Monday, November 18, 2024
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जिस नरेश सैनी को दंगाइयों ने मारी गोली, सब्जी बेच उनकी विधवा कर रही गुजारा; याद कर रो पड़ती है ब्रह्मपुरी: दिल्ली दंगों के दो साल

दिवंगत नरेश सैनी की बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ती है, वहीं बेटा दूसरी कक्षा में पढ़ता है। नरेश सैनी की पत्नी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में खासी परेशानी आ रही है।

दिल्ली में फरवरी 2020 हुए हिन्दू विरोधी दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी। इनमें से एक नाम नरेश सैनी का भी था। दिल्ली के शाहदरा स्थित ब्रह्मपुरी के गली नंबर-1 में उनका घर है। उनके दोनों भाई अब भी अपने परिवारों के साथ इसी घर में रहते हैं। साथ ही उनकी पत्नी और दो बच्चे भी यहाँ रहते हैं। ब्रह्मपुरी में घुसने के बाद कोई भी उनका नाम बता देगा, क्योंकि सभी के मन में ये घटना अब भी ताजा है। नरेश सैनी सब्जी बेच कर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे।

नरेश सैनी की मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। उनकी हत्या के बाद तो कई नेताओं ने उनके यहाँ हाजिरी लगाई थी, लेकिन अफ़सोस कि अब जब इस दंगे के 2 साल बीत गए हैं, उनकी हाल खबर जानने वाला कोई नहीं है। नरेश सैनी की एक बेटी और एक बेटा है। बेटी जहाँ 8 साल की है, वहीं बेटा 7 वर्ष का है। बेटी की पढ़ाई में ही 1700 रुपए प्रति महीने लग जाते हैं। बेटे की फी में तो स्कूल ने छूट दे दी है, लेकिन दोनों की आगे की पढ़ाई को लेकर परिवार चिंतित है।

दिवंगत नरेश सैनी की बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ती है, वहीं बेटा दूसरी कक्षा में पढ़ता है। नरेश सैनी की पत्नी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में खासी परेशानी आ रही है। चूँकि नरेश सैनी उसी स्कूल के पास में सब्जी की दुकान लगाते थे जहाँ उनका बेटा पढ़ता है, इसीलिए उस स्कूल ने उनके बेटे की फी में छूट दे दी। नरेश सैनी के बारे में मोहल्ले के लोग भी कहते हैं कि वो एक भले आदमी थे। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब पत्नी को सब्जी की दुकान पर बैठना पड़ता है।

उनकी पत्नी ने बताया कि पहले उन्हें कभी उनके पति सब्जी की दुकान पर बैठने नहीं देते थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी आ गई है कि उन्हें दुकान संभालनी पड़ती है। दिल्ली भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित कई नेता तब इस घटना के बाद नरेश सैनी के घर पहुँचे थे। परिवार को मदद के रूप में 10 लाख रुपए मिले तो थे, लेकिन उसके बाद कहीं से कोई मदद नहीं मिली।

ऑपइंडिया से बात करते हुए नरेश सैनी के भाई राजीव सैनी ने बताया कि न्याय के लिए उन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर तो नहीं लगाने पड़ रहे है, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने सिर्फ इतना बताया कि दोषियों को सज़ा मिलेगी। उन्होंने बताया कि अदालत में क्या चल रहा है और क्या नहीं, जाँच में क्या निकला है – इस सम्बन्ध में उन्हें कुछ नहीं बताया गया है। इस मामले में FIR भी दर्ज कराई गई थी। भाई का कहना है कि जाफराबाद थाने में मामला दर्ज कराया गया था। भाई की हत्या को याद कर वो भावुक हो जाते हैं।

दिल्ली दंगों में मुस्लिम भीड़ द्वारा मार डाले गए नरेश सैनी की पत्नी (दाएँ), दोनों बच्चे और उनके भाई की पत्नी (बाएँ)

राजीव बताते हैं कि फरवरी 2020 में उस दिन नरेश सैनी अपनी दुकान बंद कर के लौट रहे थे। उन्होंने याद किया कि घर आने के बाद स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ समस्या घर में होने के कारण वो दवा लेने के लिए निकले थे। उन्होंने बताया कि नरेश सैनी की पत्नी को सिर्फ 2000-2500 रुपए की एक पेंशन मिलती है। पेंशन और सब्जी की दुकान अलावा कुछ आय का स्रोत नहीं है। राजीव पूछते है कि इतने पैसे से क्या होता है, इतने का तो महीने का दूध खरीद लेने पर ही खर्च हो जाते हैं।

राजीव सैनी ने हमें बताया, “2016 में हमने अपना मकान बनाया था। भला किसे पता था कि इस तरह की घटना हो जाएगी। उसके लिए हमने रुपए इकट्ठे किए गए और लोन भी लिया था। हमने सोचा था कि हमारे पास घर तो होगा। जो 10 लाख रुपए मिले, उनमें से अधिकतर उनके लोन में चले गए। बाकी बैंक में रखा गया है, जिससे कितना मिलता होगा आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। हमारी बस सरकारी से यही अपील है कि मेरे भाई की पत्नी को कोई नौकरी मिल जाए।’

परिवार को अब तक ये भी नहीं पता है कि उनकी हत्या किस तरह से की गई थी और नरेश सैनी की गलती क्या थी। उस समय की ख़बरों में सामने आया था कि मंदिर के सामने खड़ी 400-500 की मुस्लिम भीड़ ने उनकी हत्या की। भीड़ में से किसी ने उन पर गोली भी चलाई थी। जीटीबी अस्पताल में ICU में भर्ती रहने के बाद 4 मार्च, 2022 को उनकी मौत हो गई थी। नरेश सैनी निहत्थे थे, ऐसा भी नहीं था कि उनके पास कोई हथियार था। ब्रह्मपुरी में आज भी इस घटना के बारे में बताते हुए लोग भावुक हो जाते हैं।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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