उतराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फँसे मजदूरों के रेस्क्यू में सेना और वायुसेना की टीमें भी जुड़ गई हैं। वायुसेना दिल्ली से नई मशीन लेकर उत्तरकाशी पहुँचाएगी। सुरंग के अंदर ड्रिलिंग का काम जारी है, जिससे जल्दी से जल्दी से 40 मजदूरों को निकाला जा सके।
12 नवम्बर की सुबह करीब 5:30 बजे सिल्क्यारा सुरंग में मलबा आने से 40 मजदूर फँस गए थे। तब से उनको निकालने के प्रयास जारी हैं। मलबा काट कर मजदूरों को निकालने के प्रयास सफल नहीं होने के कारण अब मलबे के भीतर से स्टील के पाइप डाले जा रहे हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे अधिकारियों का कहना है कि वे 3 फीट व्यास वाली पाइप को मलबे से गुजारेंगे और इसके रास्ते ही मजदूर बाहर आएँगे। मजदूरों से लगातार संपर्क बना हुआ है। सभी मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में प्राकृतिक कारणों से समस्या आ रही है। इसी कारण इसकी गति भी धीमी है। वायुसेना की सहायता से भारी ड्रिलिंग मशीन को यहाँ लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मजदूरों के जल्द ही बाहर निकलने की उम्मीद जताई है।
Uttarakhand | Uttarkashi Tunnel accident: Relief and rescue work is going on in the Silkyara Tunnel. Due to natural obstacles, the speed of drilling is slow. Today efforts are being made by the central agencies with the help of the Air Force, to bring heavy auger drilling… pic.twitter.com/faszlBms02
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 15, 2023
अंदर फँसे मजदूरों को खाना-पानी भी एक पाइप के माध्यम से पहुँचाया जा रहा है। उन्हें इसी पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन की सप्लाई भी हो रही है। घटनास्थल पर NDRF, SDRF और राज्य पुलिस समेत अन्य टीमें मौजूद हैं।
#WATCH | Uttarakhand | Uttarkashi Tunnel accident: Early morning visuals from Silkyara Tunnel where rescue and relief operations are underway to rescue 40 trapped labourers. pic.twitter.com/nweXfTsy1O
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 15, 2023
सुरंग में 14 नवंबर की रात से ही पाइप अंदर डालने का प्रयास किया जा रहा है। हालाँकि पहले पाइप को डालते समय नया मलबा गिरने लगा, जिसके कारण रेस्क्यू धीमा हो गया। दोबारा अब तेज गति से काम किया जा रहा है। घटनास्थल पर सेना की एक टीम भी पहुँची है। मलबा दोबारा गिरने से दो अन्य मशीनें भी फँस गई हैं।
विशेषज्ञों ने आशा जताई है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो मजदूर आज बाहर आ जाएँगे। घटना पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी नजर बनाई हुई है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय भी इस मामले की जानकारी लगातार राज्य सरकार से ले रहा है।
जानकारी के अनुसार, सुरंग के अंदर फँसे मजदूरों में 15 झारखंड, 8 उत्तर प्रदेश, 5 ओडिशा, 4 बिहार और 2-2 मजदूर उत्तराखंड तथा असम के हैं। एक मजदूर हिमाचल का भी है। झारखंड ने अपने अफसरों की एक टीम भी भेजी है।
यह सुरंग आल वेदर रोड परियोजना के तहत बन रही है। इस प्रोजेक्ट की यह सबसे लंबी सुरंग लगभग साढ़े चार किलोमीटर की है। इसका करीब 4 किलोमीटर निर्माण हो गया है। सुरंग के निर्माण में करीब 1000 मजदूर दिन-रात जुटे रहते हैं। वे अलग-अलग शिफ्ट में काम कर रहे हैं, क्योंकि फरवरी 2024 तक इसकी खुदाई पूरी करने का लक्ष्य है।
बता दें कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा और जंगल चट्टी के बीच इस सुरंग के निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी 26 किमी कम हो जाएगी। यह सुरंग करीब 853 करोड़ की लागत से बन रही है।