने वाली प्रार्थना सुनाने को कहा तो उन्होंने हमें इस्लामी प्रार्थना सुनाई। हमें स्कूल का नाम एस एन पब्लिक स्कूल बताया गया। इस बीच बच्चों के अभिभावकों ने हमें बताया कि जब उन्हें अपने बेटों को स्कूल में उर्दू और इस्लामी प्रार्थना पढ़ाने की जानकारी हुई थी तो उन्होंने वहाँ से नाम कटवा कर दूसरे स्कूल में लिखवा दिया था।

वनभूलपुरा की कुछ हिन्दू महिलाओं ने हमें बताया कि जब वो कहीं आती-जाती है तो उन्हें सड़क पर रोका जाता है। उनके मुताबिक हिन्दू बहन बेटियों के साथ अभद्रता की जाती है और विरोध पर उनके घरों में माँस तक फेंक दिया जाता है। बजरंग दल जिला संयोजक ने भी ऑपइंडिया से बातचीत में कहा था कि वनभूलपुरा में बचे-खुचे हिन्दुओं की बहन बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं।

अपनी सुरक्षा की माँग के साथ हमसे बात करने वाले हिन्दुओं ने अपना नाम प्रकाशित न करने की अपील की।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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