हल्द्वानी के बनभूलपुरा में 8 फरवरी 2024 को भड़की हिंसा का मुख्य आरोपित अब्दुल मलिक गिरफ्तार हो गया है। घटना के लगभग 16 दिनों के बाद उसे शनिवार (24 फरवरी 2024) को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। उसे अब हल्द्वानी लाया जा रहा है। उत्तराखंड पुलिस के IG नीलेश आनंद भरणे ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि की है। बताया जा रहा इस गिरफ्तारी के बाद अब्दुल मलिक के वकील उसकी अग्रिम जमानत के लिए अदालत में सक्रिय हो गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब्दुल मलिक के वकील अजय बहुगुणा ने भी अपने मुवक्किल की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। उन्होंने साथी वकील शलभ पांडेय और देवेश पांडेय के साथ हल्द्वानी की जिला अदालत में अब्दुल मलिक की अग्रिम जमानत के लिए अर्जी भी दाखिल कर दी है।
अर्जी में वकीलों ने दावा किया है कि घटना के दिन अब्दुल बनभूलपुरा में नहीं था। इसी याचिका में अब्दुल के दिल्ली स्थित एक पते का जिक्र भी किया गया है। बताया जा रहा है कि इसी पते पर पहुँचकर उत्तराखंड पुलिस ने अब्दुल मलिक को गिरफ्तार किया। फिलहाल उसे आगे की कार्रवाई के लिए हल्द्वानी लाया जा रहा है।
#HaldwaniViolence | "Abdul Malik has been arrested from #Delhi. The #Nainital Police team is carrying the investigation further": PHQ spokesperson IG Nilesh Bharne
— Hindustan Times (@htTweets) February 24, 2024
(📹 ANI ) pic.twitter.com/XaD9hWfBXi
महिलाओं पर अत्याचार के आरोपों का पुलिस द्वारा खंडन
इस बीच उत्तराखंड पुलिस ने उन तमाम आरोपों का खंडन किया है, जिसमें दबिश के नाम पर बनभूलपुरा की मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं से अत्याचार के आरोप लगे थे। एक अज्ञात महिला के बयान को फ्रंटलाइन इंडिया की पत्रकार इश्मत आरा ने अपने X हैंडल पर शेयर किया है।
वीडियो में महिला ने कक्षा 10 में पढ़ने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया था। इश्मत आरा के इस वीडियो को AIMIM पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी शेयर किया है। ओवैसी ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से मामले का संज्ञान लेने की अपील की है।
#हल्द्वानी की कई महिलाओं का आरोप है के पुलिस ने उन पर जुल्म किया और एक केस में एक नाबालिग लड़की के साथ दुर्व्यवहार भी हुआ। @NCPCR_ कहाँ हैं? भाजपा चाहती है के मुसलमान महिलायें @narendramodi को “भाई” बुलायें। ये कैसा भाई है जिसका दिल सिर्फ़ PR के लिए धड़कता है? भारत का मज़लूम अब… https://t.co/azXxDM9miY
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 23, 2024
इस वीडियो का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड पुलिस ने खंडन जारी किया है। पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता IG नीलेश आनंद भरणे ने कहा, “बनभूलपुरा में पुलिस द्वारा महिलाओं के साथ अभद्रता किए जाने संबंधी सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों का हम पूर्णतः खण्डन करते हैं।”
आईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई महिलाओं और बच्चों के साथ-साथ सभी के प्रति शिष्टाचार पूर्ण रही है और किसी भी प्रकार की कोई नियम विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने उत्तराखंड पुलिस की छवि को ‘मित्र पुलिस’ बताया।
उत्तराखंड पुलिस "मित्र पुलिस" के अपने ध्येय पर बहुत गर्व करती है। कर्तव्य निर्वहन के दौरान हम कानून का पालन करने वाले सभी नागरिकों के साथ शिष्टाचार, स्नेह और सम्मान का व्यवहार करते हैं। महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार के प्रति उत्तराखंड पुलिस में शून्य सहिष्णुता है।
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 24, 2024
नीलेश भरणे ने यह भी कहा कि अगर किसी के भी पास महिलाओं या बच्चों के विरुद्ध किसी असंवैधानिक कार्रवाई के पुख्ता सबूत हों तो वो उन्हें वर्तमान में चल रही मजिस्ट्रेटियल जाँच हेतु भेज सकता है। सबूत पुख्ता होने पर दोषियों पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि, ओवैसी या फ्रंट इंडिया की पत्रकार का आरोप सिर्फ जुबानी हैं। वे कोई ठोस सबूत नहीं दे पाए हैं।
बताते चलें कि इससे पहले भी पूर्व IAS अधिकारी और कॉन्ग्रेस नेतृत्व के करीबी हर्ष मंदर के नेतृत्व में गई तथाकथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ बिना ठोस सबूतों के माहौल बनाने का प्रयास किया था। बाद में उस कमेटी के आरोपों में सत्यता नहीं पाई गई थी।